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Tuesday, January 22, 2019

तुम



तुम्हें ये महज़ बातें लगती हैं 
मुझे एहसास
तुम्हें ये बरसात नज़र आती है
मुझे मिट्टी की खुश्बू
तुम्हें सिर्फ़ आँखें नज़र आती हैं
मुझे उनमें घुलते जज़्बात
तुम्हें एक ख़याल छू कर चला जाता है
मुझे रेशमी याद
तुम्हें ज़रूरत समझ आती है
मुझे इश्क़
तुम्हें लॉजिक चाहिए
मुझे प्यार और ख्याल
तुम्हें सपनों में सपने समझ आते हैं
मुझे हक़ीकत
तुम्हें देह समझ आती है
मुझे रूह
तुम्हें सिर्फ तुम समझ आते हो
और मुझे भी बस तुम

#रेवा

8 comments:

  1. बेहतरीन । कोमल जज्बातों को संजोती खंबसूरत रचना। एक पल को बेख्याल हो गए थे हम। शुभकामनाएं आदरणीय रेवा जी।

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  2. वाह वाह वाह
    ये हुआ सचा प्यार.
    पधारिये- ठीक हो न जाएँ 

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  3. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.01.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3226 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  4. बहुत सुन्दर अहसास...लाज़वाब अभिव्यक्ति..

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