एक शख्स है ऐसा
जो सब रिश्ते नातों से परे
सबसे ऊपर है
जो सब रिश्ते नातों से परे
सबसे ऊपर है
मेरी खुशी में
अपनी खुशी मिलाकर
उसे दोगुना करने वाला
दुख में उसे बांट
व्यथा को कम करने वाला
दुख में उसे बांट
व्यथा को कम करने वाला
मेरी आंखें पढ़ कर
दिल का हाल
जानने वाला
वो शख्स जो
मेरी आँखों में
आंखें डाल
मेरे गलत को
गलत बोलने की हिम्मत
रखने वाला
मेरे साथ हमेशा
मज़बूत स्तम्भ की तरह
खड़ा रहने वाला
मेरा हाथ थाम
मुझे आगे ले जाने वाला
लाख रूठ जाऊं
मुझे मना लेने वाला
मुझे आगे ले जाने वाला
लाख रूठ जाऊं
मुझे मना लेने वाला
ये शख्स और कोई नहीं
ये है मेरा दरदी बंधु
मेरा कान्हा .....
ये है मेरा दरदी बंधु
मेरा कान्हा .....
रेवा
बहुत सुंदर रचना रेवा जी
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-07-2018) को "अब तो जम करके बरसो" (चर्चा अंक-3028) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सिने जगत के दो दिग्गजों को समर्पित ९ जुलाई “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteshukriya
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