छोड़ आईं हूँ मैं
ख़ुद को
उन यादों की
गलियों में ,
जब सालों बाद
बचपन के दोस्तों
से हुई मुलाकात ,
इतनी खुशी
इतनी रौनक मन में
और किसी लम्हे में
नहीं हुई
उन यादों की
गलियों में ,
जब सालों बाद
बचपन के दोस्तों
से हुई मुलाकात ,
इतनी खुशी
इतनी रौनक मन में
और किसी लम्हे में
नहीं हुई
चेहरा खुद ब खुद
खिल उठा
पैर नाचने को
थिरकने लगे
दिल फिर क्लास की
शरारतों जैसा हो गया
जो तब नहीं बोली थी
खिल उठा
पैर नाचने को
थिरकने लगे
दिल फिर क्लास की
शरारतों जैसा हो गया
जो तब नहीं बोली थी
हमने बातें
वो बता कर खूब हँस लिए
वो बता कर खूब हँस लिए
वो समय तो अब बीत गया
पर एक एक पल
याद है मुझे
उन्हें याद कर
बार बार ज़िन्दगी से
प्यार हो जाता है
बार बार विश्वास पर
विश्वास हो जाता है
पर एक एक पल
याद है मुझे
उन्हें याद कर
बार बार ज़िन्दगी से
प्यार हो जाता है
बार बार विश्वास पर
विश्वास हो जाता है
क्योंकि दोस्ती है तो
विश्वास है।
#रेवा
#दोस्ती
#दोस्ती
सुंदर रचना 👌👌
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराधा जी
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, हैप्पी फ्रेंड्शिप डे - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteshukriya
Deleteशुभकामनाएं
ReplyDeleteआभार
DeleteAwesome
ReplyDeletethank u didi
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