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Thursday, October 25, 2018

तू लाजवाब है ऐ ज़िन्दगी



तू समझने की चीज़ थोड़े है
तू तो जीने की चीज़ है
तू सवाल नहीं बदलती
बस रोज़ नए जवाब थमा
देती है
तू निष्ठुर बिल्कुल भी नहीं
हर बार नया दिन देती है जीने
के लिए
एक दिन गर आंसुओं के सैलाब से
तर करती है तो दूजे दिन
मुस्कुराहट का लिबास भी पहनाती है
कभी विरहन की तरह मिलती है
तो कभी प्रेयसी की तरह
तू जैसी है जो भी देती है
तू लाजवाब है ऐ ज़िन्दगी !!

#रेवा
#ज़िन्दगी 

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-10-2018) को "पावन करवाचौथ" (चर्चा अंक-3137) (चर्चा अंक-3123) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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