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Tuesday, October 16, 2018

बीज गाथा

मैं बीज गाथा लिखना चाहती हूँ 
उस नन्ही सी बीज का जो
बढ़ना चाहती है
अपनी कोख़ में फल फूल
को पालना चाहती है
पर बेदर्दी से कुचल दिया
जाता है उसे

मैं अन्न की गाथा लिखना चाहती हूँ
जो सींची जाती थी 
किसान के पसीने से 
पर अब उस किसान
को कुचल दिया जाता है
और खूनी अन्न को लाश बना
बेचा जाता है

मैं उन पौध की गाथा लिखना चाहती हूँ
जो उगते हैं हर जगह कुछ जंगली
होते हैं और कुछ सामान्य
पर उन सब को ज़हर से 
भर आतंकवादी बना दिया जाता है

इसलिए मैं प्रेम लिखती हूँ
क्योंकि नफ़रत से भरी इस
दुनिया में प्रेम ही है जो 
हम सबको बचा सकता है


#रेवा 

4 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना 🙏

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18.10.18 को चर्चा मंच पर प्रस्तुत चर्चा - 3128 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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