मैं बड़ी बड़ी बातें
सोच ही लेती हूँ
मसलन
फर्क नहीं पड़ता मुझे
किसी भी बात से
कोई तारीफ़ करे तो
अच्छा न करे तो
कोई बात नहीं,
कोई दोस्त की तरह
हाथ थाम राह दिखाये
तो ठीक नहीं तो
कोई बात नहीं ,
मैं करती रहूँ कोशिशें
पर वो नज़र अंदाज़ की जाए
तो कोई बात नहीं ,
मैं बेरुखी देखती रहूँ
पर कहती रहूँ की
कमी मुझ में ही है
कोई बात नहीं ,
जिससे करूँ प्यार
वो प्यार होते हुए भी
न जताए
तो भी कोई बात नहीं,
मसलन
फर्क नहीं पड़ता मुझे
किसी भी बात से
कोई तारीफ़ करे तो
अच्छा न करे तो
कोई बात नहीं,
कोई दोस्त की तरह
हाथ थाम राह दिखाये
तो ठीक नहीं तो
कोई बात नहीं ,
मैं करती रहूँ कोशिशें
पर वो नज़र अंदाज़ की जाए
तो कोई बात नहीं ,
मैं बेरुखी देखती रहूँ
पर कहती रहूँ की
कमी मुझ में ही है
कोई बात नहीं ,
जिससे करूँ प्यार
वो प्यार होते हुए भी
न जताए
तो भी कोई बात नहीं,
पर असलियत तो ये है
इंसान हूँ मैं भी
चुभती हैं बातें
नजरअंदाजी दुख
दे जाती है
बेरुखी तोड़ देती है
विरह का एहसास
तड़पा देता है
पर ख़ुद को सहनशक्ति की
मिसाल दिखाते हुए
ख़ुद से भी झूठ बोलती रहती हूँ
और कहती रहती हूँ
कोई बात नहीं ......
इंसान हूँ मैं भी
चुभती हैं बातें
नजरअंदाजी दुख
दे जाती है
बेरुखी तोड़ देती है
विरह का एहसास
तड़पा देता है
पर ख़ुद को सहनशक्ति की
मिसाल दिखाते हुए
ख़ुद से भी झूठ बोलती रहती हूँ
और कहती रहती हूँ
कोई बात नहीं ......
#रेवा
#मैं
शुक्रिया
ReplyDeleteआभार अनुराधा जी
ReplyDeleteआभार मयंक जी
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