आज पढ़ें मेरे आदरणीय मित्र Anil Kumar जी की गज़ल
तुमको जो खत लिखे थे मैंने तुमसे ही सब पढ़वाने हैं सपने मेरी आंखों के हैं तुमने मुझ को समझाने हैं तेरे मेरे दोनों के ही सारे हिस्से जल जाने हैं तुमने ही जब आग पहन ली हम भी तेरे परवाने हैं तेरे बारे में दोनों ने अलग अलग कुछ सोचा है कब तूने खुद को चांद है माना हम भी तेरे दीवाने हैं आकर बोले ख्वाबों से अब दोनों आँखें खाली कर लो इस अलमारी में हमको अब थोड़े आंसू रखवाने हैं गजलें बेचो ख़्वाब भी बेचो पूरी दौलत लेकर आओ घर तो माना बनवा दोगे ताजमहल भी बनवाने हैं दिल में आने से पहले तुम दिल मेरा क्यों धड़काते हो आप अभी तक बेगाने हैं ? दरवाजे क्यों खटकाने हैं?
धन्यवाद मेरे अलफ़ाज़ को यहाँ जगह देने के लिये
ReplyDeleteआपका शुक्रिया
Deleteवाह वाह
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteदिल में आने से पहले तुम दिल मेरा क्यों धड़काते हो
ReplyDeleteआप अभी तक बेगाने हैं ? दरवाजे क्यों खटकाने हैं?
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ
Shukriya
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