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Tuesday, November 7, 2017

स्टोरी मिरर (वेबसाइट)



हम सब अपनी लेखनी के द्वारा
मन में उठते भावों को एहसासों को
पन्नों में उतारने की कोशिश करते हैं ,
हममे से कोई कविता द्वारा
अपने भावों को व्यक्त करता है तो कोई
लघु कथा और कहानियों द्वारा।
तो फिर देर किस बात की
आइये और जुड़िये
हमारे साथ story mirror web portal से
जहाँ आप पढ़ सकते हैं
लिख सकते हैं और यही नहीं
इस पोर्टल पर हिन्दी के साथ अनेक भाषाएँ हैं

मैं आप सबकी सुविधा के लिए यहाँ
पोर्टल का लिंक शेयर कर रही हूँ।

https://storymirror.com/

धन्यवाद





Wednesday, September 27, 2017

आदतें

शुरू से मुझे
चुप रहने की
आदत सी थी
पर तुमने
बोल बोल कर
खुद को
मेरी आदत बना ली ,
लफ़्ज़ों को एहसासों  के
धागे में पिरो कर
सुकूँ की चादर
बुन दी ,
हर रोज़ वो जो
खिड़की से
दिखता है न
मेरा एक टुकड़ा चाँद
उसकी चांदनी की चमक
मेरे चेहरे पर सजा दी ,
चुप रहने वाली को
तुमने हंसना बोलना
गुनगुना सीखा दिया ,
पर
मैंने अकसर सुना है की 
आदतें बदलनी
पड़ती हैं !!!!!


रेवा

Tuesday, September 26, 2017

हिदायत




धुप की ऊँगली थामे
भटकते रहे मेरे
खयाल ,
शाम की सर्द
हवाओं में भी
उलझे रहे हर सवाल ,
पर
रात ने हौले से
सितारों को टांक
आसमान की चादर ओढ़ा दी ,
सपनो के नर्म बिस्तर पर
मुझे थपकियां दे
चांदनी ने लोरी सुनाई ,
ज़िन्दगी इसी का नाम है
पगली
सुबह हर हाल मे तेरे आंगन
को रौशन करेगी
ये हिदायत फिर मुझे उस
चाँद ने दी  !!!


रेवा 

Monday, September 18, 2017

एक सोच (facebook )

मैंने अभी कुछ दिनों से फेसबुक से थोड़ी सी दूरी बना ली है ......फेसबुक भी मुझे न्यूज़ चैनल्स की तरह अनर्गल  विलाप करता सा प्रतीत होता है , कभी सरकार की बुराई कभी डेरा सच्चा की, कभी दूसरे बाबाओ की, कभी आतंकवाद की।
सार्थक पहल या बहस हम नहीं करते, जो हो गया उसको जानने के लिए समाचार ,अखबार तो है ही फिर यहाँ भी वही ? हम क्यों नहीं कुछ उपाय सुझाते हैं, या ऐसी कुछ बात जिससे हमारे आने वाले जनरेशन जो की भविष्य हैं हमारे देश के, उनको कुछ तो मिले हमसे।

उदहारण के लिए  हम अपने पर्यावरण पर बात कर सकते हैं  जो आज एक बड़ा विषय है,  जिसकी शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते हैं, बहुत व्यापक रूप की जरुरत नहीं।  मसलन जिनके यहाँ भी RO से पानी शुद्ध होता है उससे जो (waste water ) निकलता है और पानी बर्बाद होता है उसे कैसे काम में लाये , हम सब सब्जी लाने जाते हैं हर अलग सब्जी अलग पैकेट में लेते हैं उस प्लास्टिक पैकेट को कैसे खुद "न " बोले, एक झोले में डलवायें  और दूसरों को भी समझाए। एक घर से शुरू करें सब को बताए, वो एक मोहल्ले में फैलेगा ऐसे ही ये शहर और देश में फैलेगा, कुछ और विषय में ऐसे ही सार्थक क़दमों की बात करें।

जहाँ तक मेरा सवाल है मैंने अपनी तरफ से शुरू की है RO और प्लास्टिक पैकेट को लेकर मेरे आस - पास के लोगों से बातें। ये इसलिए यहाँ mention किया ताकि लोगों को ये न लगे ये बेकार की बक -बक कर रही है ,खुद कुछ करे तो पता चले ।

हममे से हर एक अलग अलग ग्रुप से जुड़ा है सब में ये सार्थक चर्चा हो तो हम कुछ  शुरुआत कर सकते हैं। सरकार ,न्यूज़ चैनल्स और लोगों को दोष देकर कर कुछ हासिल नहीं होने वाला।

ये मेरी सोच है ,मैंने रख दी सबके सामने।

शुक्रिया

रेवा



Saturday, August 26, 2017

इश्क






आज फिर तुम्हारी याद
बेताहाशा आ रही है...
ऐसा लगता है मानो
दिल में कई
खिड़कियाँ हों
जो एक साथ
खुल गयी है ...
और इन
खिड़कियों से बस
तेरी यादों की
भीनी-भीनी
खुशबू आ रही है,

जानती हूँ
तुम मुझसे मीलों दूर हो 
पर मुझे इस बात का
ज़रा भी गम नहीं की
तुम मेरे साथ नहीं,
बल्कि ये यादें मुझे
सुकून और तुम्हारे प्यार से
ओत-प्रोत कर रही हैं
शायद
इसे ही कहते हैं
इश्क!

रेवा 



Friday, August 18, 2017

जाने कैसे जाने क्यों ??

जाने क्यों
कभी-कभी
ये मन
बावरा बन
उड़ने लगता है
न जाने उसमे
इतना हौसला
कहाँ से आता है कि
अपनी सारी हदें तोड़
हवा से बातें
करने लगता है,

जाने कैसे
कभी-कभी
समुन्दर की
लहरों पर बना
बाँध टूटने लगता है
और लहरें साहिल
की हदें
भूलकर
अविरल
बहने लगती हैं ,

जाने क्यों
कभी-कभी
मेरा मन
खुद से हज़ारों
सवाल करता है
और एक का भी
जवाब न पाकर
टूटने लगता है

जाने कैसे
जाने क्यों ??

Friday, August 11, 2017

बंटवारा

चलो न आज
मुहब्बत बाँट ले
हम दोनों .....
प्यार तुम्हारे नाम
और तन्हाई 
मेरे नाम कर दें ....
जानती हूँ
नहीं सह सकते तुम
बेरुखी ....
नहीं बहा
सकते आँसू ....
रत जगे
नही होते तुमसे .....    
बिस्तर की सलवटों में
नहीं ढूंढ पाते मेरा अक्स
इसलिए
प्यार तुम्हारे नाम
तन्हाई मेरे नाम ......

रेवा

Monday, August 7, 2017

(संस्मरण 2) चाय






हम सब के लिए चाय एक मामूली सी चीज है। जब मन किया पी लिया, नही पसंद आई तो फेंक भी दिया बिना एक पल सोचे। पर चाय एक गरीब के लिए क्या है? ये उससे बेहतर कोई बयां नही कर सकता।
अभी कुछ दिनों पहले शाम को सियालदाह स्टेशन गयी थी बेटे को ट्रेन में बिठाने, ट्रैन आने में अभी कुछ समय था तो हम इन्तज़ार कर रहे थे। शाम का समय था, चाय पीने की इच्छा हो गयी तो मैं और मेरे पति स्टेशन में टी स्टाल ढूंढने लगे, जो पास ही मिल गया।

उससे दो कप चाय ले कर हम दोनों बात करते हुए पीने लगे, इतने में मैंने देखा एक भिखारी पैंतीस - चालीस के करीब का इधर ही आ रहा था, जो की स्टेशन पर सामान्य सी बात थी। वो आया और कूड़ेदान मे हाथ डाला, मुझे लगा कूड़ा ज्यादा है तो उठाने आया होगा। पर मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले मैंने देखा उस भिखारी ने तेज़ी से सात - आठ खाली चाय पिये हुए कप के टी-बैग निकाले उन्हें एक कप में निचोड़ा और पी लिया, और जैसे मौज में आया था वैसे ही चला गया। मैं बुत सी खड़ी उस तरफ देखती रह गयी ..... पर जाते - जाते वो अपने साथ मेरे चाय का स्वाद भी ले गया  ....... #ज़िन्दगी

Friday, August 4, 2017

कमियां

ऐसा सुना है मैंने
कमियां ही इन्सान को
इन्सान बनाती हैं
अगर कमी न हो तो
इंसान भी भगवान
जैसा ही हो जाता है ,
तो क्या
"वो मेरी सारी कमियां
नजरअंदाज करता है
मुझे ख़ुदा होने का
एहसास दिलाने के लिए "??

रेवा

Thursday, July 27, 2017

कृपया सोचिएगा जरूर

रविवार को मैंने एक मूवी देखी ,मूवी देखते समय काफी रोई मैं ,देख के घर तो आ गयी पर आज दिन तक दिमाग वही घूम रहा है।
मैंने तो सिर्फ एक नाट्य रूपांतर देखा है तब ये हाल है , पर जिन बच्चियों और औरतों के साथ ऐसा होता है उनके मन की स्थिती को समझना या बयां करना बहुत मुश्किल है।
लेकिन न चाहते हुए भी ऐसा हर दिन होता है , क्या हमारी कोई ज़िम्मेदारी नही ??? हम भी तो इस समाज का हिस्सा है ....तो क्या डर कर चुप रह कर हम अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर रहे है ???
हम बेटियों को कितना सिखाते हैं ....उनके कपड़ों से लेकर मर्दों के कितने पास या दूर रहना है वहां तक , थोड़ी बड़ी होने पर हम उन्हें उनके बाप भाई तक से सतर्क रहने को बोलते हैं। लेकिन क्या हम अपने बेटों को सिखाते हैं कि उन्हें स्त्रियों से कैसा बर्ताव करना चाहिए ?? जब पहली बार उन्हें खुले में शौच कराते हैं तो सोंचते हैं कि कितना गलत कर रहे हैं हम ???? खुले में लड़की हो या लड़का नही जाना चाहिए न , आगे जा कर ये ही बातें गलत रूप लेती हैं ।
नही हम नही सोचतेे आम धारणा तो ये है "अरे ये तो लड़का है " इसी धारना से बढ़ावा मिलता है । क्या हम ये मुहिम नही शुरू कर सकते कि हम अपनी बेटियों के साथ साथ अपने बेटों को भी उस बारे मे शिक्षित करेंगे ???
कृपया सोचिएगा जरूर ।।।।

रेवा

Saturday, July 15, 2017

"सुघड़ गृहणी "




आँखों से अब
आँसू नहीं बहते
जज़्ब हो गए हैं
कोरों मे ........
दिल भी अब
दुखता नहीं
बांध दिया है
सिक्कड़ों से ........
एहसास अब
पहले से नहीं
उठते मन मे
उन्हें बाहर
का रास्ता दिखा
दिया है ........
उम्मीदें भी
नहीं जगती अब
उन्हें गहरी नींद
सुला दिया है .......
एक शून्य की
चादर ओढ़
उस पर
मुस्कान का
इत्र लगा दिया है ........
बोलो अब
दिखती हूँ न मैं
"सुघड़ गृहणी "

रेवा


Monday, July 10, 2017

संस्मरण


अभी कुछ दिनों पहले मैं केरेला के एक टूरिस्ट प्लेस वायनाड गयी थी ,हम जब वहां पहुंचे तो वहां बरसात का मौसम शुरू हो चूका था। वो जगह इतनी सुन्दर है की उसे शब्दों मे वर्णन करना बहुत मुश्किल है। प्रकृति की छटा अपने पुरे यौवन मे ,हर तरफ बिखरी हुई थी ,बरसात मे ऐसा लग रहा था मानो कैनवास पर हरे रंग बिखेर दिए हों ,दिन मे भी वहां कुहासा हो गया था ...... चारो ओर बस शांति और हरियाली ....उस समय वो जगह जन्नत से कम नहीं लग रही  थी। उस दिन हमने  प्रकृति का आनंद उठाया , आराम किया और खूब तस्वीर खिंचे ,दूसरे दिन से हमने घूमना शुरू किया , वहां के लेक और डैम देख कर हम मन्त्र मुग्ध हो रहे थे ...... यहाँ बीच मे एक बात मैं और कहना चाहूंगी वहां के लोगों के बारे मे ,जो सीधे सरल ,धीरे बोलने वाले और बेहतरीन मेजबान हैं ।
तीसरे दिन हमे वापस जाना था। उस दिन हमने प्लान बनाया की जो लेक बचा है वो देखते हुए हम वापस चले जाएंगे।
हम पहुंचे vythiri के एक लेक मे ..... वहां पहुँचते ही ज़ोरों की बारिश शुरू हो गयी। हमे बोटिंग करना था पर वो बारिश की वजह से बंद हो गया था , लेकिन लेक प्राकृतिक था और इतना ख़ूबसूरत की क्या बताऊँ , हम बरसात मे भी रुक गए...  जैसे ही हम वापस जाने लगे मेरी नज़र पड़ी एक माँ पर जो उस बरसात मे अपने छोटे बच्चे को खुद से चिपकाये उसे बचा रही थी..... बार बार उसके बालों पर हाथ फेर रही थी बारिश जितनी तेज़ हो रही थी बच्चा उतना ही माँ से चिपकते जा रहा था , ये माँ है तस्वीर वाली बंदरिया

माँ आखिर माँ होती है चाहे कोई भी रूप हो !!!!! ............................

रेवा






Tuesday, July 4, 2017

कॉफ़ी और तुम






अलसाई सी शाम
कॉफ़ी की कप से
उठता धुआं  
उसकी ख़ुश्बू
मन को
संतुष्टि से भर
देती है .....
लगता है ऐसे लम्हे
मे वही एक कप
सबसे जरूरी है ......
पर जब मन ऐसा हो
तो अनायास ही
तुम्हारी याद आ जाती है
तुम्हारी बातें कॉफ़ी
कि तरह घुलती जाती है
धीरे धीरे मेरे ज़ेहन मे
उसकी ख़ुश्बू की तरह
भर लेती है मुझे अपने
आगोश में
कितने एक जैसे हो न
तुम दोनो ......


रेवा 

Wednesday, June 21, 2017

मायका




मायका मतलब
माँ बाबा का लाड़ ,
मायका मतलब
भाई का प्यार ,
मायका मतलब
भाभी की मनुहार ,
मायका मतलब
भतीजा , भतीजी
और मस्ती ,
पर मायका मतलब
सम्मान और आश्वासन भी
कि सुरक्षित है मेरा बचपन ,
चाहे न रहे माँ बाप
तो भी बना
रहेगा भाई बहनो का प्यार !!
रेवा

Wednesday, June 14, 2017

पैंतालीसवां साल 10

पैंतालीस की होने को आई
पर आज भी
मैं अपने मन का
नही कर पाती हूँ ,
चाहती हूं अलसाई सी
सुबह अख़बार और चाय
के साथ बिताना
पर हर सुबह भाग दौड़ में
बीत जाती है ,
दोपहर होते ही
मन अमृता प्रीतम की
नज़्में पढ़ने को करता है ,
पर कभी काम तो कभी
पारिवारिक जिम्मेदारी
हाथ पकड़ लेती है ,
शाम ढले कॉफी की
चुस्कियों के साथ दोस्तों
का साथ चाहती हूं
पर शामें अक़सर
बजट और बच्चों के
भविष्य की चिंता में
बिता देती हूं ,
बस रात अपनी होती है
पर सपने भी कहाँ
हमारे मन मुताबिक आते हैं ,
पैंतालीस की होने को आई
पर आज भी
मैं अपने मन का
नही कर पाती हूँ ,
पर एक ज़िद
खुद को करने की छूट दी है
कि एक दिन मैं अपने मन की
जरूर पूरी करुँगी !!

रेवा 

Monday, June 5, 2017

खुद से आशिकी






ज़िन्दगी मे पहली बार 

ऐसा हुआ की 

मुझे खुद से प्यार हो गया ....... 

सच मानो

ये एहसास

पहले कभी नहीं हुआ !!!


आह ! पहले मैं कहाँ थी ?

पहले क्यूँ नहीं देखा

इस लड़की को

अपने अंदर ....... 

हमेशा थी वो मेरे


आस पास फिर भी

ढूंढती रही

किसी और मे ,


अब जो मिल गयी है


तो जाने न दूँगी ,

प्यार से इसे प्यार करुँगी

हर पल खुद को

याद दिलाती रहूँगी

ताकि कायम रहे 

खुद से खुद की आशिकी !!

रेवा

Friday, June 2, 2017

चाँद




रोज़ की तरह
आज फिर चाँद ने
खिड़की पर आ कर
आवाज़ लगायी ,
पर आज मुझे
वहाँ न पाकर
आश्चर्यचकित था ,
रोज़ टकटकी लगा कर
इंतज़ार करने वाली
ढेरों बातें करने वाली
आज कहाँ गायब हो गयी ?
उसे क्या पता था
आज वो अपने
चाँद को छोड़
अपने प्रियतम की बाँहों
मे झूल रही है ,
आज चाँद ने
औरों की तरह
उसे भी बेवफा
करार कर तो कर दिया,
पर आज चाँद से
ज्यादा खुश
और कोई नहीं था ,
आखिर उसकी
प्रेयसी अपने प्यार
के साथ जो थी ...........


रेवा


Thursday, May 25, 2017

पापा

पापा 

मुझे दर्द बहुत होता है
जब आपकी तस्वीरों
पर माला देखती हूँ 

मुझे दर्द बहुत होता है
जब माँ को तन्हाइयों से
लड़ते देखती हूँ  

मुझे दर्द बहुत होता है
जब  गर्मियों में
बच्चों की छुट्टियां होती हैं
और आपकी आवाज
नहीं आती,

मुझे दर्द बहुत होता है
जब भईया को इस उम्र में
इतना बड़ा बनते देखती हूँ ,

पापा बहुत याद आते हैं आप
जब मुझे ज़िद करने की
इच्छा होती है ,

बहुत रोती हूँ मैं
जब कोई लाड़ से मनुहार
नही करता ,

पापा बहुत दर्द होता है
जब मुझे एक दोस्त चाहिए
होता है समझने
और प्यार करने के लिए ,

पर एक बात की खुशी
हमेशा रहेगी कि भगवान ने
आपको दर्द से सदा के लिए
मुक्त कर दिया ,

इसी आस के साथ मैं भी
ज़िंदा हूँ पापा
कि एक दिन हम फिर मिलेंगे
अनंत से आगे इस दुनिया से दूर
जन्नत में।

रेवा 

Thursday, May 18, 2017

अनजानी लड़की




एक लड़की है
अनजानी सी ,
थोड़ी पगली
थोड़ी दीवानी सी ,
जीवन उसकी है
एक कहानी सी ,
कहती है झल्ली
खुद को
पर वो न जाने वो है
सयानी सी ,
हर बात मे कहती
"एक बात बताओ "
और फिर खुद ही
पिरोती जाती
अनगिनत बातें ,
पर बातें उसकी
नही होती बेगानी सी ,
ऐसे अपना लेती
जैसे
जन्मों से हो
पहचानी सी ,
गर जीवन मे
मिल जाये ऐसी दोस्त
तो फिर
जिंदगी खिल जाती
गुलमोहर सी ....

रेवा

Sunday, May 14, 2017

मीठे बूँद




बड़ी शिद्दत से आजकल
महसूस होता है की 
मुझे दुबारा प्यार हो गया है
तुमसे ,
फिर से हवाओं मे
उड़ने लगी हूँ ,
सर्दी कि खिली धुप सी
खिलने लगी हूँ ,
हर पल मन मे
हलकी गुद- गुदी
महसूस होती है ,
छोटी-छोटी बातों में
आँखें प्यार से
डबडबाने लगतीं हैं ,
पर इस बार पहले की तरह 

ये नमकीन
आँसू नहीं है ,
बल्कि मीठे
रस से भरे बूँद हैं  ,
दुबारा इस एहसास से
रुबरु होना
ख़ुदा कि इबादत जैसा
लगता है ,
शुक्रिया मेरे हमसफ़र
ज़िन्दगी के सफ़र को
प्यार के मीठे बूँदों से
भरने के लिए.......... 


रेवा



Monday, May 8, 2017

सिन्दूर




जब से तुझसे
ब्याह हुआ
इस सिन्दूर से भी
रिश्ता जुड़ गया  ,
रोज़ सुबह इसे
अपनी मांग मे भरना
हमारे ब्याह की निशानी
मात्र नही
ये तो तुम्हारा प्यार है
जिसे रोज़ सुबह
मै
ख़ुद मे भर लेती हूँ ,
इसका लाल रंग
मुझे तुम्हारे साथ
बिताये
हर सिन्दूरी लम्हे की
याद दिलाता है ,
हर उस वादे की
जो हमने एक दूसरे से किया
और जिसे हम अब तक
निभाते आये  ,
हर उस दुःख की
जो हम साथ बाँट लेते हैं ,
हर उस सुकून भरे पल की
जो एक दूजे के पहलु
मे बिताते हैं ,
यही दुआ है
उस परवरदिगार से की
हर स्त्री के जीवन मे
प्यार की लाली
बरक़रार रहे !!!!!!!!


रेवा

Wednesday, May 3, 2017

बिखरे सपने





टूट कर बिखरे सपने
पड़े हैं एक कोने मे ,                
आज उन्हें
सिसकने की भी
इज़ाज़त नहीं ,
क्यूंकि गलती तो
इनकी ही है ,
क्यों बस गए इन आँखों मे
सतरंगी पंख लगा कर ,
अब तो पंख का
बस एक ही रंग
बचा है स्याह सा ,
उसे भी आज नोच कर
परे कर दिया गया है
और बच गयी है
ये सुनी बेजान आँखें ..........

रेवा





Thursday, April 27, 2017

अजीब दस्तूर है तुम्हारा





अजीब दस्तूर है तुम्हारा
ऐ सनम
दिल में एहसास
और होठों पर
चुप्पी रखते हो .....
बड़े मगरूर हो
प्यार भी करते हो
और दुरी भी
कमाल की रखते हो......
इतने मौका परस्त हो
जब हालात
नागवार हो जाते हैं
तब ही याद करते हो .....
बड़े ज़ालिम हो
न खुद जीते हो
न हमे जीने देते हो .....
अजीब दस्तूर है तुम्हारा ए सनम !!!
रेवा

Saturday, April 22, 2017

सात फेरे







सात फेरों से 
शुरू हुआ 
जीवन का ये सफर ,
सात फेरे 
सात जनम के लिए
सात वचनों से गढ़े
सात गांठों मे बंधे ,
हम दोनों ने पूरी की

ये सारी रस्में ,
निभाते रहे हम
हर एक वचन मे 

अनगिनत वचन
ता उम्र नही खोली कोई
भी गाँठ ,
पर जब अंतिम वचन
कि बात आई
तो तुमने खोल ली
अपनी गांठ
चले गए अकेले
छोड़ मुझे अपनी
यादों के साथ ,
पर अब वहां करना
मेरा इंतज़ार
अगले जन्म
फिर तुमसे करनी है मुलाकात !!!!  


रेवा 

Monday, April 17, 2017

वो देखो मदारी आया




वो देखो मदारी आया
बच्चों को बहुत भाया
तरह तरह के खेल दिखाता
कभी बन्दर को दुल्हन बनाता
कभी खुद बन्दर बन हँसता
बच्चों को बहुत भाता
खेल खेल मे सिख सिखाई
कभी न करना तुम सब लड़ाई
मिल जुल कर सदा रहना
जैसे एक माचिस मे रहती अनेक सलाई  !!

रेवा



Wednesday, April 12, 2017

मेरा वज़ूद




अपने शरीर से आज
झाड़ ली है मैंने
वो सारी कही अनकही
बातों की धूल  ,
अब मुझे साफ़
दिख रहा है
अपना  वजुद ,
पर घर की तरह
इस धूल को भी
मुझे रोज़ झड़ना होगा ,
वार्ना ये फिर
मेरे शरीर को अपना
बना लेंगे
और धुँधला जायेगा
मेरा वज़ूद

रेवा


Thursday, April 6, 2017

अनमोल मोती







सीपों मे बंद
मोती
जैसे आँसू
आज ढुलक कर
बिखर गए हैं
हमारे चारों तरफ ,
उन्हें जमा कर
एक माला बनाई है मैंने ,
जिसमे कुछ
मेरे मोती हैं और
कुछ तुम्हारे ,
क्या तुम बता सकते हो
कौन सा मोती बेहतरीन है ?      
किस मोती का क्या मोल है ?         
ठीक वैसे ही
तुम नहीं अंतर कर सकते
हमारे प्यार में ,
नहीं तय कर सकते इसका मूल्य
" हमारा प्यार वो अनमोल रत्न है
जो साल दर साल चमकता है
हमारे साथ और समर्पण से "

रेवा



Monday, March 27, 2017

जी करता है





आज खुद को गले
लगा कर सोने को
जी करता है ,
अपने कंधे पर
सर रख कर
रोने को
जी करता  है ,
अपने आंसुओं से
शिवालय धोने को
जी करता  है ,
समुन्द्र के रेत से
बनाया था जो आशियाना
उसे समुन्द्र को
सौंपने का
जी करता है ,
बिन पहचान जीते
रहे आज तक
अब अपनी पहचान
के साथ मरने को
जी करता है ,
आज खुद को गले
लगा कर सोने को
जी करता है..........

रेवा


Wednesday, March 22, 2017

वो देखो फ़ाग आया





वो देखो फ़ाग आया 

संग अपने अनेकों
रंग लाया
पेड़ों को
फूलों से नहलाया 
वो देखो फ़ाग आया

गोरी के गालों को
रंगों से सहलाया
आँखों को हया
का कजरा लगाया 
वो देखो फ़ाग आया

सूनी धरती को
वृंदावन बनाया
राधा और कान्हा के
प्यार से सजाया
वो देखो फ़ाग आया !!!!!

रेवा 


Wednesday, March 8, 2017

अंतिम ज़िद





अपने बारे में
आज सोचने
बैठी तो....
कुछ समझ ही नहीं आया
मुझे क्या पसंद 
क्या नापसंद
कुछ याद ही नहीं ???
एक वो ज़माना था
जब माँ खिचड़ी

या मेरी नापसंद की 
कोई भी चीज़ 
बनाती थी तो मैं
हल्ला कर के सारा
घर सर पर उठा लेती थी
और एक आज
जो बन जाता है
खा लेती हूँ ....
न किसी चीज़ की
ज़िद न कोई
शिकायत ....... 
अब खीर बता कर
न कोई
दूध चावल
खिलाने वाला ....
न गली पर
कोई आइसक्रीम वाला
आवाज़ देने वाला
न ही मदारी
का खेल कहीं
नज़र आता....
न गोद में सर रख कर
अब कोई
पुचकारने वाला...
न बीमारी में
रात भर सिरहाने
बैठ सर सहला
हनुमान चालीस पढ़ने वाला

माँ फिर से मुझे
मेरा बचपन लौटा दो न
बस ये एक अंतिम ज़िद
पूरी कर दो माँ !!

रेवा            

Tuesday, January 31, 2017

प्यार भरी किताब



लिखा जब भी
मैंने खुद को ........
मेहसूस किया
इस कागज़ ने
तब मुझको ,
लिखे जब
दर्द भरे अल्फ़ाज़
इसके दिल पर ,
तकलीफ़ इसे भी हुई
शब्दों से मिल कर ,
जब  हुई इसकी
मुलाकात
मेरे आँसुओं के साथ

स्याही
ने भी बिखर कर
किया एहसास ,

पर अब बस
बहुत कर लिया
हमने दर्द का सफ़र 

आज से ये वादा है 
एक दूजे के साथ की 
अब हम मिलकर लिखेंगे 
सिर्फ प्यार भरी किताब !!!!



रेवा  

Commen

Tuesday, January 24, 2017

अजनबी आवाज़





इतने सालों के साथ
और प्यार के बाद ,
आज एक अजीब सी
हिचकिचाहट
महसूस हो रही है ,

तेरी  वहीँ
रूहानी आवाज़
जिस पर मैं मरती हूँ
अजनबी सी
लगने लगी  ,

समझना नामुमकिन
सा हो गया है की
ऐसा क्यों
क्या मेरी सोच मे
फर्क आ गया  !
या हालात ने करवट
बदल ली ..............

"जैसे भी हों हालत-ओ -जज़्बात
रिसते हैं दिल के ज़ख्म
बन कर एक अनकही फरियाद "

रेवा

Wednesday, January 11, 2017

मुझे रहने दो






मुझे रहने दो मेरे घर मे अकेले
ये बखूबी जनता है मेरे मिज़ाज
जब भी ख्याल बिखरते हैं
बटोर कर सहेज लेता है उन्हें
सजा देता है करीने से अलमारियों मे
ताकि झाड़ू बुहार न ले जाये उन्हें
मुझे रहने दो मेरे घर मे अकेले ,

भरी बरसात मे और गर्म दुपहरिया मे
माँ की तरह देखभाल करता है मेरी
धूप और तूफान के हर कतरे
को रखता है दूर मुझसे
ताकि महफूज़ रह सकूँ
मैं उसके साये मे .............
मुझे रहने दो मेरे घर मे अकेले।

रेवा


Monday, January 2, 2017

दिल की चाहत







हँस के
हम अपना हर
दर्द छिपा लेते है
हमे प्यार है
तुमसे
ये बात हम अपनी
निग़ाहों से भी बचा लेते हैं 

तुम्हें इंकार तो नहीं
पर मैं अपने
रिश्तों से बंधी
हर बार इनकार
कर देती हूँ 

और दिल की चाहत
अपने आहों मे भर
रूह के हवाले
कर देती हूँ


रेवा