उसके साथ रहते हुए भी
इतनी तन्हाई
इतनी तन्हाई
क्यों महसूस होती है ?
अपनी लकीरों में तो उसे
पाया है न
फिर भी क्यों दूर मुझसे
मेरा साया है ??
अपनी लकीरों में तो उसे
पाया है न
फिर भी क्यों दूर मुझसे
मेरा साया है ??
जब चाहती हूं
उसमे सिमटना
अपना दर्द बांटना
उसके बाजुओं को
अपने आंसुओं से भिगोना
तो वो क्यों नहीं मिलता ?
उसमे सिमटना
अपना दर्द बांटना
उसके बाजुओं को
अपने आंसुओं से भिगोना
तो वो क्यों नहीं मिलता ?
कहाँ चला जाता है
हर बार
मुझे यूँ अकेला कर
मेरा ही साया ??
हर बार
मुझे यूँ अकेला कर
मेरा ही साया ??
#रेवा
बहुत खूब 👌👌 शानदार रचना
ReplyDeleteशुक्रिया अनुराधा जी
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19.7.2018 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3037 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
आभार Dilbag जी
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 100वां जन्म दिवस - नेल्सन मंडेला और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteशुक्रिया सदा जी
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