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Friday, July 6, 2018

काश पापा आज आप होते

काश मैंने आपके सामने
लिखना शुरू किया होता
काश मैं अपनी
पहली किताब
आपको भेंट कर पाती
काश आप अख़बार में  
अचानक  मेरी लिखी 
कविता पढ़ते और
सबको पकड़ पकड़
कर बताते
मेरी हर उपलब्धि पर 
मुझे फ़ोन कर बधाई देते
जानते हैं पापा 
वैसी ख़ुशी 
दुनिया में  किसी को
नहीं होती है
काश आपके चेहरे पर
मेरे लिए वो गर्व की
रेखाएं मैं देख पाती .....
काश पापा आज आप होते !!


रेवा

10 comments:

  1. दिल को छू गई आपकी रचना रेवा जी

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  2. रेवा, आपने हर बेटी का दर्द लिख दिया, पापा की याद इसतरह दिलाना बहुत कुछ कह गया..

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार 07-07-2018) को "उन्हें हम प्यार करते हैं" (चर्चा अंक-3025) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. सुन्दर रचना

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  5. ये काश! कई सुअवसरों पर मन को व्यथित कर देता है....

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