काश मैंने आपके सामने
लिखना शुरू किया होता
काश मैं अपनी
पहली किताब
आपको भेंट कर पाती
काश आप अख़बार में
लिखना शुरू किया होता
काश मैं अपनी
पहली किताब
आपको भेंट कर पाती
काश आप अख़बार में
अचानक मेरी लिखी
कविता पढ़ते और
सबको पकड़ पकड़
कर बताते
सबको पकड़ पकड़
कर बताते
मेरी हर उपलब्धि पर
मुझे फ़ोन कर बधाई देते
जानते हैं पापा
वैसी ख़ुशी
दुनिया में किसी को
नहीं होती है
काश आपके चेहरे पर
मेरे लिए वो गर्व की
रेखाएं मैं देख पाती .....
काश पापा आज आप होते !!
नहीं होती है
काश आपके चेहरे पर
मेरे लिए वो गर्व की
रेखाएं मैं देख पाती .....
काश पापा आज आप होते !!
रेवा
दिल को छू गई आपकी रचना रेवा जी
ReplyDeleteshukriya Anuradha ji
Deleteरेवा, आपने हर बेटी का दर्द लिख दिया, पापा की याद इसतरह दिलाना बहुत कुछ कह गया..
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार 07-07-2018) को "उन्हें हम प्यार करते हैं" (चर्चा अंक-3025) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteshukriya
Deleteये काश! कई सुअवसरों पर मन को व्यथित कर देता है....
ReplyDeleteसच .....शुक्रिया
Delete