आज विमल रीता को देखने आने वाला है .....रीता के घर में सुबह से तैयारी चल रही है , वो भी आज पार्लर से खास तैयार हो कर आई .....वैसे तो दिखने में वो एक आम लड़की है पर बहुत सुलझी हुई और समझदार , पढ़ाई में सामन्य पर बहुत क्लासेज कर रखी थी उसने , चाहे पैकिंग हो कंप्यूटर हो या ब्यूटी कोर्स , सब किया था उसने ...... घर मे वो सबसे छोटी थी सो खूब लाड़ प्यार मे पली बड़ी .....बड़े दो भाई बहन की शादी हो गयी और अब सबको को उसकी शादी की जल्दी थी .......इसी से उसकी पढाई पूरी होते ही लड़का ढूंढने लगे , विमल उसके पिता के दोस्त के दूर के रिश्तेदार का बेटा था वहीँ से उसके लिए रिश्ता आया था ।
रीता ने विमल को पहली बार देखा और वो उसके मन को भा गया...... ऊँचा कद सांवला रंग, क्लीन शेव न ज्यादा मोटा न पतला , रेड शर्ट और ब्लू जीन्स मे डैशिंग लग रहा था , अच्छे जॉब मे भी था ......बिज़नेस मैन रीता को जरा भी पसंद नहीं , उसने अपने पापा को देखा था कैसे रात दिन बस काम मे लगे रहते थे ...... हुँह उनकी भी कोई लाइफ होती है , न घर आने का कोई फिक्स टाइम न जाने का , नही घूमने फिरने का समय।
इसी से उसे बिज़नेस मैन से शादी करने का बिलकुल भी मन नहीं था।
विमल को भी हलकी गुलाबी साड़ी मे लिपटी रीता एक नज़र मे पसंद आ गयी , घर वालों को तो पहले ही पसंद थी रीता .....बातों बातों मे सब ने हस कर हामी भरी और दोनों को कुछ देर समय दिया ताकि वे भी आपस मे बात कर आश्वस्त हो जाएं.......बातों के दौरान पता चला की उनका नेचर काफी मिलता जुलता है एक दूसरे से........बस फिर क्या था रिश्ता पक्का हो गया , रीता इतनी खुश हुई की उसे लगा उसका दिल उछल कर बहार आ जायेगा , पंडित को तुरन्त बुला कर तारिख निकलवाई गयी ,शादी की तारीख कुछ जल्दी की निकली आगे मुहरत जो अच्छे नहीं थे।
इस वजह से सगाई ज्यादा दिन नहीं रही.....दोनों ज्यादा घूम फिर नहीं पाये ३ ४ बार ही मिलना हो पाया , इन मुलाकातों में ये तो पता चल गया की विमल काफी आज़ाद ख्याल का और केयरिंग है। समझदारी से पैसे खर्चा करता है......न बहुत ज्यादा बोलता है न कम......पर फिर भी दोनों एक दूजे को ज्यादा अच्छी तरह जान नहीं पाये ,ये बात रीता को खल रही थी। जब ये विमल से बोला तो उसने कहा कोई बात नहीं अब तो सारी ज़िन्दगी एक साथ रहना एक दूसरे को पूरी तरह समझने का बहुत वक्त मिलेगा , तो रीता आश्वस्त हो गयी। देखते देखते शादी का दिन नजदीक आ गया .... खूब रची थी उसके हाँथों की मेहँदी , सबने चिढ़ाया बहुत प्यार करेगा विमल तुझे और ये सुन वो शर्म से लाल हो जाती , दूल्हा बना विमल भी बहुत जच् रहा था। मंत्रो के बीच दोनों का विवाह राजी ख़ुशी संपन्न हो गया। विदाई के समय माँ की सीख और आंसू पल्लू से बांध कर चली आई ससुराल .... एक बड़ी और एक छोटी ननद थी उसकी ..... छोटा सा परिवार , सारे नेग चार निबट गए और उसे उसके कमरे मे सजा धजा कर बैठा दिया गया।
हर लड़की की तरह इस रात को लेकर उसने भी अनेक सपने संजोये थे। वो बेसब्री से विमल का इंतज़ार करते करते सतरंगी ख्वाबों मे खो गयी .....अचानक खट की आवाज़ हुई , वो समझ गयी विमल आ गए , उनके आने का आभास भर से वो अपने मे सिमट गयी। उसे लग रहा था जैसे उसके गाल लाज से सुर्ख हो गए हैं, जबान तालु मे चिपक गयी है , थोड़ा डर भी लग रहा था। विमल आया और चुप चाप पलंग पर बैठ गया ......काफी देर वैसे ही बैठा रहा , न कोई बात न चुहल बाज़ी न ही उसे देख मुस्कुराया ,न कुछ पूछा , फिर कमरे मे इधर उधर घूमता रहा रीता को बहुत अजीब लग रहा था , अभी वो सोचने की कोशिश ही कर रही थी की क्या हुआ विमल को ? इतने मे ही उसने देखा की विमल एक उपन्यास लेकर मुँह दूसरी तरफ कर के लेट गया , रीता को धक्का सा लगा ......नाना प्रकार के बुरे ख्याल आने लगे .......कहीं ऐसा तो नहीं विमल अब उसको पसंद नहीं करता ,कहीं उसकी ज़िन्दगी मे कोई और तो नहीं। कुछ देर वो चुप रही , पर जब काफी देर बाद भी विमल वैसे ही लेटा रहा तो उससे चुप न रहा गया और पूछ ही बैठी "क्या बात है काफी परेशान लग रहे हो " विमल ने कहा "कुछ नहीं बस ऐसे ही " रीता के २ ३ बार पूछने पर भी जब उसने कोई जवाब नहीं दिया तो रीता को गुस्सा आया और तकलीफ भी हुई पर , उसने एक बार और कोशिश की और विमल को कहा की "अब मैं आपकी जीवन भर की साथी हूँ , मुझसे नहीं बांटोगे अपनी परेशानी तो निभाना बहुत मुश्किल हो जायेगा , मुझे बीवी बाद मे पहले अपनी दोस्त समझो और फिर बताओ क्या बात है ,थोड़ी देर चुप रहने के बाद बिमल बोला थोड़ी लम्बी बात है ,रीता ने कहा कोई बात नहीं मैं सुनने को तैयार हूँ।
हम ३ दोस्त हुआ करते थे तीनों मिडिल क्लास फैमिली से थे , एक ही स्कूल मे बचपन से एक साथ पढ़ते थे हमारी दोस्ती पुरे स्कूल की शान थी , हर चीज़ मे हम तीनो आगे चाहे स्पोर्ट्स हो डिबेट हो या कोई cultural activity हम तीनो का नाम पहले ही लिख दिया जाता ,हमारी दोस्ती की मिसालें दी जाती ,हमे तीन बदन एक जान बोला जाता था ,हमारे माता पिता भी दोस्त या कह लो रिश्तेदार बन गए ,इस वजह से भी मिलने जुलने मे काफी आसानी हो जाती ,यहाँ तक की होली हर साल हम सब एक साथ ही खेलते थे ,ठण्ड के समय पिकनिक और वैसे एक दूसरे के घर पढ़ने आया जाया करते । 'किशन हममे सबसे बड़ा था अपनी दो बहनों का इकलौता छोटा भाई पर उसके पापा नहीं थे ,दिखने मे वो राजकुमार सा लगता ,मुझे दोस्त और छोटे भाई सा प्यार देता बन्टी को एक बड़ा भाई और एक बड़ी बेहेन थी ,वो दिखने मे थोड़ा नाटा था पर सोने जैसा मन था उसका । हम दोनों उसे खूब चिढ़ाया करते थे ,मैं और बन्टी उम्र मे बराबर थे अच्छे दोस्त होते हुए भी लड़ लिया करते तब हमेशा किशन बीच बचाव करता।
ये उन दिनों की बात है जब हम ९वि क्लास मे थे ........ हमारी गर्मी की छुट्टियां चल रही थी , किशन सुबह सुबह आ धमका घर ,मैं बाथरूम मे था दीदी ने उसे बैठाया और बोला "तेरे पसंद का 'नाश्ता है किशन खा ले "पर उसे जाने किस बात की जल्दी थी दीदी से पूछ मुझे बाथरूम से जल्दी निकलने को कहने लगा ,मैं बहार आया तो बोला " चल विमल घूमने चलते हैं यहीं कहीं पास मे ......... बन्टी को भी उसके घर से ले लेंगे ,मेरे मम्मी पापा घर पर थे नहीं सो मैं दीदी को बता कर निकल गया , हम दोनों बन्टी के घर गए पहले तो ताईजी ने मना कर दिया पर बहुत बोलने पर मान गयी , हम तीनो ने वहां नाश्ता किया फिर जल्दी वापस आने का बोल कर निकल गए , अब मसला ये था की जाना कहाँ है ?? किशन तीनों मे सबसे बड़ा था उसने कहा "पास ही एक डैम है बहुत नाम सुना है चल आज वहीँ चलते हैं" पहले बन्टी और मैंने मना कर दिया पर किशन के बहुत बोलने पर चल दिए , अब आया सवाल कैसे जाएंगे डैम पैसे तो है नहीं पास मे तो किशन ने कहा उसके पास कुछ पैसे हैं जिसमे तीनो का आना जाना हो जायेगा। फिर क्या था निकल पड़े हम मस्ताने , हमने एक ऑटो रिक्शा ली और रास्ते भर मस्ती करते पहुँच गए डैम........ ज्यादा भीड़ नहीं थी उस दिन ,पहले हम वहाँ बैठे पानी का आनंद लेते रहे ,फिर किशन ने कहा "चल यार नहाते हैं " बन्टी ने उसका समर्थन किया ,पर मुझे पैर मे फोड़े हो रखे थे सो मैंने मना कर दिया उनके बहुत कहने पर भी तैयार नहीं हुआ तो दोनो ने अपने कपड़े उतारे और मुझे कहा की तू यहीं बैठ हमारे कपड़े की रखवाली कर हम आते हैं ..............
कुछ देर वो किनारे पर ही पानी मे खेलते रहे फिर थोड़ा आगे गए ...... मैं बोर होने लगा और उन्हें आवाज़ देने लगा की आ जाओ अब , तो बोले रुक विमल आतें हैं थोड़ी देर मे बड़ा मज़ा आ रहा है वो आगे और आगे जाने लगे मैं किनारे से ही देख रहा था , थोड़ी देर मे वो मेरी नज़रों से ओझल हो गए मुझे लगा मुझे डरा रहे हैं जरूर पानी मे छिप गए होंगे , मैंने आवाज़ लगायी बोला की डांट पड़ेगी घर जा कर लेट हो रहा है अब आ जाओ , पर कोई जवाब नहीं आया ........ बार बार आवाज़ लगायी कोई जवाब नहीं ,मैं अब डर गया बदहवास सा उन्हें आवाज़ लगाता रहा ,वहां आस पास कुछ लोग थे उन्हे बताया और मदद के लिए बोलता रहा , पर उन दोनों का कहीं पता न लगा ,मेरे पास पैसे भी नहीं थे घर कैसे जाता सबको कैसे बताता , फिर याद आया किशन के पास पैसे थे सो उनके कपडे लेकर उनकी जेब टटोली ........... तो कुछ पैसे मिले किसी तरह डर से कांपता गिरता पड़ता ऑटो कर के घर आया दीदी को सारी बात बताई उनके कपड़े दिए ,दीदी ने तुरंत मम्मी पापा को फ़ोन किया ,वो लोग घर आये और मुझे डांटने लगे ...... और फिर बात डैम भागे मुझे लेकर ,वहाँ गोताखोरों को ३ घंटे लगे उन्हें ढूंढने मे , उन्हें बहार निकला गया तो वे इस दुनिया से जा चुके थे ,गोताखोरों के अनुसार वो पानी के भंवर मे फंस गए थे ........... मैं एकदम भक्क रह गया बोली जैसे बंद हो गयी , मुझे घर लाया गया , माँ उस दिन मुझे छाती से लगा बहुत रोई बार बार भगवान का शुक्रिया अदा करती और मुझे प्यार करती ......पर मुझे तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ,मैं पुरे ५ महीने स्कूल नहीं जा पाया उस हादसे ने मेरे मन पर गहरा असर किया था , मम्मी मुझे एक मिनट को भी अकेला नहीं छोड़ती थी ...... कितने दिनों तक मैं दहशत मे रहा माँ पापा के बीच सोता ....... रात को डर से उठ जाता मुझे हर जगह पानी ही पानी नज़र आता ,ऐसा लगता था दोनों मुझे मदद के लिए बुला रहे हैं , मैं जैसे ही हाँथ बढ़ाता मेरी नींद खुल जाती , माँ पाठ पूजा गंडे ताबीज़ जाने क्या क्या करती कभी डॉक्टर कभी कुछ ......... फिर धीरे धीरे सबके प्यार से मैं सामन्य होने लगा।
सबसे बरस हाल किशन के परिवार का था...... उसके पिता भी नहीं थे ,मुझसे तो उनलोगो ने किनारा ही कर लिया था ....... तीनों परिवारों के बीच दरार आ गयी उन दोनों की फैमिली को लगता था इसमे मेरी गलती है , मुझे ये बात बहुत तकलीफ देती ,मन करता था उनके घर जाने का पर नहीं जा पाता था ....... पर कहते हैं न समय हर बात का मरहम होता है , मैं भी धीरे धीर अपनी पढाई मे व्यस्त हो गया ........उनके परिवार वाले भी अपना जीवन जीने लगे ........ लेकिन मैं कुछ भी भूल नहीं पाया ,सबको यहीं लगा की मुझे अब कुछ भी याद नहीं , पर बचपन की यारी थी हमारी आज भी उन दोनों का चेहरा मेरी आँखों के आगे घूमता रहता है ,कभी कभी तो मुझे भी लगता है की शायद मैं जिम्मेदार हूँ इस सबका , और तब अपराधबोध से भर उठता हूँ.........या तो मैं भी चला जाता उनके साथ ......... या उस दिन उन दोनों को पानी मे न जाने दिया होता ,किसी तरह रोक लेता तो आज वो मेरे साथ होते ,मेरी शादी मे शामिल होते ........ आज का दिन मेरी ज़िन्दगी का कितना बड़ा और एहम दिन है बार बार मुझे उन दोनों की कमी खल रही है ...... ये कह कर विमल की आँखों से अश्रुधार बहने लगे बच्चों की तरह फफक फफक कर रोने लगा।
रीता चुपचाप सुनती रही , उसे समझ ही नहीं आया की वो क्या करे........ इतनी बड़ी बात कैसे रियेक्ट करे उसे कैसे सांत्वना दे। प्यार हर मर्ज़ को कम कर देता है ये सोच वो प्यार से विमल का सर सहलाती उसे समझाने लगी ..... कुछ एक घण्टे में विमल शांत हुआ ....... तब तक भोर होने को थी ....ऐसी सुहागरात किसी की
नहीं होती होगी पर वो फिर भी खुश है विमल ने अपने दिल का गहरा राज़ उसे बताया और यही तो एक प्यार भरे रिश्ते की शुरुआत है।
रेवा
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (28-07-2018) को "ग़ैर की किस्मत अच्छी लगती है" (चर्चा अंक-3046) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteबेहद मार्मिक बहुत सुंदर लेख लिखा आपने 👌
ReplyDeleteशुक्रिया Anuradha जी
Deleteअच्छा लिखा है।
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteमार्मिक कहानी
ReplyDeleteशुक्रिया
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