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Friday, July 10, 2009

आहिस्ता आहिस्ता

आहिस्ता आहिस्ता
दिल कब पराया हो गया
पता ही न चला,

आहिस्ता आहिस्ता
कब वो मुझमे बस गया
पता ही न चला,

आहिस्ता आहिस्ता
कब मैं उसके सपनों
में खोने लगी
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब उसका ख्याल,
उसकी बातें मेरी ज़िन्दगी बन गए
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब मेरी हँसी ,मेरी खुशी ,मेरे आंसू सब
उससे जुड़ गए पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब उसके दिल उसकी बाँहो में मैं
बसने लगी पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब मेरी हर धड़कन
हर साँस उसकी हो गई
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब एक दिन उसकी बाँहो में
मैं अपनी आखिरी साँस लुंगी
पता ही न चलेगा .............

रेवा









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