मैं खिड़की के कोने खड़े हो कर तेरा इंतज़ार करती
तेरे एक स्पर्श के लिए महीनों तड़पती
तुझे याद कर के अपनी साड़ी का पल्लू भिगोतीइतना बेकरार हो जाती की तमाम कोशिशों के
बावजूद तेरी आवाज़ सुन कर गला भर आता ,
याद की इन्तहा होने पर
तेरे कपड़ों में पागलो की तरह तेरी खुशबू ढूंढती
और बिना बात ही हर बात पर रो पड़ती ..........
महीनों बाद जब तेरे आने की ख़बर मिलती
एक खुशी की लहर बन कर हर जगह फ़ैल जाती
मुझे लगता की मेरी खुशी ,मेरी हँसी ,मेरा चैन
मेरा सुकून ,मेरी ज़िन्दगी आ रही है ....
पर आने के बाद तेरी वो बेरुखी, उफ्फ्फ !
तेरा मेरे एहसासों को मेरे जज्बातों को
मेरी तड़प को ,नज़र अंदाज़ करना
मैं जैसी हूँ वैसा ही छोड़ कर चले जाना .....
मुझे और भी आंसुओं मैं डुबो देता
लगता जैसे चारों तरफ़ एक शुन्य
एक सूनापन बिखर गया
जैसे जीवन सूना, आधारहीन हो गया
विरह मे वेदना सहना आसान है ,
पर मिलन में कैसे सहा जाये विरह वेदना ??
रेवा
प्यार की पतंग , चाहत की डोर से ,
ReplyDeleteउमीदों के झोंकों से , बहुत देर तक उड़ती हे ;
ना जाने कोन सा पल हमको झंझोडाता हुआ ,
ख्वाबों को तोड़ता हुआ , सागर की लहरों मै भंवर बनाता हुआ ,
हमको अपने भीतर बहुत नीचे ले जाता हे , तब मेरे दोस्त ....
ये जिंदगी वीरान लगती हे , सहज ख़ुशी जीने के खातिर भी !
....प्रदीप
Uff ! Aisa kisee ka naseeb na ho...dua harek birahan ke liye nikalti hai...aisee agan me koyi na jale..
ReplyDeletethats really awsum rewa bahut dard hai tere is poetry me aur feel like reading it again and again.
ReplyDeleteभाव स्तर पर बढ़िया कविता. बधाई !
ReplyDeleteविरह के दर्द की बड़ी शिद्दत है इस रचना मे...
ReplyDeleteW.Salaam Rewa
ReplyDeleteBahot Hi Sohna Beyaan Kitta Haga Tusi
Subhaan-allah
Ro-Ro ke nhio milega is duniya vich kujh.
khush raho mere vangu,
zindagi vich sada muskurande raho.
Chal Chal Badi Aayi Rewa Di Bachhi Daal Daal Kachi Meri Ice-Cream Deo,Nhi to Mummy Nu Teri Shikayat La Du
-Vijay Sufi
Sachi muhabbat ki virah vedna hai ye jo kisi samarpit premi main hoti hai ya parmatma ke pyare main hoti hai...kuchh aisa he virah meera ka tha jo kan kan main samaye krishna ke saath hone par bhi virah vedna main thee !!!
ReplyDeleteBahot sunder ...bhavuk hoon is liye ye kavita dil ko chhoo gayee..
kya baat hai.narayan narayan
ReplyDeletevery good
ReplyDeleteWe can't assume any life without love and attraction but its not a matter you fall in love with only ur beloved, You can love with any creature in the exsiting world.
actully a true love generated by ur mind to heart and ur feeling for socity and all god gifted organism.
हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें तथा अपने सुन्दर
विचारों से उत्साहवर्धन करें
चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
ReplyDelete---
महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
Dard bhari pankteeyan.....written really well.
ReplyDeleteयथार्थ से उपजी अनुभूति का दर्द बहुत ही सुन्दर ढंग से उकेरा है आपने शव्दों में. आभार आपका.
ReplyDeletetere kapdon mein paglon ki tarah teri khushboo dhundhnaa....wah .pyarke shikher ko vyakt kerti ye kavita....aaj ke dour mein ..jab aatank ka dhunwa sab ore uth reha hai ..aise lekhan ki jarurat hai...reva ..badhai
ReplyDeletebahut hee achee kahee hai ye kavitaa bahut bahut man ko chuyaa hai
ReplyDeleteHeart touching
ReplyDeletethank u
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