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Thursday, October 22, 2020

ताउम्र




मैं तो नहीं रहने वाली ताउम्र यहां 
आप 
क्या आप रहने वाले हैं
हमेशा के लिए यहां
नहीं ना
तो फिर इतनी चिंता किस
बात की
अरे खुल कर जियो
मौज में रहो

चार पैसे कम कमा लोगे
तो कुछ न बिगड़ेगा
कौन सा साथ लेकर
जाना है
जितनी जरूरत है उतना
कमाओ
मशहूर न हुए न सही
ऊपर कोई नहीं पूछने वाला

लेकिन सोचो
इन सब की वजह से
अगर ज़िन्दगी न जिया
तो वो न मिलने की दोबारा
ये बस इसी बार है
तो जी लो खुल कर
प्यार करो दिल भर कर
दोस्त बनाओ जी भर कर
मस्ती करो
और चैन से रहो
क्योंकि तुम हमेशा
नहीं रहने वाले यहां


#रेवा


Friday, August 28, 2020

ओहदा



मुझे मलाल है की 
मैं बुलंदियों को छू ना पाई
पर ये तस्सली भी है
कि जितना कुछ
हासिल किया अपने दम
पर हासिल किया
कभी किसी का सीढ़ी
की तरह इस्तेमाल नहीं किया

मैं जानती हूँ 
मैं जहाँ हूँ वहां पहुँचना
दूसरों की लिए   
चुटकियों की बात होगी 

पर मैं संतुष्ट हूँ ख़ुद से
और यही संतुष्टि हर किसी के
बस की बात नहीं

आपका ओहदा आपकी बुलंदी
आपको बहुत मुबारक
मेरी संतुष्टि मुझे प्यारी है 
हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ
मुझसे जब भी मिलें
अपने ओहदे की पैरहन
उतार के मिले
क्योंकि मैं मुलाकात
इन्सान से करना पसंद करती हूँ 
ओहदे से नहीं 

#रेवा 

Tuesday, June 16, 2020

limelight


ये लाइट ऐसी वैसी नहीं है
बहुत चमकदार है
जो भी इसके पास आता है
वो चमक जाता है
सूरज की रौशनी
की तरह
और अपनी एक पहचान
बना लेता है

इस लाइट के और भी
कई गुण हैं
ये धीरे धीरे
ज़मीन से उठा कर
आसमान पर बैठा देता है
इंसान खुद को भगवान तो नहीं
पर ऊँचे सिंहासन पर
बैठा हुआ महसूस करता है

कभी जो नज़रे पड़े उन पर तो
उनका चमकता पर
इतराता हुआ चेहरा
साफ दिख जाता है
लेकिन हो भी क्यों न
मेहनत भी तो की है
यहां तक पहुंचने में....

अब ज़मीन से ऊपर उठ गए हैं
तो ज़ाहिर है नीचे की चीज़ें
मुश्किल से दिखाई देंगी
और इस वजह से
इनका सारी ज़मीनी हकीकतों से
नाता टूट जाता है

अब गर आसमान में रहना है
तो इतनी सी कीमत तो
देनी ही पड़ेगी !!

दुःख की एक बात और है
ये समय के साथ अकेले हो जाते हैं
दोस्तों और सच से दूर,
मुखौटा लगाना इनकी
जरूरत बन जाती है

पर मुखौटा लगाते लगाते उसी
में रहने की आदत हो जाती है
और फिर लोग भी उन्हे वैसे ही
मिलने लगते हैं,

और बाहर की लाइट
पाने की चाह में
उनके अंदर की रौशनी कम होने
लगती है

ये कहना गलत न होगा की 
ये हमेशा मुस्कुराहट सजा कर
दुःख की पहरन पहन कर
जीते रहते हैं
और कभी कभी थक कर
खुद से आज़ाद
हो जाते हैं!!!


#रेवा

Sunday, June 14, 2020

दोपहर





बहुत दिन बाद
आज दोपहर में 
कुछ सुकून के लम्हों से
मुलाकात हुई,
खुद में सिमटी
अधलेटी सी पड़ी थी मैं,
बाहर बरसात अपने
पूरे जोश में 
बरस रही थी,

मेरे पास ही फ़ोन पर
गुलज़ार साहब के
लिखे गाने चल रहे थे,

मेरा मन न जाने क्यों
अजीब सा हो रहा था,
ऐसा जैसे मैं कहीं
डूब रही हूँ

ग़म तो कुछ भी नहीं
फिर भी जाने क्यों ????
समझ ही नहीं आया ....
अनायास ही एक बूँद
मेरे गालों को गीला
कर गयी

और मैं तेरी याद में 
बुरी तरह भीग गयी,
पर जानते हो....
खुद को सुखाने का
बिलकुल मन था,
लग रहा था
बरसात यूँ ही होती रहे
और मैं यूं ही भीगती रहूँ !!!

रेवा







Friday, June 5, 2020

पेड़ और प्रकृति






बीज की कोख़
में रहते हैं
तमाम पेड़ पौधे
जब बड़े होते है 
परिवार बढ़ता है उनका
फूल,पत्ते, टहनियाँ,फल...... 
जब फूल,फल इनसे
अलग होते हैं
ये हमसे कुछ बोलते नहीं
बल्कि खुशी खुशी
हमे दे देते  हैं

जब पत्ते पीले होकर
झड़ जाते हैं
तब भी चुप रहते हैं...
इन्हे आस होती है
कि नए फूल पत्ते
फिर खिलेंगे

पर जब हम इन
पेड़ों को ही काट
देते हैं
तब इंतक़ाम लेते हैं
पेड़ों के जन्म दाता
यानी ये प्रकृति

जो हम झेलते हैं
तूफान, बाढ़, सूखा
मौसम में अचानक बदलाव
और अनेक बिमारियों के
रूप में ...

क्या अच्छा न हो की
हम सजग हो जाएं
अपनी प्रकृति
और अपने इन जीवनदायिनी
बंधुओं का ख्याल रखे ...

रेवा


Tuesday, June 2, 2020

टैग



चुप खड़े रह कर जब सिर्फ हाँ में 
सर हिलाया तो सबको खूब 
पसंद आया 
दौड़ दौड़ कर सारे घर का काम 
निबटाया तो सबको खूब 
पसंद आया 
सज धज कर हर अनुष्ठान में 
सम्मिलित हुई तो सबको 
बहुत पसंद आया 
हर तरफ से अपना मन मार कर जब तक 
जिंदगी जीती रही औरों के लिए 
सबको खूब पसंद आया 
"अच्छी बहू" का टैग भी लगाया

आधी से ज्यादा जिंदगी बिता कर 
जब ख़ुद के लिए जीने की चाह जगी 
तो किसी को अच्छा नहीं लगा 

जब चुप ने शब्दों का साथ देना शुरू 
किया, खुद के लिए बोलना शुरू किया 
तो किसी को अच्छा न लगा 

जहां मन ने कहा हाँ वहां जाना 
जहां मन ने कहा न वहां नहीं जाना 
नहीं गई
तो किसी को अच्छा न लगा

जब औरत मन की करने लगे 
ख़ुद के लिए जीने लगे वो बोलने लगे 
अरे नहीं (जवाब ) देने लगे 
तो वो अच्छी रह नहीं जाती 

और तब उसे अच्छाई के 
सिंहासन से 
उतार कर एक और टैग से 
नवाज़ा जाता है 
आज के जमाने की "बिगड़ी बहू"

Thursday, May 28, 2020

हमारे सच्चे दोस्त




ये पौधे हैं न 
कभी भेद भाव नहीं करते 
पानी नाराज़गी से 
डालो या प्यार से 
ये अपनी पत्तियों के हरेपन 
और फूलों की खिलखिलाहट से 
मन खुश कर ही देते हैं 

ये चाँद है जो हर रात 
नज़र आता है आसमान पर 
और कभी कभी 
दिख जाता है खिड़की से भी 
ये हमारे मिज़ाज़ को नज़रअंदाज़ कर देता है 
दिन चाहे जैसा भी बिता हो 
ये हर रोज़ अपनी चांदनी की ठंडक 
भेज थपकी दे के कर सुला देता है 

ये कागज़ और कलम हमेशा साथ देते हैं 
जब मन दुखी हो तो दुख बयां कर देते हैं 
जब खुश हो तो ये अक्षर 
हँस कर खुशी भी बयान कर देते हैं
ये अपेक्षाएं नहीं रखते 
जज तो बिल्कुल भी नहीं करते 
न कोई वाओ फैक्टर ढूढते हैं 
हम जैसे हैं हमें वैसे ही स्वीकार 
कर हमेशा मान देते हुए 
एक सच्चे दोस्त का फर्ज 
बाखुबी निभाते हैं 

आज इस कविता के जरिये मैं हमारे 
इन सच्चे दोस्तों को धन्यवाद देती हूँ 

Tuesday, May 19, 2020

कैलक्यूलेटर





तुम्हें पता है 
आज के जमाने में 
कैलक्यूलेटर का काम 
बहुत बढ़ गया है 
पहले तो ये सिर्फ 
हिसाब किताब में काम 
आते थे 
और समय बचाते थे 
पर अब तो ये लोगों के
रिश्तों को 
कैलकुलेट करने के काम आते हैं 

मिलने से पहले ही दिमाग 
कैलकुलेशन करने लगता है
कौन कितना काम आएगा 
किसे कहाँ कैसे इस्तेमाल 
करना है
कहाँ कितना किसे घटाना है
और कहाँ बढ़ाना
कहाँ गुना किया जा सकता है
और कहाँ विभाजित    
फिर उसी हिसाब से रिश्तों की 
उष्मा तय होती है 

तो बोलो 
है न ये कमाल की चीज़ 

#रेवा

Friday, April 17, 2020

अनुवाद



अनुवाद सिर्फ एक 
भाषा का दूसरी भाषा 
में नहीं होता 
अनुवाद उससे भी कहीं इतर 
और वृहद होता है

पक्षियों की चहचाहट
संग उनका फुदकना
उनकी बोली का अनुवाद है

कवियों के लिए 
उनके मौन उनके 
एहसास का अनुवाद है
उनकी कविताएं

हमारे अंतस में घट रही 
घटनाओं, व्यथा घुटन 
खुशी प्रेम का अनुवाद है 
हमारे चेहरे पर आते 
जाते भाव 

किसी से जुड़े बिना ही 
उसके दुःख को महसूस करना 
उसके संकेत का अनुवाद है 

कई बार हम धुँधला सा कोई 
स्वप्न देखते हैं 
पर स्वप्न में क्या घटित हुआ 
ये महसूस कर पाते हैं 
ये हमारे अवचेतन मन का 
अनुवाद है 

और तुमसे बिना मिले 
मिलन का एहसास करना 
ये तुम्हारे प्रेम का अनुवाद है 

#रेवा


Thursday, April 9, 2020

प्रेम

कई बार तुम्हें
सपनों में आवाज़ लगायी
धुंध में ढूंढने की कोशिश की
अपनी खुली बाँहों में
संभालना चाहा 
तनहाइयों में भी 
तुम्हें अपने साथ पाया 

भाइयों और बहनों के
झगड़ों में तुम्हें महसूस किया
माँ की लोरी में सुना
दोस्तों के बीच भी अनुभव किया
तमाम रिश्तों के 
मूल में तुम ही तो थे, 

छोटी बड़ी
कविताओं में तुम 
यहाँ तक की
पूरी की पूरी किताब में भी तुम

गीतों में सुना तुम्हें,
मीरा के पदों में सुना
मंदिर की भजनों में सुना
मस्जिद की आज़ानों में भी तुम थे,

प्रेम तुम किस किस रूप में
कहाँ कहाँ  रहते हो ?
बताओ तो
लेकिन कभी दिखते क्यों नहीं ?
कभी तो सामने आओ न 
बड़ी शिद्दत से
छूना चाहती हूँ तुम्हें 

पर....कैसे ??
ये समझ नहीं पाती
क्योंकि दिमाग तो यही
कहता है
तुम तो बस एहसास हो 
महसूस तो कर सकती हूं
पर छू नहीं सकती
पर दिल मानना नहीं चाहता !!!

#रेवा 

Tuesday, March 31, 2020

स्त्री मन



क्या लिखूं अब तो 
शब्दकोश भी खाली 
हो गया है
नहीं बचे अब कोई 
शब्द जो बयां कर सके 
वो एहसास जो मैं 
शिद्दत से महसूस करती हूँ 
और जो तुम्हें छू कर भी नहीं जाती 

तकलीफ़ मुझे बहुत होती है 
पर जानते हो तुम्हारा कितना 
नुकसान हो रहा है 
तुम ज़िन्दगी जी नहीं रहे हो 
बस बीता रहे हो 
अब तो तुमसे प्यार है 
ये भी नहीं बोल पाती 
हाँ ख़्याल जरूर है 

जानते हो न प्यार और ख़याल 
के बीच एक महीन रेखा है 
मुझे लगता है हमारे बीच अब वही 
एक कड़ी रह गयी है 

और तकलीफ़ इसलिए ज्यादा
होती है कि मैं कभी लिख कर 
कभी बोल कर कह लेती हूँ 
दिल का हाल 
पर तुम्हारे पास तो ये ज़रिया 
भी नहीं 

काश! तुम समझ पाते 
ये ज़िन्दगी एक बार ही मिली है 
खत्म हो जाएगी एक दिन
चाहो तो जी लो हर पल 
चाहो तो सिर्फ गुजार लो 
पल पल....

#रेवा

Sunday, March 29, 2020

बदचलन औरत

मैं वो औरत हूँ
जिसने की है
एक मर्द से दोस्ती
जिसमें पाया है मैंने
अच्छा पक्का दोस्त
जिसे मैं अपने दिल की
हर बात साझा कर
सकती हूँ
जो मुझे समझता है
हर तकलीफ़ में साथ
खड़ा रहता है
मैं जैसी हूँ उसके लिए
एकदम परफेक्ट हूँ

हाँ गलतियों में डांट
भी देता है
कभी पिता सा लाड़ करता है
कभी प्रेमी सी बातें
तो कभी दोस्त बन कर
सलाह देता है
उसे मैं हमेशा
अपना कंधा कहती हूँ
पर वो मेरा पति
नहीं है न दूर दूर तक
कोई रिश्ता है उससे
फिर भी वो सबसे करीब है
हाँ शायद मैं बदचलन
औरत हूँ
या बेबाक या मोर्डरन
जमाने की बिगड़ी हुई
औरत या फिर
मैं जैसा
कहती हूँ इंसान हूँ
और इंसान से की है
दोस्ती और रिश्ता
इंसानियत का है

#रेवा

Friday, March 20, 2020

डरपोक औरतें


समाज के कुछ तबकों को
औरतों से इतनी नफ़रत है कि वे
अनेकों घृणित नामों से
उसे नवाज़ते हैं
कभी रखैल, कभी वैश्या
तो कभी बदचलन
सोचती हूँ मैं
अगर मर्द होते ही नहीं
तो इन नामों का
कोई मतलब ही नहीं रह जाता
इन नामों से
सिर्फ औरतों को ही
इसलिए जोडा़ जाता है
कि औरतें
प्रतिशोध से परे हैं
लाज का दही
मुँह पर जमाये फिरती हैं
इसी तबके के लिये
इन्हीं तबकों में से
इन्हीं मर्दों के लिये भी
भंड़वे, बदजा़त
और ज़नमुरीद जैसे शब्द भी हैं
लेकिन नहीं करतीं इस्तेमाल
इन शब्दों को
ये खुदगर्ज, मनहूस
और डरपोक औरतें

Friday, February 21, 2020

इश्क़


तुम्हारे कांधे पर सर रख कर 
सुकून महसूस करना इश्क है 

नज़र भर तुम्हें देखना और बस 
देखते रह जाना इश्क है 

आईने में संवरना और तुम्हें याद कर 
मुस्कुराना इश्क है 

महज़ तुम्हारी आवाज़ सुन कर 
गुलाबी हो जाना इश्क है

सपनों में तुम्हारा दिदार करना 
और दिन भर उसी एहसास को जीना 
इश्क है 

तुम्हारे बिना तुम्हारे साथ रहना 
इश्क है 

किसने कह दिया इश्क देह है 
इश्क विदेह है 
सिर्फ और सिर्फ एहसास है 

#रेवा

Monday, February 17, 2020

आदत

तुम्हें मांगने की 
कितनी आदत हो 
गयी है न 
शीर्ष पर पहुंचने 
की होड़ में 
प्रसिद्धि पाने 
के जोड़ तोड़ में 
इसका बहुत बड़ा 
हाथ है 

पहले तो थोड़े 
बहुत से काम चल 
जाता था पर
अब मांगते मांगते 
इतनी आदत हो गयी 
है कि जहां कुछ 
अच्छा दिखा बस 
माँग लिया 

ये जानते हो न
की सूरज की किरणें 
एक छिद्र में भी 
अपनी जगह बना 
लेती है.... 


#रेवा

Sunday, February 16, 2020

आधा चाँद



बहुत दिनों बाद 
आज फिर दिखा मुझे 
अपनी खिड़की से
वो आधा चाँद 
जिसे देख 
मैं भाव विभोर हो गयी 

मुस्कुराते हुई तुरन्त 
लिख दी तुम्हारे नाम 
कविता और 
उसमे लिखी वो सारी 
अनकही 
बातें जो चाह कर भी 
मैं तुमसे कह नहीं पाती... 

जानते हो क्यों ??
क्योंकि डरती हूँ 
कहीं वो बांध जिसने 
हम दोनों को बांध 
रखा है टूट न जाये 
और हम बिखर न 
जाएं... 

#रेवा

Saturday, February 8, 2020

अमन


ऊँचे उड़ान भरते 
पंछियों को
देखा होगा न तुमने
इनका मज़हब जानते हो
क्या है

दाना चुगना
अपने और अपने बच्चों के लिए
घोंसला बनाना और
आसमान में उड़ान भरना
ये खुद भी शांति से रहते हैं
और अपने साथियों को भी
शांति से रहने देते है

पर
हम ये जानते हैं कि हम में से
किसी का मज़हब इतनी शांति की
इजाज़त नहीं देता हमे
इजाज़त है तो बस मार, काट,
दंगा फसाद की

जानते हो, हम सब इन
पंछियों से भी गये गुजरे हैं

उठो साबित करो हम में इंसानियत
अभी शेष है
भरो अपनी कलम में शांति की स्याही
और लिख दो देश के सीने में अमन


#रेवा

Tuesday, February 4, 2020

बचपन के रिश्ते



एक ही माँ बाप की 
पैदाइश 
एक साथ खेले 
बड़े हुए 
रोटियाँ बांटी 
ख़ुशियाँ और ग़म 
बांटा 
लड़ाई झगड़े किये 
पर हर बार साथ हो लिए 
कभी किसी को अपने 
बीच न आने दिया 

जब बड़े हो जाते हैं 
तो समझदारी भी 
बढ़ जाती है
रिश्ता और आपसी 
समझ और मजबूत 
हो जानी चाहिए 
पर जैसे जैसे बड़े होते हैं 
जाने क्यों बचपन के रिश्तों में 
सेंध सी लग जाती है 
एक दूसरे से कटने लगते हैं 
रिश्ते की ऊष्मा कहीं 
खो सी जाती है
दुनिया भर की बातें 
उलाहने बीच में आ जाते हैं 

अपनी अपनी अलग दुनिया 
बसा लेते हैं 
और बचपन के प्यार और 
साथ को जाने क्यों 
भूल जाते हैं 

#रेवा

Sunday, February 2, 2020

फरियाद




शायद और कोई फरियाद 
भी माँगी होती तो आज 
पूरी हो जाती 

पता नहीं था सुबह मुझे के 
आज का दिन इतना 
ख़ास हो जाएगा 

आने वाले जन्मदिन के इंतज़ार 
में मैं वैसे ही खुशी के खजाने 
से भरी हुई थी 

चकित करने वाली बात ये थी
की आज मेरे बातों के साथी 
से मेरी एक छोटी मुलाकात हुई 
उस मुलाकात में उसकी 
कही बात ने मुझे 
दोबारा उससे प्रेम करने पर 
मजबूर कर दिया 

बात करते समय वो मुझे 
देखे जा रहा था 
जैसे कितने जन्मों बाद 
हम मिले हों
पर फिर एकदम 
अचानक गायब हो गया 

जब दोबारा बात हुई तो उसने कहा 
"तुमको और नहीं देख सकता था 
मेरी आँखें भरने लगी थी "

उसके इस कथ्य ने कितना 
कुछ कह दिया मुझसे 
यही तो है प्रेम बस प्रेम

#रेवा 

Tuesday, January 28, 2020

पत्थर




सब अपनी अपनी
ज़िन्दगी जीते हैं 
अच्छी हो या बुरी 

मैं भी जी रही थी 
अपने हालात को
अपनी नियति मान
समझौता करते हुए 
हर मौसम एक सी 
रहते रहते
खुद को पत्थर ही 
समझने लगी थी

लेकिन अचानक एक दिन 
एक टिमटिमाते 
सितारे ने मेरी उंगली
थाम ली 
पहले उसने आसमान 
की सैर करवाई 
और फिर ले गया 
मुझे चाँद की दूधिया 
रौशनी के सफर पर 

उदासी हो या ख़ुशी 
या हो कोई मुसीबत 
वो सितारा मेरा माथा 
चूमता है और 
मुझे चाँद की 
रौशनी से भर देता है
कभी हकीक़त के 
तल्ख़ हवा से रूबरू 
करवाता है और कभी 
सपनों के आसमान में 
मेरा हाथ थामे 
निकल पड़ता है 
अनंत की सैर पर

पत्थर को मोम बनते 
देखा है कभी 
मैंने देखा भी है 
और महसूस भी किया है

#रेवा 

Friday, January 24, 2020

जल रहा है देश मेरा





जल रहा है देश मेरा
जल रहा है घर मेरा
इंसान को इंसान समझो
मज़हबों में न बांटो
वो बैठे हैं ऊँची कुर्सियों में
उनका मज़हब उनका धर्म
उनका ईमान बस
पैसा और कुर्सी
इसे समझो
ऐ कुर्सी वाले बख्श दो
देश के भविष्य को
बख्श दो हमारे बच्चों को
जिस देश में है बसेरा
चिड़ियों का उस देश को
गिध्दों का बसेरा न बनाओ
बहुत मुद्दे हैं देश के सामने
उनसे लड़ने के बजाय
लोगों को लड़वाना बंद करो
ये रक्त पात बंद करो
बंद करो बंद करो



Tuesday, January 21, 2020

बुक मार्क








उस रात मैं किताब पढ़ 
रही थी 
एक पन्ने पर आ कर 
ठहर गयी 
आगे बढ़ ही नहीं पाई 
बुक मार्क लगाया और 
सो गई 

उस पन्ने का हर शब्द 
हमारे इश्क़ को 
बयां कर रहा था 
जिसे पढ़ कर 
तुम्हारी याद 
बेतरह आने लगी 
बताओ ज़रा तुम्हारी 
यादों से आगे कैसे बढ़ जाऊँ 
कैसे यादों से भरे उस 
पन्ने को पलट दूं 

वो बुक मार्क लगी किताब 
आज भी उसी तरह 
पड़ी है मेरे साइड टेबल पर 
और तुम्हारी याद वैसे ही 
हमारे मिलने के तारीखों 
के बुक मार्क के साथ मेरे 
दिल पर....

#रेवा

Thursday, January 9, 2020

संतोष




जब मन उदास होता है
और तुम्हारा साथ नहीं
मिलता
तो तुम्हारे लिखे शब्द
पढ़ लेती हूँ

हर बार उन्हें पढ़ कर
चेहरे पर मुस्कुराहट
तैर जाती है
संतोष से भर उठता है मन
के दुनिया के एक कोने में
कोई है जो मुझे मुझसे बेहतर
जानता है
जो हर बार कुछ ऐसा महसूस
कराता है की जिंदगी से
प्यार हो जाता है
जिसका प्यार मुझे कमज़ोर
कतई नहीं करता
बल्कि
दोगुनी ताक़त से भर देता है
जानते हो
दुनिया कैसी भी हो
पर जब तक तुम जैसे
प्यार करने
वाले इंसान ज़िंदा है
दुनिया में अच्छाई और
इंसानियत कायम
रहेगी

रेवा 

Friday, January 3, 2020

नियंत्रण


गृहस्थी में भी और जिंदगी में भी अक्सर देखा गया है, नियंत्रित होने वाला और नियंत्रण करने वाला इन दोनों का जीने का एक तरीका बन जाता है।
पर ये भी तो एक चक्र की तरह है न जब सालों बाद, यही उल्टा होता है तो रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है। क्योंकि नियंत्रण करने वाले को आदत जो है अपने तरीके से नियंत्रण करने की।
पर अब नियंत्रित होने वाला उसे और ले नहीं पाता और विद्रोह कर देता है। मन से नियंत्रण करने वाले का बुरा न चाहते हुए भी हर बार चोट करता है और सुकून महसूस करता है।
रिश्ते टूट जाते हैं या फिर ख़ामोश हो जाते हैं,
पर नियंत्रण करने वाले का बदलना नामुमकिन सा लगता है। चाहे वो नियंत्रित करने वाले को
प्यार ही क्यों न करता हो, उसका अहम उसे बदलने से रोकता है और सुंदर रिश्ते की मौत तब निश्चित हो जाती है।

#रेवा