प्यार
प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Sunday, January 2, 2022
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मैं जब रूठूं तो
मना लेना मुझे
मैं जब जीवन से
हार मानने लगूं
तो जिंदगी पर
फिर से भरोसा
दिला देना मुझे
मैं जब अपने से
परेशान हो कर
सबसे दूर हो जाऊं
तो पास बुला लेना मुझे
मैं जब तकलीफों से
त्रस्त हो आंसुओं में
भीगने लगूं
तो अपने साथ होने का
एहसास दिला देना मुझे
Friday, December 24, 2021
माघ की मेहँदी
यूँ तो हमारे यहाँ
प्रथा है कि
सुहागनें कोई भी
व्रत उपवास करने से पहले
हाथों में मेहँदी सजाती है,
मुझे ये समझ नहीं आता था
हर बार माँ से
एक ही सवाल
ऐसा क्यों ?
नहीं लगाया तो क्या होगा ?
प्रथा है कि
सुहागनें कोई भी
व्रत उपवास करने से पहले
हाथों में मेहँदी सजाती है,
मुझे ये समझ नहीं आता था
हर बार माँ से
एक ही सवाल
ऐसा क्यों ?
नहीं लगाया तो क्या होगा ?
पर अब जब
अपनी बारी आई और
हाथों में
तेरे नाम की मेहँदी लगायी
तो समझ आयी
माँ की सारी अनकही बात,
अपनी बारी आई और
हाथों में
तेरे नाम की मेहँदी लगायी
तो समझ आयी
माँ की सारी अनकही बात,
मेहँदी ने मेरे हाथों में
जो रंग चढ़ाया वो
बिलकुल तेरे प्यार की तरह था,
कहीं रंग कम
कहीं ज्यादा
कहीं मिला जुला
कहीं एकदम फीका
पर पूरी हथेली
और उँगली
जैसे खिल गयी हो
मेहंदी के रंग से
और जब तुमने
जो रंग चढ़ाया वो
बिलकुल तेरे प्यार की तरह था,
कहीं रंग कम
कहीं ज्यादा
कहीं मिला जुला
कहीं एकदम फीका
पर पूरी हथेली
और उँगली
जैसे खिल गयी हो
मेहंदी के रंग से
और जब तुमने
बढ़कर मेहंदी
लगे हाथों को चूमा
तो हाथों के साथ
मेरे गाल भी सुरमई
हो गए !!!!
Thursday, January 7, 2021
प्रेम
प्रेम ये शब्द
राग की तरह मन के
तारों को झंकृत करता है
ध्यान मग्न योगी
जैसे ईश्वर के दर्शन पा कर
भाव विभोर हो जाता है
वैसा ही है प्रेम
मेरी समझ में
प्रेम मानसिक भी होता है और
दैहिक भी
मानसिक प्रेम हमसफर के साथ
हो ये ज़रूरी नहीं
पर दैहिक प्रेम जीवन साथी के
साथ होता ही है
ये प्रेम छुअन से उपजता है
पर तन मन धन और जीवन का साथ देता है
प्यार इस साथ में भी भरपूर होता है
पर मानसिक प्रेम में दैहिक की जगह
ही नहीं होती
इसे समझना और पाना मुश्किल है
इस प्रेम में
सारे एहसास अनछुए होते हैं
ये प्रेम ऐसा होता है जैसे
धड़कन की ध्वनि
जैसे बांसुरी को होठों में
लगा कर निकाली गई धुन
जो जीवन भर के लिए
मदहोश कर फिर
विलीन हो जाती है
ब्रह्माण्ड में कहीं ....
#रेवा
Thursday, October 22, 2020
ताउम्र
मैं तो नहीं रहने वाली ताउम्र यहां
आप क्या आप रहने वाले हैं
हमेशा के लिए यहां
नहीं ना
तो फिर इतनी चिंता किस
बात की
अरे खुल कर जियो
मौज में रहो
चार पैसे कम कमा लोगे
तो कुछ न बिगड़ेगा
कौन सा साथ लेकर
जाना है
जितनी जरूरत है उतना
कमाओ
मशहूर न हुए न सही
ऊपर कोई नहीं पूछने वाला
लेकिन सोचो
इन सब की वजह से
अगर ज़िन्दगी न जिया
तो वो न मिलने की दोबारा
ये बस इसी बार है
तो जी लो खुल कर
प्यार करो दिल भर कर
दोस्त बनाओ जी भर कर
मस्ती करो
और चैन से रहो
क्योंकि तुम हमेशा
नहीं रहने वाले यहां
#रेवा
Friday, August 28, 2020
ओहदा
मुझे मलाल है की
मैं बुलंदियों को छू ना पाई पर ये तस्सली भी है
कि जितना कुछ
हासिल किया अपने दम
पर हासिल किया
कभी किसी का सीढ़ी
की तरह इस्तेमाल नहीं किया
मैं जानती हूँ
मैं जहाँ हूँ वहां पहुँचना
दूसरों की लिए
चुटकियों की बात होगी
पर मैं संतुष्ट हूँ ख़ुद से
और यही संतुष्टि हर किसी के
बस की बात नहीं
आपका ओहदा आपकी बुलंदी
आपको बहुत मुबारक
मेरी संतुष्टि मुझे प्यारी है
हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ
मुझसे जब भी मिलें
अपने ओहदे की पैरहन
उतार के मिले
क्योंकि मैं मुलाकात
इन्सान से करना पसंद करती हूँ
चुटकियों की बात होगी
पर मैं संतुष्ट हूँ ख़ुद से
और यही संतुष्टि हर किसी के
बस की बात नहीं
आपका ओहदा आपकी बुलंदी
आपको बहुत मुबारक
मेरी संतुष्टि मुझे प्यारी है
हाँ एक बात और कहना चाहती हूँ
मुझसे जब भी मिलें
अपने ओहदे की पैरहन
उतार के मिले
क्योंकि मैं मुलाकात
इन्सान से करना पसंद करती हूँ
ओहदे से नहीं
#रेवा
Tuesday, June 16, 2020
limelight
बहुत चमकदार है
जो भी इसके पास आता है
वो चमक जाता है
सूरज की रौशनी
की तरह
और अपनी एक पहचान
बना लेता है
इस लाइट के और भी
कई गुण हैं
ये धीरे धीरे
ज़मीन से उठा कर
आसमान पर बैठा देता है
इंसान खुद को भगवान तो नहीं
पर ऊँचे सिंहासन पर
बैठा हुआ महसूस करता है
कभी जो नज़रे पड़े उन पर तो
उनका चमकता पर
इतराता हुआ चेहरा
साफ दिख जाता है
लेकिन हो भी क्यों न
मेहनत भी तो की है
यहां तक पहुंचने में....
अब ज़मीन से ऊपर उठ गए हैं
तो ज़ाहिर है नीचे की चीज़ें
मुश्किल से दिखाई देंगी
और इस वजह से
इनका सारी ज़मीनी हकीकतों से
नाता टूट जाता है
अब गर आसमान में रहना है
तो इतनी सी कीमत तो
देनी ही पड़ेगी !!
दुःख की एक बात और है
ये समय के साथ अकेले हो जाते हैं
दोस्तों और सच से दूर,
मुखौटा लगाना इनकी
जरूरत बन जाती है
पर मुखौटा लगाते लगाते उसी
में रहने की आदत हो जाती है
और फिर लोग भी उन्हे वैसे ही
मिलने लगते हैं,
और बाहर की लाइट
पाने की चाह में
उनके अंदर की रौशनी कम होने
लगती है
ये कहना गलत न होगा की
पाने की चाह में
उनके अंदर की रौशनी कम होने
लगती है
ये कहना गलत न होगा की
ये हमेशा मुस्कुराहट सजा कर
दुःख की पहरन पहन कर
जीते रहते हैं
और कभी कभी थक कर
खुद से आज़ाद
हो जाते हैं!!!
#रेवा
दुःख की पहरन पहन कर
जीते रहते हैं
और कभी कभी थक कर
खुद से आज़ाद
हो जाते हैं!!!
#रेवा
Sunday, June 14, 2020
दोपहर
बहुत दिन बाद
आज दोपहर में
कुछ सुकून के लम्हों से
मुलाकात हुई,
खुद में सिमटी
अधलेटी सी पड़ी थी मैं,
बाहर बरसात अपने
पूरे जोश में
बरस रही थी,
मेरे पास ही फ़ोन पर
गुलज़ार साहब के
लिखे गाने चल रहे थे,
मेरा मन न जाने क्यों
अजीब सा हो रहा था,
ऐसा जैसे मैं कहीं
डूब रही हूँ
ग़म तो कुछ भी नहीं
फिर भी जाने क्यों ????
समझ ही नहीं आया ....
अनायास ही एक बूँद
मेरे गालों को गीला
कर गयी
और मैं तेरी याद में
बुरी तरह भीग गयी,
पर जानते हो....
खुद को सुखाने का
बिलकुल मन था,
लग रहा था
बरसात यूँ ही होती रहे
और मैं यूं ही भीगती रहूँ !!!
रेवा
कुछ सुकून के लम्हों से
मुलाकात हुई,
खुद में सिमटी
अधलेटी सी पड़ी थी मैं,
बाहर बरसात अपने
पूरे जोश में
बरस रही थी,
मेरे पास ही फ़ोन पर
गुलज़ार साहब के
लिखे गाने चल रहे थे,
मेरा मन न जाने क्यों
अजीब सा हो रहा था,
ऐसा जैसे मैं कहीं
डूब रही हूँ
ग़म तो कुछ भी नहीं
फिर भी जाने क्यों ????
समझ ही नहीं आया ....
अनायास ही एक बूँद
मेरे गालों को गीला
कर गयी
और मैं तेरी याद में
बुरी तरह भीग गयी,
पर जानते हो....
खुद को सुखाने का
बिलकुल मन था,
लग रहा था
बरसात यूँ ही होती रहे
और मैं यूं ही भीगती रहूँ !!!
रेवा
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