अपनी पूरी ज़िन्दगी
मे नहीं मिला ,
उससे कहीं ज्यादा
मुझे इस सृजन की
दुनिया से जुड़ कर मिला ,
यहाँ मैं किसी कि गुड़िया हूँ
किसी कि बेटी
किसी कि प्यारी छोटी बेहेन
किसी कि सखी ,
तो वहीँ इतने सारे
भाइयों कि बड़ी बेहेन भी ,
सब हर बार मुझे
प्रोत्साहित करते हैं ,
ग़लतियाँ करने पर
प्यार से समझाते हैं ,
ढ़ेर सारा प्यार
और सम्मान देते हैं ,
कभी - कभी अपने इस
परिवार कि आत्मीयता
देख आँखों मे आँसू
आ जातें हैं,
कमबख्त ये आँसू भी न
कोई मौका नहीं छोड़ते ,
इस कविता के माध्यम से
मैं अपने इस परिवार को
तहे दिल धन्यवाद देती हूँ ,
अपना प्यार और आशीर्वाद
ऐसे ही बनाये रखें ,
येही तो मेरे जीवन का आधार हैं।
आभार सहित रेवा
कमाल के कोमल भाव हैं आपके.
ReplyDeleteआपकी इस सर्वाधिक लोकप्रिय
प्रस्तुति को पढकर मन मग्न हो गया है रेवा दी
बेहद खूबसूरत एहसासों से भरी एक एक पंक्ति कबीले तारीफ है.
bahut bahut shukriya Sanjay
Deleteसचमुच यह परिवार मेरे लिए भी बहुत ही अनमोल एवं अद्भुत है जहाँ सब एक प्रकार से अपरिचित ही हैं, जिनसे कभी मिलने का सुअवसर भी नहीं मिला, लेकिन सबसे आत्मीयता, प्रेम, सम्मान एवं सद्भावना प्रचुर मात्रा में मिली ! यदि आपको कोइ आपत्ति ना हो तो आपकी भावनाओं के साथ मेरे स्वर भी जुड़ जायें तो यह सम्मिलित आभार हम दोनों की तरफ से ! सधन्यवाद एवं साभार !
ReplyDeleteहम तीनों की तरफ से ब्लॉग जगत के सारे लोगो को धन्यवाद और आभार
Deletesadhna ji Vibha didi ney sahi kaha
Deletereva ji aapne sahi kaha , ye blog jagat pariwar ki tarah hi to hai ..ek dusre ka hosla -utsah badhaye rakhte hain ....sundar kavita
Deleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति, सादर।
ReplyDeleteवाह वाह वाह
ReplyDeleteलाज़वाब कथन आपका बहिन ''रेवा'' जी ।
बिल्कुल मेरे मन से निकलने से पहले इस एहसास को आपने शब्द दे दिए। बहुत बहुत शुक्रिया।
बिल्कुल सच कहा...बिना एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप से मिले भी यह परिवार कितना अपना सा लगता है...सभी के भावों को आपने बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं..आभार
ReplyDeletelove you Rewa..God bless..
ReplyDeleteAbhaar bhi kitna sunder...!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : पंचतंत्र बनाम ईसप की कथाएँ
बहुत ही सुंदर सृजन...! रेवा जी ....
ReplyDeleteRECENT POST - पुरानी होली.
shukriya aap sabka
ReplyDeleteसचमुच एक खूबसूरत परिवार है ये रेवा.....मुझे गर्व है कि मैं भी इसकी एक सदस्य हूँ...
ReplyDeletesach kaha smita ji
Deleteआपने परिवार पर बहुत अच्छा वर्णन किया ! सत्य है कि अपने परिवार में जुड़ कर चलना और अपने परिवार की मान मर्यादा का पालन करना ।आज के दौर में हर किसी के किस्मत में नहीं है ।मुझे गर्व है की मैं अपने परिवार को अपना आत्मबल समझता हूँ ।
ReplyDeleteजी....शुक्रिया
Deleteपरिवार का अर्थ सिर्फ खून का रिश्ता नहीं होता....
ReplyDeleteइस 'सोशल मीडिया' ने परिवार की एक नयी परिभाषा गढ़ी है..
हम आप सब उसी परिवार का हिस्सा है .....
आभार संजय जी
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