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Wednesday, January 31, 2018

चिड़ियाँ

मेरे आंगन के कोने में
एक बहुत प्यारी छोटी
कोमल सी चिड़ियाँ ने
घोंसला बनाया था
मैं जब भी आंगन में बैठती
वो फ़ुर्र उड़ कर आ जाती
फुदकती रहती और
अपनी ची ची
से मन मोह लेती
पूरा घर उसकी
हरकतों से ज़िन्दगी
से भर जाता 

पर ये पता न था की
कोई और भी नज़र
रखे हुए है इन सब पर
एक दिन मेरी बैठे बैठे
आँख लग गयी
तभी एक कौवा आया
चिड़ियाँ को मुंह में दबाने की
कोशिश करने लगा
उसकी दर्द भरी आवाज़ से
मेरी तंद्रा भंग हुई
किसी तरह चिड़ियाँ को बचाया
उसके घाव पर मरहम लगाया
पर वो डरी सहमी उड़ना कम
कर दिया
मेरे आस पास ही फुदकती थी
लगा उसे उठा कर पिंजरे में
डाल दूं, ताकि वो सुरक्षित रहे
पर ऐसा नही किया
उसके पंख, पंजो
और चोंच को फिर से
मजबूत करना शुरू किया
उसे हाथ में उठा उड़ा देती
धीरे धीरे उसने
डरना छोड़ दिया
अब वो उन्मुक्त हो
उड़ती है आकाश में
बिना रुके बिना थके
बिना डरे ....

रेवा

Sunday, January 28, 2018

नक़ाब




कितने मसरूफ़ रहते हैं न
लोग आजकल
इतने नक़ाब जो
बदलने पड़ते हैं उन्हें

कभी प्यार का ऐसा नक़ाब
चढ़ा लेते हैं कि लगता है
उनसे ज्यादा हमसे प्यार
कोई कर ही नहीं सकता

पर जब उन्हें लगता है हमें
उनकी आदत हो गयी है
वो बदल का खामोशी का
नक़ाब पहन लेते हैं

हज़ार मिन्नतें और
लाख मनुहार के बाद भी
उनकी खामोशी नही टूटती
बल्कि और मजबूत हो जाती है

लेकिन जब उन्हें लगता है
हम टूट रहे हैं तो
वो एक और नक़ाब लगाते हैं
दया का

उन्हें इस बात का ज़रा भी
इल्म नहीं की उनके इन हरकतों से
हम उनसे बहुत दूर चले जाते हैं
सदा सदा के लिए
और वो रह जातें हैं अकेले अपने
हज़ार नकाबों के साथ !!

रेवा

Monday, January 22, 2018

हॉस्पिटल

ये शब्द सुनते ही
ज़हन में एक डर
पैदा होता है,
लगता है भगवान न करे
वहां कभी जाना पड़े
पर जब कलपुरजों  में
तकलीफ़ होती है तो
पैर खुद ब खुद वहां
पहुंच जाते हैं
राहत देने के लिए
इस संस्था का निर्माण हुआ था
पर व्यवस्था को इतना
जटिल बना देते हैं कि
आम आदमी उलझ कर
रह जाता है
यहां पर भी जान पहचान की
महिमा का गुण गान होता है
आपकी पहचान जरूर
होनी चाहिए नहीं तो
ऊंचे पद पर तो हों ही आप
अगर ये सब है तो
आपकी बल्ले बल्ले
अगर नही तो जनाब
हस्पताल में भर्ती
करने और इलाज़ से लेकर
वहां से मुक्त होने में
आपके पसीने छूट जाएंगे
कुल मिला कर जोड़ घटा कर
ये हिसाब बना की
राहत देने से
लेकर परेशान करने तक और
आपके पॉकेट में बड़ा सा
छेद करने तक का सारा काम
ये पूरा करते हैं !!

रेवा

Thursday, January 18, 2018

जहां इश्क वहां अमृता


जितना अमृता को 
पढ़ती हूँ उन्हे और
करीब से जानने का
मौका मिलता है
उनके और इमरोज़
के प्यार और एहसास को
पढ़ कर मेरी रूह
सिहर जाती है
आंखें भीग जाती है
इतना प्यार कैसे हो सकता है ?
मुमकिन नही न
पर है तो ऐसा ही
अमृता की मुस्कान
इमरोज़ की जान
अमृता का अगले जन्म का वादा
इमरोज़ का सच्चा इरादा
अमृता की आदत
इमरोज़ की इबादत
अमृता के नज़्म
इमरोज़ के रंग
और दोनों ही एक संग
ये सब कितना अदभुत है न ....
पर क्या इश्क मर सकता है
खत्म हो सकता है दुनिया से
नहीं न
गर इश्क नहीं तो दुनिया नहीं
तब जो खुद इश्क हैं
वो कैसे जा सकती है कहीं
वो यहीं है हम सब के बीच
जहां इश्क वहां अमृता
और वहीं इमरोज़ भी !!

रेवा

#अमृता के बाद की नज़्म 

Saturday, January 13, 2018

सिन्ड्रेला और बचपन




कल टेलीविज़न पर 
बिटिया सिंड्रेला देख रही थी
तो याद आया मुझे
बचपन में हमने भी पढ़ी थी
सिंड्रेला की कहानी
और खो गए थे सपनों में
ये सोच कर ख़ुश हो गए थे की
हमे भी परी माँ मिलेगी
फिर वो कुछ ऐसा करेंगी की
बिल्कुल सिंड्रेला के
जैसे राजकुमार से
हमारी भी मुलाकात होगी
उसके जैसे अच्छे कपड़े
और कांच के जूते होंगे
हमारे पास ,
पर आजकल हमने
बच्चों को बहुत
तर्कसंगत और व्यवहारिक
बना दिया है
गुड टच बैड टच जैसी
बातों में फंसा दिया है
जो समय की मांग भी है ,
पर बच्चों के सपने
उनकी बचकानी
बातें , ख्वाहिशें
उनसे छीन ली हैं
यहां तक कि वो किसी
अजनबी से बात भी नहीं
कर सकते
क्या पता कौन क्या कर दे ??
दुनिया चाहे बहुत आगे
निकल गयी है
पर हमारे बच्चे और
उनका बचपना
खत्म हो गया है

Thursday, January 4, 2018

अभिनय






अभिनय ??
न कभी सीखा तो नही मैंने
पर हर रोज़ इसकी जरूरत
ज़रुर महसूस होती है
घरवालों के साथ
और बाहर वालों के साथ भी
कभी कभी तो खुद के साथ भी,

चाहती मैं कुछ हूँ
करना कुछ और ही पड़ता है
और बोलती तो कुछ और ही हूँ
कई बार मन बिल्कुल
नहीं मानना चाहता
आये दिन के समझौतों को,
पर उसका तो कत्ल
मैंने बहुत पहले ही कर दिया है
अब तो वो बस दफ़न पड़ा है
मेरे शरीर में
और इसलिए
दख़ल नही दे पाता
मेरे किसी भी फैसलों में ,

लेकिन .....
उम्र के इस पड़ाव पर
थक सी गयी हूँ
अभिनय करते करते
अब तो
मुझे मुझ सी ही रहना है
तुम्हें तुम्हें तुम्हें मैं
पसंद हूँ तो ठीक
और अगर नहीं हूँ
तो कोई  बात नहीं
कम से कम मेरा मन
जो अब गहरी नींद से जागा  है
ज़िन्दा तो हो सकेगा
और तभी तो  ज़िन्दा महसूस
करुँगी मैं भी !!!

रेवा