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Tuesday, December 29, 2009

मन करता है


मन करता है धुप की चादर ओढ़ कर सो जाऊं ............

खो जाऊं  उस दुनिया में जहाँ ,न गम हो

न आँसू ,ना कोई दुःख ..........


मन करता है धुप की चादर ओढ़ कर सो जाऊं  ...........

तेरी गोद हो सर रखने को ,

तेरी बाँहो का बिस्तर हो ,

और प्रेम  भरा तेरा स्पर्श हो ,


मन करता है धुप की चादर ओढ़ कर सो जाऊं ............

इस ठण्ड की भरी दुपहरिया मे ,

बस मै हूँ और तुम हो ,

और हो हमारे प्यार की खुशबू हर तरफ ,


मन करता है धुप की चादर ओढ़ कर सो जाऊं  ........


रेवा



Tuesday, December 15, 2009

काश !


काश तुमने मुझे कभी तो समझा होता .......

एक पल नज़र भर के देखा तो होता ,
एक पल मेरी नजरों को पढ़ा तो होता ,
एक पल मेरी तड़प को महसूस किया तो होता,
काश तुमने मुझे कभी तो समझा होता ........

जब जब तेरी जरूरत महसूस हुई दूर ही पाया तुझको ,
जब जब तेरे करीब गई दूर ही पाया तुझको ,
जब जब तेरे पहलु में पनाह मांगी दूर ही पाया तुझको ,
काश तुमने मुझे कभी तो समझा होता ..........

अब तो ये आलम है की दर्द लहू बन कर रिसता रहता है ,
आँखों से आंसू ऐसे बरसते है जैसे बादल से बारिश की बुँदे ,
हँसी होंठो का साथ देने से इंकार करती है ,
काश तुमने कभी मुझे दिल से महसूस तो किया होता ,
काश तुमने मुझे कभी तो समझा होता .....................

रेवा

Wednesday, December 9, 2009

क्या खोया क्या पाया












आज जब अपनी ज़िन्दगी के बारे मे सोचा,

इतने दिनों मे मैंने क्या खोया क्या पाया
तो पता चला की खोया तो शायद बहुत कुछ .....

कभी अपना सुख ,कभी अपने दुःख
कभी अपनी हँसी ,कभी अपने आँसू
कभी अपना सपना ,कभी कोई अपना
कभी अपना जोश ,कभी अपने रोष
कभी अपनापन ,कभी परायापन
कभी अपनी अभिलाषा ,कभी अपनी निराशा
कभी प्यार ,कभी दुलार
कभी अपना अस्तित्व ,कभी अपनी पहचान

पर इन सब के बीच बस पाया है एक साथ
ये कागज और ये कलम
ये कागज और ये कलम ....................

रेवा

Wednesday, December 2, 2009

मन

अपने मन को कैसे वश मे करू
क्यों यह भागता रहता है
क्यों भावुकता मे बहता रहता है
जब यह जानता है की भावुकता की कोई कदर नही फ़िर भी.............

क्यों भवनाएँ इतनी कोमल होती है
की जरा सी ठेस बर्दाश्त नही कर पाती ...............
क्यों आँखों से यह अश्रु धार अविरल बहते है

क्यों यह मन आहत होते हुए भी बन्धनों मे
बंधता रहता है .............
क्यों .........

रेवा


Thursday, November 19, 2009

ठण्ड की बेला ........


ये हलकी हलकी ठण्ड की बेला................

आँखों में दे जाए हज़ार सपनो का रेला,


दोपहर की कुनकुनी धुप का डेरा

जैसे तेरी बाँहो की गर्माहट का घेरा ,


ढलती शाम की ठंडी हवाओं का मेला

तेरे साथ चाय की चुसकियो का खेला,


गहरा होता अँधेरा और ठण्ड अलबेला

तेरी आगोश मे समाने की बेला .............


रेवा



Wednesday, November 11, 2009

गृहणी की कथा (वो क्या करे )

गृहणी.....एक लड़की वो जो अपना घर छोड़ कर अपने दोस्तों को छोड़ कर ,एक पुरे अलग परिवेश मे अनजान लोगो के बिच आती है अपने जीवन साथी का हाँथ थामे ,अनेको सपने आँखों मे लिए , वो एक एक कर के सब रिश्तो को समझती , उस घर के सारे रीती रिवाज़ अपनाने की कोशिश करती है धीरे धीरे वो सरे घर का , घर के बढो का ,अपने बच्चो का पति का सबका ध्यान रखने लगती है , सबकी पसंद ना पसंद , दुःख दर्द का बड़े प्यार से ख्याल रखती है

लेकिन यहीं से शुरू होती है उसकी व्यथा , इन सबको उसका फ़र्ज़ समझा जाता है ये तो उसे करना ही है , पर दुसरो के फ़र्ज़ का क्या ??? ये कोई नही सोचता उसकी खुशियाँ ,उसके पसंद ना पसंद ,उसकी इच्छाएँ कोई मायिने नही रखती उसकी भी कोई सोच है, उसका भी अस्तित्व है, पर उसे यह बोला जाता है की "तुम्हे कुछ नही समझ आता तुम अपना काम करो " बस वो सारा दिन चक्की की तरह सुबह से शाम पिसती रहती है, जो घर छोड़ आई है उसे वो अपना बोल नही सकती , और इस घर मे भी उसे सम्मान ना मिले तो वो क्या करे ???


ऐसे मे उसे सबसे ज्यादा जरूरत होती है अपने जीवन साथी की, अगर वो एक अच्छे दोस्त की तरह उसके कंधे से कन्धा मिला कर हर मुसीबत मे साथ दे ,चाहे वो घर के लोगो से हो या फ़िर कुछ भी, तो शायद जीना आसन हो जाता है पर ऐसा बहुत काम लोगो के साथ है , और जिनके साथ नही वो क्या करे ?????? या तो इसे ही अपना नसीब मान कर जीती रहे ............या अन्दर ही अन्दर घुटे, उसे क्या चाहियी ....... उसे चाहिए तो सिर्फ़ बहुत सारा प्यार और सम्मान ,पर यही उसे नही मिल पाता तो वो क्या क्या करे ????????

जानती हुं की दुनिया बहुत आगे निकल गई है नारी अब घर बहार दोनों कार्यो को बखूभी निभाने लगी है ,अपने फैसले ख़ुद लेती है ,और लोग उसका साथ देते है बहुत से पति भी अपनी पत्नियों का पुरा ध्यान रखते है ,उन्हें अपनी दोस्त समझते है , पर फ़िर भी यह प्रश्न चिन्ह बहुत सारी गृहणियों के जीवन मे है

रेवा

Sunday, November 8, 2009

उसने साथ छोड़ दिया



ऐसा क्यों हुआ 

जिस दोस्त को अपना सब कुछ माना

जिसकी दोस्ती को अपना गुरुर समझा

उसी ने साथ छोड़ दिया ........


जिस दोस्त को अपनी ज़िन्दगी के साथ जोड़ा

जिसके साथ दोस्ती की कसमे खायी ,


जिसने हमेशा मुझे सही राह दिखाया

जिसने हमेशा मेरा हौसला बढाया

हर मुश्किल मे साथ दिया

उसी ने साथ छोड़ दिया ........


जिसके लिए मैं हमेशा सबसे से लड़ी

लेकिन उसका साथ न छोड़ा ,


जिसका साथ इतने बरसो का था

नाता न कल परसों का था

उसी ने साथ छोड़ दिया .........


जिसके साथ देखे थे कई सपने

जीवन के कई रंगों को संजोया ,


जीवन की कड़ी धुप मे साथ चले

तुफानो से भी न डरे

अब अचानक उसी ने साथ छोड़ दिया ...........


मेरी आँखों को आंसुओ के सहारे छोड़ दिया

मेरे विश्वाश को पुरी तरह झकझोड़ दिया

मुझे अन्दर तक तोड़ दिया ,

उसने मेरा साथ छोड़ दिया ..........




एक दोस्त (रेवा)

































Friday, November 6, 2009

मेरा प्यार








कई बार सोचा अपने प्यार की गहराई कों , उसके एहसासों कों शब्दों में
बयाँ करू,कोशिश भी की पर हर बार ,मेरे ही शब्द ,मुझे परिपूर्ण नही लगे ,यह उसी कड़ी में एक और कोशिश है.........

कैसे बताऊ तुझे की कैसा प्यार है मेरा……… 
जैसा माँ अपने बच्चे से करती है 
वैसा नीरछल प्यार है मेरा ,

जितनी गहराई सागर में होती है 
उससे भी गहरा प्यार है मेरा ,

जितनी शीतलता चाँद की चांदनी मे होती है 
उस से भी शीतल प्यार है मेरा ,


ऐसे जुड़ गई हूँ तुझसे जैसे ,
फूलों के साथ खुशबू 
जैसे दिल के साथ धड़कन ,

ना कोई रिश्ता ना कोई नाता 
बस प्यार की डोर से बंध गई हूँ  तुझसे /




(रेवा)

Saturday, October 31, 2009

विरह वेदना











मैं खिड़की के कोने खड़े हो कर तेरा इंतज़ार करती
तेरे एक स्पर्श के लिए महीनों तड़पती 
तुझे याद कर के अपनी साड़ी का पल्लू भिगोती
इतना बेकरार हो जाती की तमाम कोशिशों के
बावजूद तेरी आवाज़ सुन कर गला भर आता ,


याद की इन्तहा होने पर
तेरे कपड़ों में पागलो की तरह तेरी खुशबू ढूंढती
और बिना बात ही हर बात पर रो पड़ती  ..........

महीनों बाद जब तेरे आने की ख़बर मिलती
एक खुशी की लहर बन कर हर जगह फ़ैल जाती
मुझे लगता की मेरी खुशी ,मेरी हँसी ,मेरा चैन
मेरा सुकून ,मेरी ज़िन्दगी आ रही है ....

पर आने के बाद तेरी वो बेरुखी, उफ्फ्फ !
तेरा मेरे एहसासों को मेरे जज्बातों को
मेरी तड़प को ,नज़र अंदाज़ करना
मैं जैसी हूँ  वैसा ही छोड़ कर चले जाना .....

मुझे और भी आंसुओं मैं डुबो देता
लगता जैसे चारों तरफ़ एक शुन्य
एक सूनापन बिखर गया
जैसे जीवन सूना, आधारहीन हो गया

विरह मे वेदना सहना आसान है ,
पर मिलन में कैसे सहा जाये विरह वेदना ??

रेवा 



Wednesday, October 21, 2009

बारिश की छमछम


बारिश की छमछम

चूड़ियों की खन खन,

पंछियों का चेह्कना

दिल का बहकना ,

ठंडी हवा की सुगबुगाहट

धडकनों की धक्ध्काहट ,

तेरे प्यार की फुहार

मेरी ज़िन्दगी का सार l 

रेवा



Wednesday, October 7, 2009

अगर तुम ना होते तो

अगर तुम न होते तो ,
प्यार न होता ,ऐसा नही,
पर वो प्यार इतना प्यारा न होता ,

अगर तुम न होते तो ,
मै हंसती नही ,ऐसा नही,
पर वो हँसी ,एक दिखावा होती ,

अगर तुम न होते तो ,
यह दिल धड़कता नही ,ऐसा नही,
पर वो धड़कन सिर्फ़ ह्रदय को गतिमान रखने के लिए होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह सांसें न चलती ,ऐसा नही ,
पर वो सांसें सिर्फ़ इस शरीर को जिंदा रखने का बहाना होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह एहसास न होते ,ऐसा नही ,
पर उन एहसासों मै वो प्यार वो जज्बा न होता,

अगर तुम न होते तो,
मै न होती, ऐसा नही ,
पर तब "तुम्हारी जान "बेजान होती ..................

एक प्रेयसी (रेवा)

Sunday, September 6, 2009

धरती की प्यास


दिल रूपी धरती कर रही बार-बार गुहार
कब पड़े इस पर बारिश की फुहार ,
ऐसा न हो की धुप की तपिश सहते-सहते
इसमे पड़ जाए दरार ,
यह इतना सख्त हो जाए की
भूल जाए सुहाना प्यार 
भूल जाए अपनी हरी भरी दुनिया
चिड़ियों के साथ चहकना 
हवा के साथ बलखाना
बारिश की बूंदों के साथ लहलहाना ,


बस रह जाये एक बेजान पहचान !




रेवा

Thursday, August 27, 2009

सिखा दे मुझे


दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे ,

बिना मिले तुझे महसूस करना आता है मुझे
मिल कर भी तुझे न पाना सिखा दे मुझे ,

टूट कर प्यार करना आता है मुझे
प्यार कर के टूट जाना सिखा दे मुझे ,

चैन गवां कर बेचैन होना आता है मुझे
चैन पा कर भी बेचैन होना सिखा दे मुझे ,

दुःख मैं भी सुख ढूँढना आता है मुझे
सुख मैं भी दुखी होना सिखा दे मुझे ,

प्यार के बिना जीना आता है मुझे
प्यार दे कर भी तडपना सिखा दे मुझे ,

जी कर मरना आता है मुझे
मर कर जीना सिखा दे मुझे ,

दूर रह कर दूर रहना आता है मुझे
पास रह कर दूर रहना सिखा दे मुझे l 


रेवा  

Friday, August 21, 2009

क्या हैं जवाब ?


क्या तेरे पास इन सवालों के जवाब है ?
क्यों यह दूरियां इतना तडपाती हैं 
क्यों सिर्फ़ यादों से इस मन को बहला नही पाती 
लाख कोशिशों लाख सवालों जवाबों के बावजूद 
यह नही समझता ,
क्यों यह इस दुनिया के रीती रिवाजों ,रस्मों को
तोड़ने पर आतुर रहता है ? 
क्यों यह जानते हुए की इस जन्म मे तो हमारा मिलन 
मुमकिन नहीं ,यह नही मानता  ?
हर पल बस तुझे याद करता है 
हर लम्हा तेरी चाह लिए जीता है 
क्यों तेरी एक आवाज़ सुनने को व्याकुल रहता है 
ख्वाबो मे भी तेरी झलक पा कर बेताब हो जाता 
तेरे द्वारा कही गई बातो को ही अपनी ज़िन्दगी मानता है ,
तेरी हँसी हँसता है ,तेरे आंसू रोता है ,
हर पल भावुकता मे बहने को आतुर रहता है ,
अपनी इच्छाओं को मार कर लहू लुहान होता रहता है ,
क्या तेरे पास इन सवालों के जवाब है ,
बोलो क्या हैं जवाब ?



रेवा

Tuesday, August 18, 2009

तेरी यादें




तेरी यादें बहुत प्यारी है

कभी मुझे हँसा देती है 

और कभी मुझे रुला देती हैं,

कभी मुझे अपने मे इस कदर समेट लेती है

जैसे तू मुझे अपनी बाँहो़ मे समेट रहा हो,

तेरी यादों के सहारे तुझसे दूर हो कर भी

हमेशा तेरी नजदीकी का एहसास होता है,

तेरी यादों मे समाना
ऐसा है, जैसे बादल हर

शाम सूरज को अपने आगोश मे समां लेता है
 ,

जैसे प्यासी धरती पर बारिश की हर एक बूँद,



जैसे चाँद की रौशनी से नहाई रात,

तेरी यादें बहुत प्यारी है ...

तेरी यादों में मैं हर लम्हा जी लेती हूँ

हर पल तेरे प्यार को महसूस कर लेती हूँ ,

पर कभी कभी दिल यह कह उठता है की

काश तेरी यादों के साथ- साथ तू भी

मेरे करीब होता.................


रेवा





Wednesday, July 29, 2009

क्या तुम यह जानते हो ?

क्या तुम जानते हो .........
तुम्हारा नशा मेरी आँखें
तुम्हारी खुशबू मेरा इत्र
तुम्हारा प्यार मेरा श्रृंगार
तुम्हारा स्पर्श मेरे एहसास
तुम्हारे एहसास मेरी जिंदगी
तुम्हारे जज्बात मेरी बंदगी
तुम्हारी तड़प मेरा जूनून
तुम्हारा आगोश मेरा सुकून
तुम्हारी सांसें मेरी धड़कन
तुम्हारी बातें मेरी तड़पन
तुम्हारी धड़कन मेरा दिल
तूम मेरी आत्मा
क्या तुम जानते हो ????
रेवा



Friday, July 10, 2009

आहिस्ता आहिस्ता

आहिस्ता आहिस्ता
दिल कब पराया हो गया
पता ही न चला,

आहिस्ता आहिस्ता
कब वो मुझमे बस गया
पता ही न चला,

आहिस्ता आहिस्ता
कब मैं उसके सपनों
में खोने लगी
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब उसका ख्याल,
उसकी बातें मेरी ज़िन्दगी बन गए
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब मेरी हँसी ,मेरी खुशी ,मेरे आंसू सब
उससे जुड़ गए पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब उसके दिल उसकी बाँहो में मैं
बसने लगी पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब मेरी हर धड़कन
हर साँस उसकी हो गई
पता ही न चला

आहिस्ता आहिस्ता
कब एक दिन उसकी बाँहो में
मैं अपनी आखिरी साँस लुंगी
पता ही न चलेगा .............

रेवा









Thursday, July 2, 2009

प्यार

प्यार एक ऐसा जज्बा है
जिसकी कोई सीमा निर्धारित नही
न शुरुआत है न अंत
न इसकी गहराई का पता चलता है

यह तो ऐसा एह्स्सास है
जो बस महसूस किया जा सकता है

इस जज्बे में एक पल में
पुरी ज़िन्दगी जी जा सकती है
और एक ही पल मैं मौत का
एह्स्सास भी हो सकता है........

रेवा


Thursday, June 25, 2009

कभी ऐसा भी होता है

कभी ऐसा भी होता है

बार बार आंखें भर आती है
लोग पूछते है क्या हुआ ?
हाँथ पाँव शरीर सब सलामत है
फ़िर यह आंसू क्यों ?

उन्हें क्या पता
यह दिल की तड़प
सिने की जलन
प्रियतम से विरह का एहसास

जो आँखों के रास्ते
अश्रु बन कर बह रहा है

रेवा

Saturday, June 20, 2009

मैं अधूरी हुं

तेरे बिना मैं अधूरी हुं

तेरे प्यार के बिना मैं अधूरी हुं
तेरे दुलार के बिना मैं अधूरी हुं

तेरे एहसास के बिना मैं अधूरी हुं
तेरे जज्बात के बिना मैं अधूरी हुं

तेरे बाँहो के बिना मैं अधूरी हुं
तेरी राहों के बिना मैं अधूरी हुं

तेरे साथ के बिना मैं अधूरी हुं
तेरे मुलाकात के बिना मैं अधूरी हुं

तेरी यादों के बिना मैं अधूरी हुं
तेरी बातों के बिना मैं अधूरी हुं

रेवा

Thursday, June 18, 2009

तुमसे मिली तो लगा



आँखों ने ख्वाब देखने छोड़ दिए थे
दिल ने प्यार पाने की आशा छोड़ दी थी
पर तुमसे मिली थो लगा
मै , मै हूँ
मैं भी किसी का प्यार बन सकती हूँ
टूट कर मुझे भी कोई चाह सकता है
किसी को मेरी भी परवाह है
किसी को मेरे दुःख मेरे आंसू से फरक पड़ता है
कोई है जो मेरे नैनों की भाषा समझ सकता है
कोई है जो उनमे डूब सकता है
करीब न होते हुए भी
हर पल मुझे अपने करीब महसूस कर सकता है

सच मे
तुमसे मिली तो लगा
अपनी ज़िन्दगी से मुलाकात हो गई !!

रेवा

Wednesday, June 17, 2009

तुम्हारे लिए

अब तो मेरे दिन का हर पल है तुम्हारे लिए

मेरी धडकनों की धड़कन है तुम्हारे लिए

मेरे सांसो की सरगम है तुम्हारे लिए

मेरे हर ख्वाब है तुम्हारे लिए

मेरे हर एहसास है तुम्हारे लिए

मेरी ज़िन्दगी है तुम्हारे लिए

मेरी बंदगी है तुम्हारे लिए

मेरी मौत भी हो तो बस तुम्हारे लिए

रेवा

Tuesday, June 16, 2009

तेरी यादें तेरा साथ ,
जैसे मेरी आंखें मेरे आँसू

तेरा प्यार तेरा दुलार ,
जैसे मेरी जान मेरी ज़िन्दगी

रेवा 

Monday, June 1, 2009

इंतज़ार..........

अब तो बस ..........

इंतज़ार है उस छण का
जिस छण मै तुझसे मिलूंगी ,

इंतज़ार है उस पल का
जिस पल मै तुझे महसूस करुँगी ,

इंतज़ार है उस लम्हे का
जिस लम्हे वक़्त थम जायेगा
सांसो का चलना बंद हो जायेगा
धड़कने रुक जाएगी ,

जबान भी साथ छोड़ देगी
बस रह जायेगा एक एहसास , एक तृप्ति ,एक संतुष्टि
की उस एक छण मे मै अपनी ज़िन्दगी जी सकी
उस एक छण अपनी ज़िन्दगी से मिल सकी......

इंतज़ार है ...........

रेवा   

Thursday, May 28, 2009

तेरा प्यार

मेरी धडकनों  में 
बस गया है तेरा प्यार ,
मेरी सांसो में 
महकता है तेरा प्यार ,
मेरी हर धड़कन के साथ
अपने होने का एहसास जताता है तेरा प्यार ,
मेरी हर साँस मे 
बसता है तेरा प्यार , 
लहू बन कर 
मेरी नस नस में 
बहने लगा  है तेरा प्यार ,
मेरे अंग अंग में 
समां गया है तेरा प्यार ,
मेरा विश्वाश है तेरा प्यार ,
मेरा गुरुर है तेरा प्यार ,
मेरी हँसी मेरी ख़ुशी है तेरा प्यार ,
अब तो मेरे जीवन का 
आधार ही है तेरा प्यार /


रेवा 

Monday, May 25, 2009

क्या तुमने कभी सोचा है

क्या तुमने कभी सोचा  है 


बारिश की बूंदों और ठंडी हवाओं के  साथ
मन  कितनी  उड़ाने भरने  लगता  है........


उस वक़्त हर पल हर जगह मन बस 
तुम्हे ही ढूंढने लगता है.......


लगता है इस सुहाने मौसम में
बस तुम हो, मैं हूँ और हमारा प्यार हो


खुद में सिमटी तुम्हारे काँधे पर सर रखे
बारिश में भीगते हम बस चलते चले जाये........


न कोई डर न कोई खबर 
अनगिनत बातें, अनगिनत ऐसी मुलाकाते
और हम तुम बस ऐसे ही चलते चले जाये.....

क्या तुमने कभी सोचा है.....


रेवा 

Saturday, May 23, 2009

ये आंसू भी अजीब हैं

ये आंसू भी अजीब हैं 

तेरे गम मे रोते है ,
तो तेरी ख़ुशी मे भी छलकने लगते है ........

तेरे विरह मे रोते है ,
तो तेरे मिलन की आस मे भी छलकने लगते है ........

तेरे रूठने पर रोते है ,
तो तेरे मान जाने पर भी छलकने लगते हैं ...........

तेरा प्यार न पाने पर रोते है ,
तो तेरा प्यार पा कर भी छलकने लगते हैं .......

जब तेरी याद ज्यादा आती है तो ये इस क़दर बेक़रार
हो जाते हैं की रुकने का नाम ही नहीं लेते ,

ये आंसू भी अजीब हैं
गम में रोते हैं ,
और ख़ुशी मे भी छलकने लगते हैं..........

रेवा 

Friday, May 22, 2009

Endless

My love for you is endless

My feelings for you is endless

My emotions for you is endless

My desire for you is endless

My talk for you is endless

My need for your love is endless

My need to be with you is endless

My beleive in you is endless

My pain without you will be endless........

REWA

Thursday, May 21, 2009

ये कैसी है ज़िन्दगी ?

ये कैसी है ज़िन्दगी ?

ख़ुशी है कम दर्द है ज्यादा ,

हँसी है कम आंसू है ज्यादा ,

प्यार है कम तन्हाई है ज्यादा ,

मान है कम अपमान है ज्यादा ,

पाना है कम खोना है ज्यादा ,

जीना है कम मौत है ज्यादा ,

ये कैसी है ज़िन्दगी ,

ख़ुशी है कम दर्द है ज्यादा ..............

रेवा 

Monday, May 18, 2009

ये कैसा है प्यार ?

ये कैसी है विडंबना .........ये कैसा है प्यार ?

न तुझसे दूर रह सकती हूँ
न तेरे करीब रह सकती हूँ ,

न तेरे बिना जी सकती हूँ
न तेरे साथ जी सकती हूँ ,

न तुझे याद किये बिना जी सकती हूँ
न तुझे सिर्फ़ याद कर के जी सकती हूँ ,

न तेरी आगोश मे समा सकती हूँ
न तेरी आगोश मे समाये बिना रह सकती हूँ ,

न तेरी सांसों में बस सकती हूँ
न तेरे बिना साँस ले सकती हूँ ,

ये कैसी है विडंबना .........ये कैसा है प्यार ?

रेवा 

Saturday, May 16, 2009

एक पल में

दिल करता है मिल लूँ  तुझसे एक पल के लिए

जी लूँ  उस एक पल मे

मर लूँ  उस एक पल मे

तेरी खुशबू बसा लूँ  उस एक पल मे

तेरी गर्माहट समेट लूँ  उस एक पल मे

हो जाऊं खुद से बेगानी उस एक पल मे

तोड़ दू सारे कसमों को उस एक पल मे

सारे जहाँ का प्यार पा लूँ  उस एक पल मे

दिल करता है मिल लूँ  तुझसे एक पल के लिए l

रेवा

Thursday, May 14, 2009

रिश्ता पुराना

दिल से दर्द का रिश्ता पुराना

आँखों  से  आंसुओं का रिश्ता पुराना

मिलन से जुदाई  का रिश्ता पुराना

चाहत से नफरत  का रिश्ता पुराना

तन से मन का रिश्ता पुराना

ख्वाब से नींद का रिश्ता पुराना

नजदीकी से दुरी का रिश्ता पुराना

ख़ुशी से गम का रिश्ता पुराना

पर इन सब से उपर  "तेरा  मेरा  रिश्ता  पुराना"

रेवा

Tuesday, May 12, 2009

इन आँखों ने एक सपना देखा

इन आँखों ने एक सपना देखा
सपने में कोई अपना देखा ,

बर्फीली वादियों में जिसके साथ
हाथों में डाले हाथ ,
इस दुनिया की भीड़ भाड़ से बेखबर
प्यार में डुबे इस कदर,

न खुद को खुद की खबर
न दिन रात न कोई पहर
न हम रहे हम न तुम रहो तुम
न फासले हो दरमियाँ
प्यार में डुबे इस कदर,

एक लम्हा भी गर ऐसा जाये गुजर
तो मरने से न फिर लगे डर
इन आँखों ने एक सपना देखा
सपने में कोई अपन देखा !

रेवा

Monday, May 11, 2009

Inner beauty............

what i am writing here is not a poetry or a thought ..........buts its the reality of life.....
i used think LOVE ,CARE ,RESPECT and TO B TRUE IN ALL WAT U DO...........are the things through which i can win any ones heart ..........but i was really proved wrong...........as in todays world its not the inner beauty but the outer beauty that counts ...................its the first thing seen in anybodys personality and appreciated................so u may b very beautiful person from inside..........but its not all ..............

REWA

Saturday, May 9, 2009

कैसे जीयु तुम बिन

कैसे जीयु तुम बिन

मेरा रोम रोम तड़प रहा है तुम बिन,

मेरा हर पल बेक़रार हो रहा है तुम बिन

मेरा हर लम्हा तन्हा है तुम बिन

न आँखों में नींद न दिल को सुकून है तुम बिन

मेरे दिल तो क्या

धड़कनों  ने  भी बगावत कर दी है तुम बिन

मेरी साँसे तेज़ हो रही है तुम बिन

मैं  पागल हो जाउंगी तुम बिन

आजा अब तू के तेरी "जान "अधूरी है तुम बिन

रेवा

Thursday, April 30, 2009

आज फिर

आज फिर मन है उदास ,
दिल को हो रहा है तुझसे दुरी का एहसास ,
आँखों से फिर बह रहें है जलधार ,
आज फिर मन है उदास........

आज फिर हर पल जल रहा है मेरा मन ,
आज फिर हर पल तड़प रहा है मेरा प्यार ,
आज फिर तेरे बिना सूना है मेरा संसार ,
आज फिर जीवन ने छोड़ी जीने की आस.......

आज फिर मन है उदास ,
दिल को हो रहा है तुझसे दुरी का एहसास .........

रेवा 

Sunday, April 26, 2009

आज मन क्यों इतना व्याकुल है

आज मन क्यों इतना व्याकुल है......

पता नहीं बार बार आंखे क्यों भर आती है

कुछ भी मन को सुकून क्यों नहीं देता है

किसी अनजानी आशंका ने मन को क्यों घेर रखा है

क्यों बार बार दिल भर जाता है

क्यों इतनी बैचनी हो रही है

क्यों मन अच्छी बातें नहीं याद कर पा रहा है
क्यों अपने आप को कमज़ोर महसूस कर रही हूँ
क्यों लगता है कोई मेरे साथ नहीं है
क्यों इस दुनिया की भीड़ में अपने आप को तनहा महसूस कर रही हूँ

आज मन क्यों इतना व्याकुल है........

रेवा

Friday, April 24, 2009

मर जाने को जी चाहता है........

जब वो प्यार से बात करता है तो,
मर जाने को जी चाहता है....

जब वो प्यार से देखता है तो ,
मर जाने को जी चाहता है..

जब वो प्यार से सताता है तो ,
मर जाने को जी चाहता है....

जब वो प्यार से प्यार करता है तो ,
मर जाने को जी चाहता है....

जब वो प्यार से अपने पास बुलाता है तो ,
मर जाने को जी चाहता है.....

जब वो प्यार से " मेरी जान " बोलता है तो ,
मर जाने को जी चाहता है..

सच मे एक दिन उसकी बाँहों मे ,
मर जाने को जी चाहता है............

रेवा 

Thursday, April 23, 2009

एक ख़्वाब

कल रात मैंने एक ख्वाब देखा ,
ख्वाब मे तुम्हे देखा.....
समुन्दर के  किनारे गीली रेत पर
तुम्हारे कांधे पर सर रखे ,
अपने आप को पूरी तरह भूल गयी.......

बरसात मे एक छतरी के निचे ,
तुम्हारे साथ हाँथो मे डाले हाँथ ,
पता नहीं कितनी दूर कितनी देर ,
बस चलती गयी ......

सर्दी की कुनकुनी धुप मे ,
घंटो तुम्हारे साथ बैठे ,
दुनिया भर की बातें करते ,
पता नहीं कब शाम हो गयी .........

और भी ऐसी पता नहीं ,
कितनी अनगिनत बातें ,
अनगिनत मुलाकातें ,
और ज़िन्दगी यूँही चलती गयी 
बस यूँही  चलती गयी  ......

काश ये ख़्वाब सच हो जाये ,
काश .....

रेवा

Wednesday, April 22, 2009

Never Knew......

Never knew what love is until loved by you.....

Never knew what caring is until cared by you....

Never knew what feeling is until felt you......

Never knew what missing is until missed you.....

Never knew what crying is until cried for you....

Never felt my heart beat until it started beating for you.....

Never Knew what eyes filled in love is until it filled with your love....

Never knew what melting is until melted in your arms......

Will never know what dying is until one day die in your arms......

REWA

Monday, April 20, 2009

मेरी क्या खता है....

आँसू  है की रुकने का नाम नहीं ले रहे ,
दिल बार बार भर आता है..

इसे क्या समझाउं कैसे समझाउं की ,
इसने जिसे अपना सब कुछ मान लिया है ,
जिसके लिए ये दिन रात बेक़रार रहता है ,
वही उसे दुःख देगा ....

जिसके एक ख्याल से एक पैगाम से ये खुश हो जाता है ,
वो उसे दुःख देगा .....

जिसकी एक आवाज़ में ये जीने लगता है
जिसके  इंतज़ार में वक़्त थम जाता है ,
वो उसे दुःख देगा ....

जिसके बिना वो अपने आप को अधूरा महसूस करता है
जिसके मिलने की आस मे वो जी रहा है ,
वो उसे दुःख देगा ....

अपने आप को तो समझा भी लूँ पर इस दिल का क्या करू ,
जो कुछ समझने को तैयार ही नहीं...

इतना दुखी है की न आँखों मे नींद है न इसे चैन ,
बस एक सवाल है ,
मेरी क्या खता है ,
मेरी क्या खता है......

रेवा 

प्यार...दवा भी,दर्द भी

जब तू पास हो तो प्यार मे मन बेचैन हो जाता है ,
जब दूर हो तो दर्द मे मन बेचैन हो जाता है.....

कभी ये ऑंखें प्यार मे सरोबर छलकने लगती है ,
तो कभी विरह मे रोती है......

कभी उसकी प्यारी बातें मन को गुदगुदा देती है ,
तो कभी उसकी ख़ामोशी जान ले लेती है........

कभी उसका प्यार जीवन मे दुगना आनंद भर देता है ,
तो कभी उसकी दुरी मात्र  का एहसास जीवन मे दर्द भर देता है......

यह प्यार का कैसा एहसास है , दवा भी देता है और दर्द भी .....

रेवा 

Sunday, April 19, 2009

तुम हो....

जब हवा का झोंका मुझे होले से स्पर्श करता है 
तो लगता है के तुम हो ,


जब हवा का झोंका मेरे बालों को सहलाता है
तो लगता है के तुम हो ,


जब हवा का झोंका मेरे आंचल से खेलता है
तो लगता है के तुम हो ,


जब हवा का झोंका मेरे कानों को छू कर जाता है
तो लगता है तुमने हौले से कुछ कहा है ,


ये कैसे जज्बात है, ये कैसे  एहसास है
जो बस तुम्हे ही ढूंढते है ,तुम्हे ही महसूस करते है हर जगह /


बस तुम्हे ही ....


रेवा 

Saturday, April 18, 2009

मत कर ..........

मेरा मन कई बार मुझसे कहता है 
तू खुद को खुद से दूर मत कर 
मत डूबा अपने आप को ऐसी चाहत में  
मत कर उसे इतना याद की 
फिर तुझे कुछ याद ही न रहे 
मत तरस उसकी बातें सुनने को इतना 
के फिर तुझे और किसी की बातें सुकून न दे ,
मत देख उसके इतने ख़्वाब कि फिर 
तेरी आँखों को और कोई ख़्वाब ही न दिखे ,
मत कर उसे इतना प्यार 

कि फिर तुझे उसके सिवा और 
किसी से मोहब्बत ही न हो ,
मत तड़प उसकी बाँहों में सिमटने को इतना 
के फिर तू , तू ही न रहे ,
मत कर उसका इतना इंतज़ार 
के फिर तुझे और कोई नज़र ही न आये ,
मत कर उसे इतना प्यार 
मत कर। .... 


रेवा 

Friday, April 17, 2009

कहाँ ले जाऊ ?

कभी कभी तेरी याद इस कदर आती है 
की मेरी आँखें भर आती है ,
आँखों से गिरते एक एक आँसू 
तेरे प्यार को तरसते है,
क्या करू मैं अपना....कहाँ ले जाऊ
अपने इन जज्बातों को ?
कहाँ ले जाऊ इन आंसुओं  को
अपनी इस तड़प को ?


कहाँ ले जाऊ ?


रेवा 

Thursday, April 16, 2009

तेरा ख्याल

जब तेरा ख़्वाब ही इतना हसीं है तो
हकीकत में क्या होगा ?


जब ख़्यालों में तू इतना प्यार करता है तो
हकीकत में क्या होगा ?


जब मेरी सोंच मे तेरी बातें मुझे सबसे बेगाना कर देती है तो
हकीकत में क्या होगा ?


जब कल्पना में तेरा साथ मुझे इतना तडपा देता है तो
हकीकत में क्या होगा ,


जब सपनों में तेरा आगोश इतना सुकून देता है तो
हकीकत में क्या होगा ,


जब तेरा ख्याल ही इतना हसीं है तो
हकीकत कैसा होगा /


रेवा 

Wednesday, April 15, 2009

कभी सोचा न था

कभी सोचा न था की 
मुझे भी प्यार हो जायेगा ,
ये प्यार 
मुझे खुद से जुदा कर देगा  ,
मैं भी 
किसी के इतना करीब हो जाऊँगी ,
कोई मेरे लिए दुनिया में 
सबसे प्यारा हो जायेगा ,
मेरी भी साँसें तेज़
और धड़कने रुक जायेंगी ,
मैं भी पागलों की तरह
सोचते सोचते हँसने लगूंगी 
बिन बात 
शर्म से लाल हो जाउंगी 
कभी सोचा न था की 
मुझे भी प्यार हो जायेगा  !!!!!!!


रेवा 

Tuesday, April 14, 2009

एहसास ....

ये क्या हो रहा है मुझे ,
ये क्यों हो रहा है ??
ये अजीब से एहसास ......
उसका दूर हो कर भी पास होना ,
बाहों मे न हो कर भी होना ,
धडकनों से दूर होकर भी
धड़कने महसूस करना,
कुछ न बोलते हुए भी 
सब कुछ सुन लेना ,
बिना मिले ही 
हर पल 
गर्माहट महसूस करना ,
दिन के हर छण मे 
मेरे साथ होना ,
उफ्फ्फ
अब तो ये एहसास ही
मेरी ज़िन्दगी बन गए हैं !!!!!




रेवा 

Monday, April 13, 2009

तू क्या है ........

मेरी हर धड़कन मे तू 
मेरी हर तड़पन मे तू ,

मेरी हर याद मे तू
मेरी हर बात मे तू ,

मेरी हर हंसी मे तू
मेरी हर ख़ुशी मे तू ,

मेरे हर ख्याल मे तू
मेरे हर सवाल मे तू ,

बारिश की बूंदों मे तू
सर्दी की धुप मे तू ,

न ये तू जानता है
न मै जानती हूँ की
तू मेरे लिए क्या है ...


रेवा