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Saturday, June 28, 2014

दोस्त


सालों तक जिस दोस्त को
ढूंढती रही निग़ाहें
उसका पता यूँ अचानक
चलेगा
ये सोचा न था ,
और पता भी कैसा
यहाँ तक की
मैंने उसकी तस्वीर
भी देखी
पर जाने क्यों
उसकी निगाहों मे
खुद को
तलाशने की कोशिश करने लगी ,
वो तड़प ढूंढने लगी
जिसे मैं महसूस करती थी
आखिर हमारी दोस्ती
थी ही ऐसी ,
पर वहाँ कुछ न पाकर
एक झटका लगा ,
एक टिस सी उठी दिल मे
पर चलो भर्म तो टुटा
क्या समय ,हालात
सच मे बदल देते हैं इंसान को ?

"दर्द इसका नहीं की
 बदल गया ज़माना ,
बस दुआ थी इतनी
मेरे दोस्त
कहीं तुम बदल न जाना "



रेवा


Sunday, June 8, 2014

मिनी की पहचान




बाबुल का आँगन
फिर एक बार 
याद करा गया 
वो बचपन ,
हवाओं मे 
महकता दुलार 
लाड़ और प्यार ,
करा गया 
एहसास की 
मैं वहीँ सबकी लाड़ली 
छोटी अल्हड सी मिनी 
जो फुदकती ,कूदती 
अटखेलियां करती 
नाचती थी आँगन आँगन ,
पर जिम्मेदारियों की
ओढ़नी ऐसी पड़ी   ,
कि मिनी की पहचान ही
बदल दी ……

 "बाबुल के आँगन की नन्ही कली
खिल कर फुल बनी
समय कि धुप उसपर ऐसी पड़ी
कि भूल गयी ,वो भी थी            
कभी एक नन्ही कली "

रेवा