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Saturday, October 31, 2009

विरह वेदना











मैं खिड़की के कोने खड़े हो कर तेरा इंतज़ार करती
तेरे एक स्पर्श के लिए महीनों तड़पती 
तुझे याद कर के अपनी साड़ी का पल्लू भिगोती
इतना बेकरार हो जाती की तमाम कोशिशों के
बावजूद तेरी आवाज़ सुन कर गला भर आता ,


याद की इन्तहा होने पर
तेरे कपड़ों में पागलो की तरह तेरी खुशबू ढूंढती
और बिना बात ही हर बात पर रो पड़ती  ..........

महीनों बाद जब तेरे आने की ख़बर मिलती
एक खुशी की लहर बन कर हर जगह फ़ैल जाती
मुझे लगता की मेरी खुशी ,मेरी हँसी ,मेरा चैन
मेरा सुकून ,मेरी ज़िन्दगी आ रही है ....

पर आने के बाद तेरी वो बेरुखी, उफ्फ्फ !
तेरा मेरे एहसासों को मेरे जज्बातों को
मेरी तड़प को ,नज़र अंदाज़ करना
मैं जैसी हूँ  वैसा ही छोड़ कर चले जाना .....

मुझे और भी आंसुओं मैं डुबो देता
लगता जैसे चारों तरफ़ एक शुन्य
एक सूनापन बिखर गया
जैसे जीवन सूना, आधारहीन हो गया

विरह मे वेदना सहना आसान है ,
पर मिलन में कैसे सहा जाये विरह वेदना ??

रेवा 



Wednesday, October 21, 2009

बारिश की छमछम


बारिश की छमछम

चूड़ियों की खन खन,

पंछियों का चेह्कना

दिल का बहकना ,

ठंडी हवा की सुगबुगाहट

धडकनों की धक्ध्काहट ,

तेरे प्यार की फुहार

मेरी ज़िन्दगी का सार l 

रेवा



Wednesday, October 7, 2009

अगर तुम ना होते तो

अगर तुम न होते तो ,
प्यार न होता ,ऐसा नही,
पर वो प्यार इतना प्यारा न होता ,

अगर तुम न होते तो ,
मै हंसती नही ,ऐसा नही,
पर वो हँसी ,एक दिखावा होती ,

अगर तुम न होते तो ,
यह दिल धड़कता नही ,ऐसा नही,
पर वो धड़कन सिर्फ़ ह्रदय को गतिमान रखने के लिए होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह सांसें न चलती ,ऐसा नही ,
पर वो सांसें सिर्फ़ इस शरीर को जिंदा रखने का बहाना होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह एहसास न होते ,ऐसा नही ,
पर उन एहसासों मै वो प्यार वो जज्बा न होता,

अगर तुम न होते तो,
मै न होती, ऐसा नही ,
पर तब "तुम्हारी जान "बेजान होती ..................

एक प्रेयसी (रेवा)