अपने मन को कैसे वश मे करू
क्यों यह भागता रहता है
क्यों भावुकता मे बहता रहता है
जब यह जानता है की भावुकता की कोई कदर नही फ़िर भी.............
क्यों भवनाएँ इतनी कोमल होती है
की जरा सी ठेस बर्दाश्त नही कर पाती ...............
क्यों आँखों से यह अश्रु धार अविरल बहते है
क्यों यह मन आहत होते हुए भी बन्धनों मे
बंधता रहता है .............
क्यों .........
रेवा
jane kyu yeh bhawnaayein itna tadpaati hai
ReplyDeletekitna bhi bacho apne vash mein kar hi leti hai
Reva, aapki bhawnao ne mujhe bhi bhaavuk kar diya hai
-Sheena
Dua karti hun,ki, aapki bhavnaon ko thes na pahunche!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
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Ghungharoo ki tarah , Bazta he raha hoon mein..
ReplyDeleteAkela Ghungharoo kabhi nahin bazta ...Dual ho tabhi bazta hai..
So the moral is ...remove duality from mind and feel that all the life forms are divine soul ..and all are playing their roll in life..so don't take seriously because it's a drama.. just play your roll without indulging yourself in it.. jaise kamal ka phool pani main ...
Bhavukta ke mool mein Moha and Ahankar hota hai ...aur oosi ko thess lagti hai...Enlighten one needed in life to understand life's drama.
मेरे दोस्त आप भाग्यशाली हो ,
ReplyDeleteजो आपको इतना कोमल हृदय मिला !
लोग तो धोक्के की दुनिया मै पागल हो रहे हैं ,
हर कोई 'चाह' को ले, उसे पाने की दौड़ मै लगा हुआ हे,
पर वक्त गुजरते ही अपने खाली हाथ मलता रहता हे जी!
आपको कुछ नहीं करना बस खुद मै 'सजग' होना हे जी,
सजगता वा सहज भाव से भावुकता को समर्पित कर दो ,
अपने भीतर अपने आत्म-प्रकाश मै समर्पित कर दो बस !
धीरे धीरे आप ऐसा कर खुद मै सुखमय प्रकाश पायोगी !
.....दीप
बहुत अच्छी लगी बात
ReplyDeleteअपनी लिखी कुछ पंक्तियाँ याद आ गाईं
आप के साथ बाँट रहा हूं
आँखों में आँसू की नदी का बहाव है
मुस्कराहट उस नदी की एक छोटी सी नाव है
साथ साथ इन को ऐसे ही रहने दे
इस को भी बहाने दे उस को भी बहाने दे
anil masoomshayer
bahut sundar panktiyan hai anilji dhanyavad
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