कभी कभी
बहुत याद आता है मुझे
वो बचपन का गुजरा जमाना ,
वो भैया से झगडे
और दीदी की पुचकार ,
छोटी छोटी बातों मे
रूठना और छुप जाना ,
रो रो कर अपनी हर बात मनवाना ,
पापा का लाड बरसाना
मम्मी का झूठ बोल कर
खाना खिलाना ,
गुप्ता जी के दूकान से
चोरी चोरी जा कर
१० पैसे के गटागट खाना ,
दोस्तों के साथ
कबड्डी और कित कित खेलना ,
माँ को मना कर दोस्त के घर
पढने जाना ,
अब तो बस आँखों मे बसे हैं
वो दिन ,वो पलछिन ,
काश ! कोई लौटा दे
बहुत याद आता है मुझे
वो बचपन का गुजरा जमाना ,
वो भैया से झगडे
और दीदी की पुचकार ,
छोटी छोटी बातों मे
रूठना और छुप जाना ,
रो रो कर अपनी हर बात मनवाना ,
पापा का लाड बरसाना
मम्मी का झूठ बोल कर
खाना खिलाना ,
गुप्ता जी के दूकान से
चोरी चोरी जा कर
१० पैसे के गटागट खाना ,
दोस्तों के साथ
कबड्डी और कित कित खेलना ,
माँ को मना कर दोस्त के घर
पढने जाना ,
अब तो बस आँखों मे बसे हैं
वो दिन ,वो पलछिन ,
काश ! कोई लौटा दे
वो बचपन का गुजरा जमाना /
रेवा
रेवा