फिर से हो रही है
तुझसे मिलने की आस ,
न जाने कैसा होगा
वो एहसास ,
क्या कुछ बोल पाऊँगी ?
या फिर से कर जायेंगी
आँखें अपना काम ,
ख़ामोशी बन जाएगी जुबां
जज्बात बिन कहे सुने
होंगे पास ,
घंटे पल मे और पल
छण मे बीत जाएंगे ,
उस छण को जीने
के लिए चलती हैं साँस ,
बीत जाते है
दिन और रात ,
न जाने कब होगी वो
रेवा
के लिए चलती हैं साँस ,
बीत जाते है
दिन और रात ,
न जाने कब होगी वो
प्यार भरी मुलाकात /
रेवा