फिर से हो रही है
तुझसे मिलने की आस ,
न जाने कैसा होगा
वो एहसास ,
क्या कुछ बोल पाऊँगी ?
या फिर से कर जायेंगी
आँखें अपना काम ,
ख़ामोशी बन जाएगी जुबां
जज्बात बिन कहे सुने
होंगे पास ,
घंटे पल मे और पल
छण मे बीत जाएंगे ,
उस छण को जीने
के लिए चलती हैं साँस ,
बीत जाते है
दिन और रात ,
न जाने कब होगी वो
रेवा
के लिए चलती हैं साँस ,
बीत जाते है
दिन और रात ,
न जाने कब होगी वो
प्यार भरी मुलाकात /
रेवा
Pyar aisahee hota hai! Bahut khoobsooratee se bayan kiya aapne!
ReplyDeletebahut badhiya , Sarthak Abhivyakti
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का यह अंदाज निराला है. आनंद आया पढ़कर.
ReplyDeleteखुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार |
ReplyDeleteदिल की भावनाओं में पगी बेहद सुन्दर पंक्तियाँ...
ReplyDeleteहोने वाले मिलन की व्याकुलता और उस व्याकुलता के माध्यम से प्रेम के अहसास को सुन्दर शब्द दिए है आपने ... बहुत खूब
ReplyDeletemohabbat mein zubaan chup ho to aankhen baat karti hai......
ReplyDeleteyeh kah deti hai woh baatein..jo kahna bhool jaate hai....
(yeh aankhen dekh kar hum saari duniya bhool jaate hai....)
aap sabka bahut bahut shukriya
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