आज मन मे एक सवाल ने दस्तक दिया
क्या है मेरी पहचान ?
रसोई मे अच्छा खाना बनाना
और फिर तारीफ सुन खुश हो जाना ,
या मेरा व्यवस्थित घर
जिसे कभी अव्यवस्थित
रखने की गुंजाइश नहीं ,
या बच्चों की परवरिश
जो अब बड़े हो गए हैं
और अपनी दुनिया मे मस्त
क्या है मेरी पहचान ?
पति का घर लौटने का इंतज़ार
और उनका थका चेहरा जो
बिन बात किये
खा कर सो जाते है ,
या बच्चों की फटकार
उनके कमरे और पर्सनल
लाइफ से बेदखली
क्या है मेरी पहचान ?
ससुराल मे मेरे उठाये गए
हर कदम पर प्रश्न
या घर की बचत पर
उठते सवाल
क्या है मेरी पहचान ?
मेरे मन का अंतर्नाद
या घर का वो कोना
जहाँ बैठ मैं करती हूँ
रात दिन खुद से
अनगिनत युद्ध
क्या है मेरी पहचान ??
रेवा