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Thursday, November 19, 2015

उपहार






दीये से इन नयनों मे
प्यार की बाती
जलायी है
तुम अपने
एहसासों के तेल से
इसे सदा 
सींचते रहना......
फिर देखना 
हमारे घर मे हर दिन 
दीवाली सी 
जगमगाहट फैली रहेगी,
दोगे न 
मुझे दीवाली का ये
उपहार !!!

रेवा

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-11-2015) को "हर शख़्स उमीदों का धुवां देख रहा है" (चर्चा-अंक 2167) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।

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