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Friday, September 30, 2016

परायी बेटियाँ





लाड़ प्यार से जाई बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ ??

बचपन के खेल खिलौने
मीठी बातों की लड़ियाँ
छोड़ जाती हैं आँगन में बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ??


भाइयों  की कलाइयों में राखी
बहनों की बाँहों में प्यार
दादा दादी के गले का हार
होती हैं बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ??

माँ की आँखों में पानी
पिता की सुनी ज़िंदगानी
कर जाती हैं बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ ??

त्यौहार की ख़ुशी
सखियों की हंसी
घर की रौनक
सब ले जाती हैं बेटियाँ
क्यों होती हैं परायी बेटियाँ ??

खुदा ने बख्शा ही है ऐसा हुनर
तभी तो अपनाया है दो दो घर
इसलिए तो जाती है दूजे घर
दो घरों को संवारती है बेटियाँ
इसी वजह से हो जाती है
परायी बेटियाँ !!!!!!!



रेवा

Thursday, September 22, 2016

शादी का जोड़ा




आज अचानक
सफाई करते करते
अपनी शादी का जोड़ा
दिख गया .....
उसे देख
एक अजीब सी
सिहरन महसूस हुई ....
उसे हाँथ मे लेकर
सहलाया
ह्रदय से लगाया तो
एक क्षण मे
बाबुल का आँगन
याद आ गया....
माँ की एक एक
सीख
पिता का दुलार
बड़े भाई बहन  से
अनबन
सहेलियों का प्यार
सब
आँखों के आगे
घूमने लगा,
फिर इस जोड़े
को पहन
पिया के घर
अपना पहला कदम .....

पहली संतान
का जन्म उत्सव
इन सब पलों मे
ये मेरे साथ था
आह !अदभुत एहसास
इस एक जोड़े
ने मेरे कितने
लम्हे सहेज रखें हैं !!!

रेवा

Friday, September 16, 2016

ताना बाना



कुछ प्रश्न हैं जो
मन को बार बार
परेशां करते हैं ......
कागज़ कलम उठाती  हूँ
लिखती भी हूँ
पर दूसरे ही पल
मिटा देती हूँ .....
लगता है जो लिखा है
सीधे सरल शब्दों मे
वो कविता
कहलाने लायक नहीं .....
सुना है
कविता जटिल शब्दों का
मायाजाल है
कई अर्थ छुपे शब्दों
से ही ये बुने जा सकते हैं ......
तभी वो कविता की
श्रेणी मे आते हैं.....
नहीं तो मात्र
भावनाओं  का
ताना बाना
बन कर रह जाते हैं ........
तो चलिए सहाब
यही सही
हम जटिल शब्दों के
मायाजाल से परे
अपने ताने बाने को ही
कविता समझ
खुश हो लेते हैं !!!!

रेवा



Thursday, September 8, 2016




सुनो ......
अब तेरी बेवफाई से
तड़पूंगी नहीं .....
अपनी लकीरों को खुद से दोस्ती
करना सीखा दिया है ........

रेवा