लाड़ प्यार से जाई बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ ??
बचपन के खेल खिलौने
मीठी बातों की लड़ियाँ
छोड़ जाती हैं आँगन में बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ??
भाइयों की कलाइयों में राखी
बहनों की बाँहों में प्यार
दादा दादी के गले का हार
होती हैं बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ??
माँ की आँखों में पानी
पिता की सुनी ज़िंदगानी
कर जाती हैं बेटियाँ
क्यों होती है परायी बेटियाँ ??
त्यौहार की ख़ुशी
सखियों की हंसी
घर की रौनक
सब ले जाती हैं बेटियाँ
क्यों होती हैं परायी बेटियाँ ??
खुदा ने बख्शा ही है ऐसा हुनर
तभी तो अपनाया है दो दो घर
इसलिए तो जाती है दूजे घर
दो घरों को संवारती है बेटियाँ
इसी वजह से हो जाती है
परायी बेटियाँ !!!!!!!
रेवा
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteshukriya onkar ji
Deleteबेटियाँ इसलिए परिभाषा से परे है ।
ReplyDeletesach kaha amrita ji
Deleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-10-2016) के चर्चा मंच "कुछ बातें आज के हालात पर" (चर्चा अंक-2483) पर भी होगी!
ReplyDeleteमहात्मा गान्धी और पं. लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती की बधायी।
साथ ही शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल रविवार (02-10-2016) के चर्चा मंच "कुछ बातें आज के हालात पर" (चर्चा अंक-2483) पर भी होगी!
ReplyDeleteमहात्मा गान्धी और पं. लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती की बधायी।
साथ ही शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
mayank ji abhar
Deleteshukriya viram ji
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteनई पोस्ट :
धड़कनें खामोश हैं
बहुत अच्छी नज़्म लिखी है बहुत सुंदर.... आप हमेशा ही भावों का चित्रण जीवंत बना देती हैं......आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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