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Friday, March 29, 2019

अक्षर


कभी कभी बस
चुप चाप बैठ कर
सोचने का मन होता है
पर दिमाग उलझनों में
उलझा रहता है
और कुछ समझ नहीं आता

तब ये अक्षर मेरे पास
आते हैं और
चुप चाप मेरे कंधे पर हाथ
रख कर मेरे पास बैठ जातें हैं
मैं अपने सारे सवाल
सारे ख़याल सारी उलझनें
इन अक्षरों के हवाले कर देती हूँ
जो स्वतः ही सब ले लेते हैं
और मेरा मन और दिमाग
शांत हो जाता है

ये अक्षर नहीं
मेरे सबसे प्यारे
दोस्त हैं

#रेवा
#अक्षर

Monday, March 11, 2019

बंद करो


बंद करो रक्त पात
बंद करो युद्ध की बात
बंद करो अहंकार का ये खेल
कहीं कोई भी मरे सब इंसान है
कम से कम ये तो देख 
माँ का भाल न लाल के खून से
लाल करो
इंसान हो जानवरों सी बात न करो
बंद करो रक्त पात
बंद करो युद्ध की बात

Tuesday, March 5, 2019

हूँ इन्सान


हाँ मैं हूँ एक माँ
खड़ी ढाल की तरह
अपने बच्चों के साथ 
उनके हर तकलीफ़ में
डट कर सामना करने को
उन्हें बचाने को तैयार
चाहे हालात कैसे भी हो
चाहे मुसीबत कैसी भी हो
पर फिर भी हूँ इन्सान
उस दिन उस शाम
कुछ मिनट पहले ही
देखा था अपनी दस साल की
बच्ची को खेलते हुए
और बाद के कुछ मिनटों ने
दुनिया बदल दी मेरी
नहीं बन पाई मैं अंतर्यामी
जो देख लेती होनी को
नहीं बचा पाई मैं अपनी
बच्ची को उस वहशी से
जिसने गंदे इरादे से
बच्ची को बंद कर लिया
अपने साथ
पर कामयाब न हो सका
लेकिन इस हादसे ने
डर दुख तकलीफ
भर दिया उस बच्ची
और माँ के अंदर
रोती रही ज़ार ज़ार
बच्ची को छाती से
लगाए यही सोचती रही
गलती मेरी है
नहीं रक्षा कर पाई
अपनी बच्ची की
नहीं बन पाई अंतर्यामी,
दुर्गा काली नहीं नहीं नहीं
बन पाई
नहीं बन पाई माँ
माँ का दर्जा बहुत ऊँचा है
सदा रहेगा पर
है वो इन्सान
है वो इन्सान