एक सजा
समझती हूँ
तेरी उदासी
पढ़ सकती हूँ
तेरी आँखों को ,
पर क्या करूँ
माँ हूँ फिर भी
कई बार तेरे सवालों का
तेरी उदासी का
समाधान नहीं कर पाती ,
समय ही
तुझे तेरे सवालों का
जवाब देगा ये जानती हूँ ,
पर तब तक
तुझे दुखी देखना
मेरे लिए एक सजा
से कम नहीं।
रेवा
शब्दों में इतनी सशक्तता बेहद खूबसूरत कविता है दी...
ReplyDeletebahut bhavuk kavita...dil me tees pahuchane wali bhawanaye. thanks for posting such a nice poem Rewa.
ReplyDeletevery nice
ReplyDeletemaa ki mazburi ho jati hai kabhi -kabhi ....bahut sundar abhivykti
ReplyDeletesuch beautiful lines but filled with pain...
ReplyDeleteएक माँ की दुविधा को मुखर अभिव्यक्ति देती सशक्त रचना ! बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,सीधी,सच्ची बात.....
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteभावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने...
ReplyDeleteShukriya
ReplyDeleteबहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeletewaah bahut khub
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
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