क्या बताऊँ सबको
कि मुझे क्या हुआ है
क्यूँ मैं सूखती जा रही हूँ ,
उस माँ कि व्यथा कैसे दिखाऊँ
जिसका मन जब तब
उस शाम को याद कर
रो पड़ता है ,
जिस शाम उसकी
दस साल कि बच्ची की
किसी वहशी ने
अस्मत लूटने की
कोशिश कि थी ,
हर बार माँ कि आँखों
के सामने बेटी का वो
रोता हुआ चेहरा
आ जाता है ,
जब उसने कांपते कांपते
सारी बात बतायी और
कहा था ," माँ सब बंद
कर दो , नहीं तो
वो मुझे मार देगा "
उस दिन शायद वो माँ
एक मौत मर गयी थी ,
हर वक्त उसे यही दुःख
सालता है कि वो
अपनी बच्ची कि रक्षा
न कर सकी ,
समय का पहिया
पीछे घूमता भी तो नहीं
कि वो वापस जा कर
सब ठीक कर दे ,
बस दिल रोता रहता है
और जीवन चक्र
चलता रहता है।
रेवा
बहुत मार्मिकता लिए आपकी ये अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत मार्मिक प्रस्तुति...
ReplyDeleteIs aadhunik yug ki sachchai ki marmik prastuti
ReplyDeleteIs aadhunik yug ki sachchai ki marmik prastuti
ReplyDeleteबहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमार्मिक चित्रण !!
ReplyDeleteBahut hi sunder shabdon mein aapne kaha hai vyatha ko...bahut hi saarthak rachna!
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् कल रविवार (16-02-2014) को "वही वो हैं वही हम हैं...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1525" पर भी रहेगी...!!!
ReplyDelete- धन्यवाद
shukriya Misra ji
Deleteदिल को हिला देने वाली मार्मिक प्रस्तुति !
ReplyDeletemamsparshi rachana ke liye aabhar
ReplyDeleteमार्मिक ... उस माँ की व्यथा का अंदाज़ लगाना मुश्किल है ... दिल को हिला जाती है रचना ...
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी और कोमल भाव रचना... माँ के प्रति सुंदर समर्पण भाव..
ReplyDeleteयह केवल माँ की व्यथा नहीं समाज के हर ज़िम्मेदार नागरिक की व्यथा होनी चाहिए . मार्मिक रचना
ReplyDeleteकुछ हद तक सही चित्रण एक माँ के दर्द का
ReplyDeleteवरना पूरा चित्रण कहाँ संभव है