पता नहीं क्यों
पर इन दिनों
बड़ी शिद्दत से
महसूस हो रहा था की
तूने दूरी बना ली है मुझसे ,
फिर लगा शायद !
प्यार पर
मसरूफ़ियत
हावी हो गया है ,
या तुझे मेरी
अब परवाह ही नहीं ,
जो भी था
मैंने अपने आप को
इस परिस्थिति के
मुताबिक
जीना सिखा लिया था ,
पर कल
जब तेरी आवाज़ सुनी
और उस आवाज़ में
वही कशिश
वही प्यार महसूस किया ,
तो ऐसा लगा जैसे
मेरी रूह को
सुकून मिल गया ,
और मन कि सारी कड़वाहट
बह गयी
आंसूओं के रास्ते।
रेवा
बहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST - फिर से होली आई.
बहुत गहरे ख़याल। जज़्बात को उकेरना इतना आसान भी नही होता और आपने बखूबी लिखा। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteHappy holi
ReplyDeleteKavita bahut achchhi lagi
bahut pyari si kavita Rewa...holi ki shubhkamnaye.
ReplyDeleteअच्छा संदेश व समझाइस उनके लिये जिनका मन भ्रमित है।
ReplyDeleteso beautiful..full of love!
ReplyDeleteShukriya......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , होली की शुभकामनायें....:)
ReplyDeleteshukriya mayank ji
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
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