सुबह से आज महिला दिवस कि बधाईं मिल रही है ,
चाहे फेसबुक हो watsaap या gmail ,
एहसास मिश्रित हैं !
इसलिए अपनी बात कहने आ गयी ,
महिला दिवस मनाते हैं हम
पर पुरुष दिवस क्यों नहीं होता
जब हर छेत्र मे पुरुष से समानता
करते हैं ,तो फिर इस छेत्र मे असमानता ?
वैसे देखा जाये तो हर दिन हमारा
ही होता है !
बस ये सोच पर निर्भर करता है ,
अगर हम अपने को पुरुषों
से कमजोर समझेंगे तो
हम वैसा ही महसूस करेंगे ,
ये साबित भी हो चूका है की
हम पुरुषों से ज्यादा सक्ष्म हैं ,
ज्यादतर महिलायों का शोषण
महिलाएं ही करती हैं
ये भी एक कड़वा सच है ,
हम सबको को आज
ये प्रण लेना चाहिये की
हम महिलायें एक दूसरे के
साथ देंगी हमेशा ,
चाहे फिर रिश्ता कोई भी हो
"सबसे बड़ा रिश्ता तो यही है की
हम एक ही लिंग के हैं"
और यही रिश्ता सर्वोपरी है।
रेवा
sahi baat ....koi bhi mahila sirf apne swrop se hi mukabla karti hai
ReplyDeleteAapne dusra pehlu likha...bahut Saarthak hai..!
ReplyDeletesahi baat purush saksham hoga nari prerna banegi to hi pariwaar me samaj me badlaw hoga
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है |
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, आभार।
ReplyDeleteसटीक सुंदर सृजन...!
ReplyDeleteRECENT POST - पुरानी होली.
बहनें हैं तो सोच भी एक जैसी ही होनी थी ना बहना
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
बिल्कुल सच कहा है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सच कहा जी
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक रचना ! महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
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