इन दिनों मन कैसा हो रहा है
चिड़ियाँ के बच्चे जब उड़ना
सीख जातें है तो
घोसला छोड़ कर
चले जाते हैं न ,
आज मेरे बेटे कि
हॉस्टल जाने कि बारी आयी
तो मैं इतना कमज़ोर
क्यों हो रही हूँ ?
सब के बच्चे जाते हैं ,
पर ये मन को समझाने
के लिए अच्छी सोच है ,
पर एक माँ को समझाने
के लिए नहीं ,
उसकी ममता कि व्याकुलता
को शांत करने के लिए नहीं ,
शायद हम बच्चो को बड़ा
करने में ,इतने
मशगूल हो जातें हैं की ,
सबकुछ भूल ही जाते हैं
ये भी कि एक दिन
वो दूर भी जाएंगे ,
और छोड़ जाएंगे
बस एक खालीपन।
रेवा
बहुत सुन्दर
ReplyDeletemaa ki mamta hai hi esi
ReplyDeletesundar ..
ReplyDeleteमेरे भाई जब बाहर जाते थे तो माँ कहती थीं की कलेजा मेन कलछुल चलेला ...... मेरी हंसी छुट जाती थी ..... ज़ोर से हंसने की आदत थी ..... माँ घूर कर देखती थी .....
ReplyDeleteजब पहली बार मेरा बेटा बाहर गया तो मुझे अपनी माँ की काही बात याद आई और तब मैं उनको समझ पाई ...... आज तुम्हें भी समझ रही हूँ ......
i can feel it... anyways nice lines!!
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteBahut sunder
ReplyDeleteबच्चों के भविष्य के लिए कुछ सहना होता है...बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteshukriya Abhi Bhai
ReplyDeletehota hai ..main bhi char sall tak dono bachho se dur rah kar dekha...ek to ab bhi bahar hai ..bhvishy ki ujjaval kaamnao ke sath meri shubhkamna ....
ReplyDeleteबच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए माँ को ये सब सहना ही होता है , ममता ऐसी ही होती है रेवा जी , मेरा बेटा भी तीन सालों से बाहर ही है पर भविषय बनाना है तो भेजना ही पड़ता है । शुभकामनायें आपको ।
ReplyDeleteshukriya aap sabka apne apne ehsas mere saath batein
ReplyDeletemann ki bhavnao ko bahut khoobsurati se darshati ho Rewa aap. bahut sunder.
ReplyDeletethank u so much Vasu di
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