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Thursday, March 17, 2016

दुखी तू भी दुखी मैं भी !!







तू रोता है अपने दुःख से 
और मैं 
रोती हूँ
प्यार की चाहत मे  ,
तुझे कन्धा चाहिए 
सर रख कर रोने के लिए
और मुझे
प्यार महसूस
करने के लिए


तुझे कोई ऐसा चाहिए 
जो तेरे आँसूं पोंछ सके 
और मुझे ऐसा 
जो मेरे आंसुओं को 
समझ सके 


कितने अलग हैं न
दोनों के एहसास
पर दुखी तू भी
दुखी मैं भी !!



रेवा




10 comments:

  1. अत्यंत भावपूर्ण एवं सम्वेदना से सिक्त रचना ! बहुत सुन्दर !

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  2. बेहद गहरे एहसास उकेरे हैं शब्दों का रूप देकर।

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  3. बेहद गहरे एहसास उकेरे हैं शब्दों का रूप देकर।

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (19-03-2016) को "दुखी तू भी दुखी मैं भी" (चर्चा अंक - 2286) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. सुन्दर रचना .....अक्षर कुछ और बड़े कीजिये !

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    1. shukriya Upii di kuch problem hai bade karti hun fir chote ho jate hain

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  6. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 21 मार्च 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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