होली है भई होली है
रंगों ने खूब मस्ती घोली है
राधा और कान्हा का प्यार
आ गया फागुन मेरे यार
आ गया फागुन मेरे यार
गोपियों संग हंसी ठिठोली
भर गयी फूलों से सबकी झोली
भर गयी फूलों से सबकी झोली
चारों ओर बिखरे हैं रंग
मनाओ होरी पी के संग
मनाओ होरी पी के संग
भीगी है चुनरी भीगी है चोली
पी के प्यार मे मैं रंग बिरंगी हो ली
पी के प्यार मे मैं रंग बिरंगी हो ली
सब मिल पियो ठंडाई और भंग
होरी मे भुला दो सारे गम
होरी मे भुला दो सारे गम
आओ आज मिल उठाये ये कसम
खुश रहेंगे हम सब हरदम
खुश रहेंगे हम सब हरदम
होली है भई होली है
रंगों ने खूब मस्ती घोली है !!!!
रंगों ने खूब मस्ती घोली है !!!!
रेवा
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 25 मार्च 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteshukriya yashoda behen
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (25-03-2016) को "हुई होलिका ख़ाक" (चर्चा अंक - 2292) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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रंगों के महापर्व होली की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
abhar Mayank ji
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteहोली मुबारक
ReplyDeleteapko bhi holi ki dhero shubhkamnayein
Deleteरंगोत्सव के पावन पर्व पर हर्दिक शुभकामनायें...सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteshukriya .....apko bhi holi ki dhero shubhkamnayein
Deleteमस्तीभरी कविता
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