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Sunday, April 25, 2010

दर्द

दर्द शब्द खुद में
इतना दर्द पूर्ण है की क्या कहूँ  ...

न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में
आ जाता है दर्द,
क्यों मन को इस कदर
दुखाता है दर्द,
आँखों से लहू बन कर
बहता है दर्द,
पन्नों पर शब्द बन कर
बिखर जाता है दर्द,
दिल को बहुत दुखाता है यह दर्द

बेगाने क्या अपने भी
दे जाते है दर्द,
हँसी में भी दबे पाँव
आ जाता है दर्द,
हर पल अपने होने का
 एहसास दिलाता है दर्द,
सांसों में क्या अब तो
धड़कनों में भी बस गया है दर्द,
न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में
आ जाता है दर्द ....



रेवा

23 comments:

  1. "पन्नो पर शब्द बन कर बिखर जाता है दर्द
    दिल को बहुत दुखता है यह दर्द"
    सुन्दर पंक्तियां

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  2. किसी की पंक्तियाँ याद आयीं-

    आदत के बाद दर्द भी देने लगा है लुत्फ
    हँस हँस के आह आह किये जा रहा हूँ मैं

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. Dard to apnehi de sakte hain..beganonki baaten to ham bhool sakte hain..bahut sundar rachana..

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  4. न जाने कहाँ से ज़िन्दगी में आ जाता है दर्द
    क्यों मन को इस कदर दुखता है दर्द
    आँखों से लहू बान कर बहता है दर्द
    पन्नो पर शब्द बन कर बिखर जाता है दर्द
    दिल को बहुत दुखता है यह दर्द
    Khamosh hun!

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  5. "पन्नो पर शब्द बन कर बिखर जाता है दर्द
    ....
    हर पल अपने होने का एहसास दिलाता है दर्द
    सांसो मे क्या अब तो dharkano मे भी बस गया है दर्द"
    बेगानों का दर्द तो कोई झेल भी ले - अपने दें तब कोई क्या करे - दर्द को शब्द देने का अच्छा और सार्थक प्रयास - शुभकामनाएं

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  6. प्रयास अच्छा है मगर शब्दों की शुद्धता पर अधिक ध्यान दें तो और भी निखार आएगा

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  7. kuch kehna bhi chaahu to usmein bhi nazar aata hai

    -Shruti

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  8. bahut hi khubsurat kavita...
    padhkar achha laga...
    yun hi likhte rahein..
    regards
    http://i555.blogspot.com/
    yahan bhi jaroor ayein.....

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  9. dard me jeene ka apna hi maja hai....ise bhi mahsoos kariye......

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  10. -------------------------------------
    mere blog par is baar
    तुम कहाँ हो ? ? ?
    jaroor aayein...
    tippani ka intzaar rahega...
    http://i555.blogspot.com/

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  11. Achhi rachna!
    Jake pair na fate biwaai wa kya jaane peer paraayee!
    Dard.....
    Sadhuwad!

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. Bahut achhi vyakhya ki hai aapne "Darad" ki !!!

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  14. pata nhi Q aata h darad

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  15. दर्द को बखूबी उंडेला है आपने अपनी इस दर्दभरी प्रस्तुति में.
    हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए आभार,रेवा जी.

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  16. dard bina jindagi bin chhauke daal ki tarah beswad bhi to ho jaati hai ,dard hai to jindagi ko tadaka jo lag jaata hai .....dard hi to hai jo jindagi ko urjwaan karne mai sahayak hoti hai ....,.dard hi to hai jo jindagi ko ek naya disha pradaan karti hai ....dard ka hi to ahsaas hai jo hame manusyata ki paribhasha mai dhalane prerit karati hai ........is aasha k saath aapako wo shubhkaamanaye .......meri or se ki aapake hradayshparshi komal/maasoom bhaw aapki lekhani ko aur bhi chamak pradaan kare aur aap logo ke dil mai dard ki ahmiyat ko aur bhi naye dhang se jaga paaye ...shubh kamana .....

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  17. apka mere blog par swagat hai.....itni acchi baat kehne kay liye bahut bahut shukriya

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  18. बहुत सुन्दर लिखा हैं

    कुछ मैंने भी लिखा था इसी तरह ...........
    दर्द सब खुद सहने होते हैं .
    दर्द जो अपनों के होते हैं
    दर्द जो अपनों से होते हैं
    दर्द जो तोड़ते हैं रिश्ते
    दर्द जो जोड़ते हैं रिश्ते
    दर्द तन का भी होता है अगर
    दर्द मन का भी होता हैं मगर
    दर्द मिलन का भी होता हैं
    दर्द जुदाई का भी होता हैं
    दर्द कम भी होता हैं तो
    बढ़ भी जाता हैं मगर
    दर्द छुपाया भी जाता हैं
    तो बताया भी जाता हैं
    दर्द में सब दर्दो की दवा भी
    दर्द में काम आती दुआ भी
    दर्द मेरे भी हैं
    दर्द तेरे भी हैं
    दर्द कोने में छिपे हैं किसी के
    दर्द दुनिया में बिखरे है किसी के
    दर्द किसी को खुश करने का
    दर्द किसी के नाखुश रहने का ......
    .
    .
    दर्द की इन्तहा कोई नही जनता
    दर्द किसी का कोई नही बाँट ता
    दर्द खुद सहना होता हैं
    बस अपनों का साथ
    दर्द की शिद्दत कम कर देता है
    खुदा करे कभी किसी को कोई दर्द न मिले .............नीलिमा

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