तुझसे मिलने की
हर वक़्त
एक व्याकुलता सी
रहती है ,
कश-म-कश चलती रहती
है दिल मे ,
कभी सोचती हूँ
मिल कर क्या करुँगी
क्या बात करुँगी ,
पर जवाब
कुछ नहीं मिलता ,
हर वक़्त लगता है
बस तू करीब हो
तेरी आवाज़ सुनती रहूँ
तेरी प्यार की बारिश मे
भीगती रहू ,
तेरी बाँहों के साये मे
बैठी रहूँ ,
कभी सोचती हूँ
गर तू सच मे
करीब आया ,
तो क्या मै
संभाल पाऊँगी
अपने आप को ,
या बस पिघल
कर रह जाउंगी ,
ये सारी बातें
दिल मै एक तूफ़ान
जगाती है ,
आंखें नम कर जाती है ,
कोशिश करती हूँ
खफा हो जाऊ तुझसे
पर हर बार दिल कुछ
बहाना कर के
इस कोशिश को नाकाम
कर देता है ,
फिर रह जाता है
बस प्यार भरा एहसास .............
रेवा