तुझसे मिलने की
हर वक़्त
एक व्याकुलता सी
रहती है ,
कश-म-कश चलती रहती
है दिल मे ,
कभी सोचती हूँ
मिल कर क्या करुँगी
क्या बात करुँगी ,
पर जवाब
कुछ नहीं मिलता ,
हर वक़्त लगता है
बस तू करीब हो
तेरी आवाज़ सुनती रहूँ
तेरी प्यार की बारिश मे
भीगती रहू ,
तेरी बाँहों के साये मे
बैठी रहूँ ,
कभी सोचती हूँ
गर तू सच मे
करीब आया ,
तो क्या मै
संभाल पाऊँगी
अपने आप को ,
या बस पिघल
कर रह जाउंगी ,
ये सारी बातें
दिल मै एक तूफ़ान
जगाती है ,
आंखें नम कर जाती है ,
कोशिश करती हूँ
खफा हो जाऊ तुझसे
पर हर बार दिल कुछ
बहाना कर के
इस कोशिश को नाकाम
कर देता है ,
फिर रह जाता है
बस प्यार भरा एहसास .............
रेवा
कोशिश करती हूँ
ReplyDeleteखफा हो जाऊ तुझसे
पर हर बार दिल कुछ
बहाना कर के
इस कोशिश को नाकाम
कर देता है ,
फिर रह जाता है
बस प्यार भरा एहसास .............
Kitnee nakaam koshish aur kitna pyara-sa ehsaas!
मन मोह लिया आपकी इस कविता ने
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
बहुत ही खूबसूरत रचना, आपकी लेखनी बहुत कम लफ्जों में बहुत बड़ी बात कह जाती है|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.....अति विशिष्ठ रचना !!
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya...
ReplyDeletekamlesh ji aap swagat hai mere blog mai
ReplyDeletevery good mam
ReplyDelete'Love' seems your favourite topic Rewa...!! Most of the things I feel the same way, but you are good at expressing them in poetry form...!
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