आज तुमने मुझे
नितांत अकेला
कर दिया ,
ऐसा लगा जैसे
दिल पर किसी ने
हजारों नश्तर
उतार दिए हों ,
अब मै ज़िन्दगी
भर खुद को दोष
देती रहूंगी ,
उन लम्हों के लिए
जो मैंने तुम्हारे
साथ बिताये ,
उस प्यार के लिए
जिसे मैंने अपनी
भावनाओ और एहसास
से सींचा था ,
शायद मुझे में
या मेरे प्यार मे
कोई कमी होगी ,
एक अरसा हो गया
खुद के बारे मे
सोचे हुए ,
क्युकी मेरी हर सोच
तुमसे शुरू होती थी
और तुम्ही पर खत्म ,
पर चलो तुमने मुझे
खुद के लिए वक़्त
तो दिया ,
मेरी तन्हाई को
और तनहा कर
मुझे उस से जोड़
दिया ,
पर शुक्रिया तुम्हारा
ऐ दोस्त ,
तुमने मुझे
प्यार को समझने का
मौका तो दिया l
रेवा
पर चलो तुमने मुझे
ReplyDeleteखुद के लिए वक़्त
तो दिया ,
मेरी तन्हाई को
और तनहा कर
मुझे उस से जोड़
दिया ...........
शुक्रिया तुम्हारा
ऐ दोस्त
तुमने मुझे
प्यार को
समझने का
मौका तो दिया .............
lajwaab
बेहतरीन पस्तुति
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना ...
ReplyDeletesach ko likhna use samjhna aur sarlta se shbdo me dhal aapne kamaal kar diya rewa ji bahut hi chuti dil ko....
ReplyDeleteaap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteBuddhuRam sey mil koi buddhu hi nahi mil jata ji, aap apne bhitar aseem pratibha rakhti ho ........ koi tumko kyon roshan karega jab aap khud mey hi ek deep ho !
ReplyDeletemey BadriNath ji ki yatra par tha , kal hi aya hun ! Apko achcha achcha likhne ki badhai va shubh-kamnayen ji .....
hmmm...thanx dadu....
ReplyDeleteGood thought Rewa.... full of depth and insight...!!!
ReplyDeleteरेवा जी
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता...
यह अंश बहुत पसंद आया
दिल पर किसी ने
हजारों नश्तर
उतार दिए हों ,
अब मै ज़िन्दगी
भर खुद को दोष
देती रहूंगी
बेहतरीन प्रस्तुति....!!!!
singh SDM....shukriya...
ReplyDeletehi nice
ReplyDelete