प्यार में तो सिर्फ
प्यार होना चाहिए न ,
फिर इतना दर्द
क्यों होता है ?
प्यार मे तो बस
ख़ुशी होनी चाहिए
फिर यह आँसू
क्यों आ जाते है ?
हम ये क्यों नहीं
महसूस कर पाते
की हमे प्यार तो मिला ,
कितने ऐसे लोग हैं
दुनिया मे जिन्हें
सच्चा प्यार मिलता है ?
इतना सब जान समझ
कर भी हम बच्चे
क्यों बन जाते हैं ,
कभी हँसते है
कभी रोते हैं ,
कभी बिन बात ही
गुनगुनाने लगते है ,
बस वो एक आवाज़
एक साथ ,उलाहने
और प्यार भरी बातें
हमे सुकून और
ख़ुशी से भर देती है ,
और वही न मिलने पर
दिल बोझिल हो जाता है
दर्द से भर जाता है ,
क्यों होता है ऐसा
क्या सचमुच प्यार
दर्द और ख़ुशी का
मिश्रण है ?
या पागलपन की
निशानी......क्या
है प्यार ??????
रेवा
हां यही तो प्यार है
ReplyDeleteमेरा ब्लॉग - दुनाली
मन के भावों को खूबसूरती से लिखा है
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सजाई हुई बेहद बेमिसाल रचना !
करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
ReplyDeleteआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
बहुत ही प्यारी रचना !!
ReplyDeleteपढ़ कर मन प्रसन्न हों गया..
"प्यार में तो सिर्फ प्यार होना चाहिए"
क्या
ReplyDeleteहै प्यार ??????
Kahan koyee samajh paya hai?
aap sabka bahut bahut shukriya........
ReplyDeletesanjay ji apka swasth abb theek hoga........shuriya apka..
ReplyDeleteप्यार में तो सिर्फ
ReplyDeleteप्यार होना चाहिए न ,
फिर इतना दर्द
क्यों होता है ,
Yahi to pyar ha....sayad. Dard na ho to pyar kasa?
शायद इन सभी भावनाओं से मिलकर ही प्यार की उत्पत्ति हुयी हो...!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना रेवा जी...सुन्दर भाव-संयोजन..!!
dinesh ji ....sanuji...bahut bahut shukriya
ReplyDeleteहिंदी भाषा के प्रोत्साहन के लिए इस ब्लॉग को बढ़ावा दे तथा इस लिंक पर क्लिक कर इस ब्लॉग को फोल्लो करे ! http://ajaychavda.blogspot.com/
ReplyDeleteagar dard jyaada hai to shayad dard pyaar ka doosra naam hai...jitna dard hota hai...pyaar utna hi gahra hota hai
ReplyDelete