आज मान लिया मैंने की
सारी गलती मेरी ,
अगर बच्चे पढ़े न
बड़ों को जवाब दें तो
गलती मेरी ,
आखिर मैं ही तो रहती हूँ
दिन भर उनके साथ ,
अगर घर बजट
गड़बड़ हुआ तो
गलती मेरी ,
मैंने ही की होगी फिजुलखर्ची ,
सेहत ख़राब हो तो
गलती मेरी
ध्यान नहीं देती पौष्टिकता पर ,
आखिर मैं गृहणी हूँ !
बात मेरी चाहे
अनसुनी की जाती हो
पर जो भी होता है
उसमे मेरी रजामंदी
मान ली जाती है ,
और अगर गलत हुआ तो
गलती मेरी
क्योंकी मैं गृहणी हूँ................
रेवा
अच्छी रचना है ।
ReplyDeleteshukriya shiv raj ji
Deleteyahi to sach hai ....
ReplyDeleteshukriya Upii di
Deleteसहमत आपकी बात से .. नारी पे दोष लगाने की आदत सी हो गयी है सबको ...
ReplyDeleteJi ....aisa hi kuch hai....shukriya
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