मन इतनी जल्दी
कैसे भर लेता है
ऊँची उड़ान ,
हवा से भी तेज़
चलता है ,
एक पल मे
कितना कुछ जी लेता है
ख़ुशी, आँसूं और
न जाने क्या क्या ,
कितना कुछ समां
रखा है अपने अंदर ,
जाने कितने दरवाज़े
खिड़कियाँ हैं उफ़ !!
कभी तो एक भी नहीं खुलती
पर कभी परत दर परत
उधड़ जाता है
ऊन के स्वेटर सा
और कर देता है खाली
खुद को ,
फिर भरने
नया आसमान !!
रेवा
Rewa जी बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमन ही है जो हर राह आसान कर देता है ...
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 28 अगस्त 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteshukriya yashoda behen
ReplyDeleteshukriya Rajendra ji
ReplyDeleteमन को कौन समझ पाया है
ReplyDeleteमन तो कोई माया है
आज अपना सा लगे
और कल पराया है
--बहुत सुंदर कविता मन तो बस मन है
बहुत सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमन की बात निराली
ReplyDeleteसुंदर ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeleteshukriya rajeev ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteचंचल-चपल मन को सुंदर ढंग से कविता में कैद किया है.
ReplyDeleteप्रभावी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबधाई
ReplyDeleteshukriya Prahlad ji
ReplyDeleteवाह ! कितनी सुन्दर पंक्तियाँ हैं ... मन मोह लिया इस चित्र ने तो !
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ReplyDeleteNote: We also accept Post-In repairs from all over the UK
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