रुक्मणि ,राधा ,मीरा हूँ
काम पड़े पर
दुर्गा काली सी
सशक्त भी हूँ मैं
काम पड़े पर
दुर्गा काली सी
सशक्त भी हूँ मैं
धरा हूँ धूरी हूँ
जूही की नन्ही कली हूँ
पर समय आ पड़े तो
बिजली भी हूँ मैं
अपने अहम से
कई बार तोड़ना
चाहते हैं ये पुरुष
पर कभी गुस्से
कभी प्यार से
पार कर ही लेती हूँ
हर युद्ध.....
जीवन के
तमाम रिश्ते निभाती
कभी उनसे पीड़ा मिले तो
उन्हें ताकत बनती
कर्मबद्ध हूँ मैं
नारी हूँ कोमल हूँ
तो क्या
कमज़ोर नहीं हूँ
तो क्या
कमज़ोर नहीं हूँ
रेवा