Followers

Wednesday, August 31, 2016

चंदा और चाँदनी का प्यार



चंदा ने आज लजाते हुए
सुनाई मुझे
अपनी चाँदनी से हुई मुलाकात........
पुर्णिमा कि हर रात
चंदा और चाँदनी की
होती है प्यार भरी बात !!
उसके बाद धीरे धीरे
चाँद हो जाता है मसरूफ़
और चांदनी उदास........
अमावस के दिन तो
बंद ही हो जाती है उनकी बात
पर चाँद भी ठहरा मजनू  ,
मना ही लेता है अपनी लैला को
फिर खिल उठता है दोनों का प्यार ........
और धरती को भी  मिल जाता है तब
जगमगाहट का उपहार !!!

रेवा

Thursday, August 25, 2016

शब्दों की तलाश


काफी दिनों से खुद
को टटोल रही हूँ ,
ढूंढ रहीं हूँ वो शब्द 
जिसे अपने 
एहसासो मे 
पिरो कर 
कविता बना सकूँ ,
ऐसी कविता 
जो मेरे रूह को 
सुकून दे ,
जिसे पढ़ कर 
मेरी आत्मा तृप्त 
हो जाये ,
पर हर बार 
कुछ कमी रह जाती है ,
और मैं फिर 
निकल पड़ती हूँ 
शब्दों की तलाश में !!

रेवा 


Wednesday, August 17, 2016

ज़िन्दगी से बात


बहुत दिनों बाद
तुमसे मुलाकात हुई
ऐसा लगा
मानो
ज़िन्दगी से बात हुई ,
इतने करीब से तुझे बस
सुना ही था
आज पहचान हुयी ,
कैसे बयां करूँ
अपने एहसास .....
तेरे साथ उस
चाय के कप का स्वाद !!
प्यार भरी तेरी मनुहार
जिसमे न थी कोई
तकरार......
आह !!
वो पल जो
क्षण मे बीत गए .....
उन पलों मे
रूह को सुकून
देता साथ ......
चाहे सपना ही था
पर था बड़ा हसीं.....
करती हूँ प्यार तुमसे
बस यहीं है सही ,
अब रोज़ मिलूंगी
तुमसे सपनों मे .....
आज तो ये
हो ही गया
यकीं......

रेवा

Saturday, August 6, 2016

लेकिन ऐसा क्यों ????



हर बार औरत ही क्यों
मनुहार करे ....
क्यों वही प्यार से 
जीने की बात करे ....
क्यों वही बच्चो
के नाज़ नखरे उठाये ....
ससुराल में तारतम्य
बैठाये ....
जब दो इंसानो ने
जीवन में साथ रहने
के सात वचन लिए
तो हर वचन वही
क्यों निभाने की कोशिश करे ??
क्या उस दूसरे इंसान का
कोई फ़र्ज़ नहीं .....
क्या सिर्फ कमा कर लाना
ही उसकी एक मात्र जिम्मेदारी है.....
वो ये क्यों भूल जाता है
की ये तो हम औरतें भी कर
सकती हैं ....
पर उनके और बच्चों के
प्यार और देखभाल मे
त्याग देती हैं ....
लेकिन उनके त्याग को
उनकी कमज़ोरी समझ
हर नाते रिशतें सँभालने
का जिम्मा उनका हो जाता है .....
लेकिन ऐसा क्यों ????
रेवा