चंदा ने आज लजाते हुए
सुनाई मुझे
अपनी चाँदनी से हुई मुलाकात........
पुर्णिमा कि हर रात
चंदा और चाँदनी की
होती है प्यार भरी बात !!
उसके बाद धीरे धीरे
चाँद हो जाता है मसरूफ़
और चांदनी उदास........
अमावस के दिन तो
बंद ही हो जाती है उनकी बात
पर चाँद भी ठहरा मजनू ,
मना ही लेता है अपनी लैला को
फिर खिल उठता है दोनों का प्यार ........
और धरती को भी मिल जाता है तब
जगमगाहट का उपहार !!!
रेवा