तुम्हें ये महज़ बातें लगती हैं
मुझे एहसास
तुम्हें ये बरसात नज़र आती है
मुझे मिट्टी की खुश्बू
तुम्हें सिर्फ़ आँखें नज़र आती हैं
मुझे उनमें घुलते जज़्बात
तुम्हें एक ख़याल छू कर चला जाता है
मुझे रेशमी याद
तुम्हें ज़रूरत समझ आती है
मुझे इश्क़
तुम्हें लॉजिक चाहिए
मुझे प्यार और ख्याल
तुम्हें सपनों में सपने समझ आते हैं
मुझे हक़ीकत
तुम्हें देह समझ आती है
मुझे रूह
तुम्हें सिर्फ तुम समझ आते हो
और मुझे भी बस तुम
तुम्हें ये बरसात नज़र आती है
मुझे मिट्टी की खुश्बू
तुम्हें सिर्फ़ आँखें नज़र आती हैं
मुझे उनमें घुलते जज़्बात
तुम्हें एक ख़याल छू कर चला जाता है
मुझे रेशमी याद
तुम्हें ज़रूरत समझ आती है
मुझे इश्क़
तुम्हें लॉजिक चाहिए
मुझे प्यार और ख्याल
तुम्हें सपनों में सपने समझ आते हैं
मुझे हक़ीकत
तुम्हें देह समझ आती है
मुझे रूह
तुम्हें सिर्फ तुम समझ आते हो
और मुझे भी बस तुम
#रेवा
बेहतरीन । कोमल जज्बातों को संजोती खंबसूरत रचना। एक पल को बेख्याल हो गए थे हम। शुभकामनाएं आदरणीय रेवा जी।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया
Deleteवाह वाह वाह
ReplyDeleteये हुआ सचा प्यार.
पधारिये- ठीक हो न जाएँ
शुक्रिया
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24.01.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3226 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
शुक्रिया
Deleteबहुत सुन्दर अहसास...लाज़वाब अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteशुक्रिया
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