क्या कोई सुन सकता है
देख सकता है
खामोशी के अंदर का शोर
मन के अंदर छुपी बैठी वो
अलिखित कविता
वो मन के कोने में बैठा
एक छोटा सा बच्चा
महीने भर का हिसाब किताब
और उसमे छिपा बचत
उस बचत से जाने
क्या कुछ न ख़रीद लेने की
योजनाएं
घर के सारे दिन के काम काज
के बीच आसमान के टुकड़े के साथ
कुछ सुकून के पल
घर के लोगों के बीच तारतम्य बैठाती
औरत की खुद की टूटन
खुशी के पलों के लिए अपनी ही
टूटन जोड़ती वो स्त्री
सारे दिन मन के अंदर चलते
सवाल और जवाब
और उनमें खुद को दिए जाने
वाले दिलासे के
सब....ठीक हो जाएगा
मन की सोच के साथ
ढुलकते वो दो आँसू
क्या कोई सुन सकता है
देख सकता है
#रेवा
सब....ठीक हो जाएगा
मन की सोच के साथ
ढुलकते वो दो आँसू
क्या कोई सुन सकता है
देख सकता है
#रेवा