प्यार चाहता है
दफ़न एहसासों से
एहसास चाहता है
उन सिसकती तड़पती
रातों का अब जवाब
देना चाहता है
समंदर के लहर में
समायी नदी का
रुख मोड़ना चाहता है
जिसके दिल को कभी छू न पाया
उसकी रूह को अब छूना चाहता है
वो मुझसे मेरा पहला प्यार चाहता है
ये भूल गया है कि स्त्री हूं मैं
जितनी सहनशक्ति है मुझमें
उतना ही गुरूर भी है
जब पढ़ नहीं पाए एहसास
तो रुकी नहीं वहां
जब तड़पाया तो टूटी नहीं
जब अहमियत नहीं दी
तो बिखरी नहीं मैं
बस अपनी तनहाई का
हाथ थाम लिया....
साथ तो हूं पर
अब न लौटा पाऊंगी
वो सारे जज्बात......
दुख तो बहुत होता है
पर मैं भी हूं एक जीती
जागती इन्सान हूं...
कितनी अजीब बात है न
"अब" वो मुझसे मेरा पहला
प्यार चाहता है
#रेवा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया
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