उसके चारों हाथ पैर
सही काम करते हैं
वो गूंगा बेहरा भी नहीं
फिर भी वो सामान्य नहीं
क्योंकि उसके दिमाग की
एक नस सूख रही है
उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है
क्योंकि असामान्य लोगों के लिए
जगह कहाँ होती है ऑफिस में
फिर भी किसी तरह कमाई का
साधन जुटाता है वो घर जो चलाना है
पर कभी कभी जबान से
तो कभी चलते चलते
लड़खड़ा जाता है
लोग उसे शराबी कह कर
धिक्कारते हैं
वो शराबी नहीं
उसके दिमाग की बस एक नस
सूख रही है
वो सामाजिक उत्सवों में जाता जरूर है
पर जाकर एक जगह बैठा रहता है
कहीं किसी स्त्री से टकरा न जाये
ये डर उसे कुर्सी से चिपका देता है
खाता है तो चम्मच छूट जाती है हाथ से
भारी प्लेट पकड़ा नहीं जाता
हर बार वो भूखा भारी मन लिए
वापस घर आता है
बीवी बच्चे माता पिता तक उसे
टोकते रहते हैं
वो सामान्य जीवन जी नहीं पाता
हर दिन उसके लिए जंग है
किसी दिन हर काम ठीक से कर लेता है
तो छोटे बच्चे की तरह
खुश हो जाता है
क्या क्या लिखूं और आप क्या क्या
सुनोगे ये तो बस आईने का एक कोना है
इल्तजा इतनी है कि कभी भीड़ में
ऐसा कोई मिल जाये तो मज़ाक
उड़ाने की बजाय मदद का हाथ
बढ़ा देना
नहीं उसे हमदर्दी नहीं बस आपसे थोड़ा
सा प्यार थोड़ी समझ और
बहुत सारा सम्मान चाहिए
जानते हैं
इन न्यूरो डिसऑर्डर वाले लोगों के
प्रति जागरूकता नहीं है समाज में
क्योंकि इनकी बीमारी दिखती नहीं
न इन्हें समझा जाता है
इन्हें बस हर दिन तिरस्कार झेलने
के लिए मजबूर किया जाता है !!!
#रेवा
बेहद भावपूर्ण रचना, मानसिक स्वास्थ्य मजाक का विषय नहीं। मर्म स्पर्श करती ,संवेदना को छूती अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १ मार्च २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
इन्हें बस हर दिन तिरस्कार झेलने
ReplyDeleteके लिए मजबूर किया जाता है !!!
कटु सत्य
सादर
मर्मस्पर्शी भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteमार्मिक यथार्थ चित्रण करती रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआप सबका बहुत बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteसुंदर सृजन
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