प्यार को प्यार मिल जाये
जरूरी तो नहीं ,
दिल को क़रार मिल जाये
जरूरी तो नहीं ,
जीने को तो जी लेते है सभी
ज़िन्दगी मौत से बेहतर हो जाये
जरूरी तो नहीं……
रेवा
जरूरी तो नहीं ,
दिल को क़रार मिल जाये
जरूरी तो नहीं ,
जीने को तो जी लेते है सभी
ज़िन्दगी मौत से बेहतर हो जाये
जरूरी तो नहीं……
रेवा
मौत का आभास नहीं मुझे लेकिन जन्दगी में युद्ध नही जीने के लिए तो जीने में मज़ा नही
ReplyDeleteस्नेहाशीष .... असीम शुभ कामनायें
बहुत सुन्दर !
ReplyDeletehaan ji koi jaruri to nahi .....:))
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-11-2014) को "काठी का दर्द" (चर्चा मंच 1806) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Shukriya mayank ji
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteवह क्या बात है ... लाजवाब मुक्तक ...
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